पुतिन-बाइडन वार्ताः बात कहां बनी कहां बिगड़ी?

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आशंका है कि कहीं यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और अमेरिका आमने-सामने ना आ जाएं
यूक्रेन की सीमा के नज़दीक रूस की सेनाओं की तैनाती से पैदा हुए तनाव के माहौल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई वार्ता में आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति ज़ाहिर की है.
रूस की तरफ़ से रविवार को जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति पुतिन जल्द ही राष्ट्रपति बाइडन से मुलाक़ात करना चाहेंगे.
रूस और पश्चिमी देशों के बीच रिश्ते शीत युद्ध के बाद से सबसे ख़राब दौर में हैं. यूक्रेन की सीमा पर रूस के सैनिकों की तैनाती ने तनाव को और बढ़ा दिया है.
बीते 7 दिसंबर को पुतिन और बाइडन ने वीडियो कॉल पर बात की थी और पूर्व एवं पश्चिम के रिश्तों पर चर्चा की थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, वीडियो कॉल पर बाइडन ने पुतिन को चेतावनी दी है कि यदि रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो अमेरिका सख़्त आर्थिक और अन्य प्रतिबंध लगाएगा.
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वहीं, पुतिन ने अमेरिका से कहा है कि यह गारंटी दी जाए कि नेटो पूर्व की तरफ़ और अधिक विस्तार नहीं करेगा.
रूस के सरकारी टीवी पर जारी एक बयान में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोफ़ ने कहा है कि पुतिन के पास बाइडन से बात करने के बाद सकारात्मक होने की कोई ख़ास वजह नहीं है.
पेस्कोफ़ ने कहा कि रूस और अमेरिका के बीच रूस की तरफ से खींची गई रेखा को लेकर गंभीर मतभेद हैं. रूस नहीं चाहता कि पश्चिमी देश इसे पार करें. रूस चाहता है कि उसकी सीमा से लगे यूक्रेन जैसे देशों में आक्रामक हथियार तैनात न किए जाएं.
रूस ये भी नहीं चाहता कि यूक्रेन नेटो का सदस्य बनें और इसके ज़रिए पश्चिमी देशों की सेनाएं उसके मुहाने तक पहुंच जाएं.
पेस्कोफ़ ने बताया कि बाइडन के साथ वार्ता में पुतिन ने कहा है कि रूस के सैन्यबल उसकी अपनी ज़मीन पर तैनात हैं और किसी के लिए कोई ख़तरा नहीं हैं.
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रूस के समर्थन वाले अलगाववादियों के साथ लड़ाई में पूर्वी यूक्रेन में भारी तबाही हुई है.
वहीं, यूक्रेन को आशंका है कि रूस उस पर आक्रमण की तैयारी कर रही है और इसलिए ही उसकी सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है.
रूस ने बड़ी तादाद में टैंक भी यूक्रेन की सीमा के क़रीब भेजे हैं.
पेस्कोफ़ ने कहा कि मौजूदा तनाव इसलिए पैदा किया जा रहा है ताकि रूस को विलेन की तरह दिखाया जा सके और उसे आक्रमणकारी दर्शाया जा सके.
उन्होंने कहा कि दोनों नेता जल्द ही दोबारा वार्ता करने पर सहमत हुए हैं और ये वीडियो लिंक के ज़रिए हो सकती है.
वार्ता का ये तरीक़ा दोनों नेताओं को पसंद आया है. इस वार्ता के दौरान पुतिन ने बाइडन से कहा, 'हम जरूर एक दूसरे को देखेंगे, मैं चाहता हूं कि ऐसा हो.' हालांकि, क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा है कि अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी कि दोनों नेता कब मिलने जा रहे हैं.
अमेरिका ने चेतावनी दी है कि रूस ने यूक्रने पर हमला किया तो अमेरिका सख़्त क़दम उठाएगा.
यूरोप और यूरेशिया मामलों के लिए अमेरिका के शीर्ष राजनयिक अगले हफ़्ते वार्ता के लिए यूक्रेन और रूस जाएंगे और रूस के सैनिकों की तैनाती के मुद्दे पर बात करेंगे.
अमेरिकी विदेश विभाग ने शनिवार को इसकी पुष्टि की थी.
केरन डोनफ्रायड सोमवार से बुधवार के बीच कीएफ़ और मॉस्को की यात्रा करेंगे और शीर्ष अधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे.
केरन यूक्रेन की संप्रभुता के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता दोहराएंगे.
विदेश विभाग के एक बयान में कहा गया है, "उपमंत्री डोनफ्रायड इस बात पर ज़ोर देंगे कि डोनबास में जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक प्रगति की जा सकती है और संघर्ष समाप्ति के लिए मिंस्क समझौते को नोरमंडी फॉर्मेट पर लागू किया जा सकता है."
रूस और यूक्रेन के बीच विवाद क्यों हो रहा है?
'रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो इसके व्यापक परिणाम'
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साल 2015 में हुआ मिंस्क समझौता नॉरमंडी फ़ॉरमेट की तरह यूक्रेन के भीतर संघर्ष को रोकने पर ज़ोर देता है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान फ़्रांस और जर्मनी ने नॉरमंडी में जारी हिंसा को कूटनीतिक प्रयासों के ज़रिए रोका था.
यूक्रेन और रूस की यात्रा करने के बाद डानफ्रायड बुधवार और गुरुवार को ब्रसेल्स में रहेंगे जहां वो नेटो सहयोगियों से चर्चा करेंगे. उनका प्रयास है कि यूक्रेन संघर्ष का हल कूटनीति के ज़रिए निकाला जाए.
इस बीच दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह जी-7 ने कहा है कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो इसके व्यापक परिणाम होंगे.
ब्रितानी विदश मंत्री लिज़ ट्रस ने लिवरपुल में एक सम्मेलन के बाद कहा कि समूह चाहता है कि रूस यूक्रेन के प्रति आक्रामकता बंद करे.
उन्होंने कहा, "हम व्लादिमीर पुतिन को स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि हम चाहते हैं कि यूक्रेन को लेकर रूस आक्रमक रुख़ अपनाना बंद करे. हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि अगर उसके कदम आगे बढ़े तो इसके भयंकर परिणाम होंगे."
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के साथ वार्ता में पुतिन ने कहा था कि रूस की सेनाएं किसी के लिए भी ख़तरा नहीं है.
वहीं, पुतिन से बातचीत के बाद बाइडन ने भी कहा था कि उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यदि यूक्रेन पर आक्रमण हुआ तो रूस के लिए इसके आर्थिक परिणाम ऐसे होंगे जैसे पहले कभी नहीं हुए.
यूक्रेन की सीमाएं यूरोपीय संघ और रूस से लगती हैं. लेकिन सोवियत संघ का पूर्वी हिस्सा रहे यूक्रेन के रूस के साथ गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध हैं.
यूक्रेन में साल 2014 से आंतरिक संघर्ष चल रहा है. रूस समर्थक अलगाववादी देश के पूर्वी इलाक़े में हिंसक अभियान चला रहे हैं.
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