काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, जानिए क्या हैं ख़ास बातें

  • विक्रांत दुबे
  • वाराणसी से, बीबीसी हिंदी के लिए
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में 'श्री काशी विश्वनाथ धाम' का लोकार्पण किया और कहा कि इससे देश को एक 'निर्णायक दिशा मिलेगी.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा, "काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा. ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का.अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं: "

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने कार्यक्रम को एक बड़े महोत्सव के रूप में तब्दील करने के लिए शहर को ख़ूब सजाया.

जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की कोशिश रही कि काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह से निकलने वाली हर तस्वीर धार्मिक माहौल के रंग से रंगी नजर आए और बनारस को पूरे देश के सामने धर्म और विकास के एक मॉडल के रूप में पेश किया जा सके, जिससे चुनावों पर इसका सकारात्मक प्रभाव दिखायी दे.

यही कारण है कि सरकारी स्तर पर इस कार्यक्रम को बड़ा और भव्य रूप दिया गया.

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32 महीने में तैयार हुआ श्री काशी विश्वनाथ धाम

सन् 1780 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार कराया था. उसके लगभग तीन शताब्दी के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरोद्धार के लिये 8 मार्च, 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर का शिलान्यास किया था.

शिलान्यास के लगभग 2 साल 8 महीने बाद इस ड्रीम प्रोजेक्ट के 95 प्रतिशत कार्य को पूरा कर लिया गया. माना जा रहा है कि इस पूरे कॉरिडोर के निर्माण में 340 करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं. हालाँकि पूरे ख़र्च को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है.

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पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है. इसका मुख्य दरवाज़ा गंगा की तरफ़ ललिता घाट से होकर है.

विश्वनाथ कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है. पहला, मंदिर का मुख्य भाग है जो लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है. इसमें 4 बड़े-बड़े गेट लगाए गए हैं. इसके चारों तरफ़ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है. उस प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन है.

कॉरिडोर में 24 भवन भी बनाए जा रहे हैं. इन भवनों में मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, जलपान केंद्र गंगा व्यू कैफ़े आदि हैं.

धाम की चमक बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह की 5,000 लाइटें लगायी गई हैं. ये ख़ास तरह की लाइटें दिन, दोपहर और रात में रंग बदलती रहेंगी.

धाम के निर्माण का काम कर रही पीएसपी कंपनी के सीएमडी पीएम पटेल का कहना है कि 'इस कॉरिडोर की व्यवस्था के लिए जिन-जिन सुविधाओं की ज़रूरत पड़ती है, उनका ध्यान रखा गया है. जैसे म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्षु भवन, जलपान गृह आदि. यदि आध्यात्मिक पुस्तकें देखना चाहते हैं, तो वैदिक केंद्र में वो भी हैं.'

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उत्सव के रंग में झूमती काशी

कॉरिडोर लोकार्पण को लेकर पूरे काशी में उत्सव का माहौल रहा. सरकारी भवनों, चौराहों को बिजली के रंग-बिरंगे झालरों से सजाया गया. लोगों ने भी अपने भवनों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सजाया.

जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है. 13 दिसंबर की शाम को दीपावली की तर्ज़ पर सभी से अपने घरों को दीपों से सजाने की अपील की गयी.

प्रशासन की ओर से मैदागिन से कॉरिडोर तक जाने वाले मार्ग के हर भवन को एक ही रंग गेरुए में रंग दिया गया. हालांकि इस कार्य में थोड़ी अड़चन तब सामने आयी, जब इस रास्ते में पड़ने वाली एक मस्जिद को भी गेरुए रंग में रंग दिया गया.

इस पर मस्लिम समुदाय ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई. उसके बाद मस्जिद को​ फिर से सफ़ेद रंग में रंग दिया गया. मुस्लिम समुदाय ने इस कार्य को बहुत ही सकारात्मक तरीक़े से लिया और प्रशासन की सराहना की.

सरकारी तैयारियों के अलावा आम शहरी भी उत्सव के रंग में रंगा नज़र आया.

रेस्टोरेंट और सिनेमा व्यवसाय से जुड़े उद्यमी आलोक दुबे ने कहा, ''उत्सव तो हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तो पूरे काशी के लिए गौरव की बात है. हमारी काशी ही देवताओं की दीपावली भी मनाती है और इस बार हम शिव दीपावली मना रहे हैं.''

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पश्चिम बंगाल के खड़गपुर से बनारस घूमने आये महेंद्र गुप्ता ने बताया कि इसके पहले वो यहां दो साल पहले आए थे, लेकिन इस बार उन्हें यहां का माहौल अकल्पनीय लग रहा है.

वो कहते हैं कि उन्होंने विश्वनाथ धाम के बारे में ब्लॉग और वीडियो में देखा था कि ऐसा कुछ हो रहा है, लेकिन यहां आने पर उन्हें यहां का माहौल कई गुना ज़्यादा बेहतर मिला.

महेंद्र गुप्ता बताते हैं, ''इसके पहले मंदिर के शिखर का दर्शन करने में बहुत परेशानी होती थी, लेकिन अब मंदिर के शिखर से लेकर सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा है.''

वहीं विश्वनाथ मंदिर में सालों से पुजारी के रूप में काम कर रहे श्रीकांत मिश्र ने बीबीसी को बतााया, ''परम शिवभक्त अहिल्याबाई होल्कर ने आज से करीब 350 साल पहले वर्तमान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया था. 2,000 वर्ग मीटर में फैले मंदिर के दर्शन के लिए लोग तंग गलियों से होकर जाते थे. मंदिर में बहुत कम स्थान था, जहां कमज़ोर, रोगी और बूढ़े लोग पहुंच पाने में असमर्थ थे.''

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अयोध्या के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद की चर्चा क्यों?

घर-घर प्रसाद

लोकार्पण कार्यक्रम में पूरे देश से तीन हज़ार से अधिक विशिष्ट मेहमानों ने शिरक़त की. इसमें बीजेपी शासित प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्रियों के अलावा, सांसदों और विधायक शामिल रहे. इन्हें पूरे देश से आ रहे साधु-संतों की अगवानी करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी.

बनारस में एक महीने का उत्सव भी मनाया जाएगा जिसका नाम "भव्य काशी-दिव्य काशी" रखा गया है. इस कार्यक्रम से बनारस का कोई भी परिवार या शख़्स वंचित न रह जाये, इसके लि्ए 16 लाख लड्डुओं को प्रसाद के लिए बनवाया जा रहा है. इसे कार्यकर्ता लोगों के घरों तक पहुँचायेंगे. इसके साथ ही लोगों को एक स्मारिका भी दी जाएगी.

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कॉरिडोर की बुनियाद में 400 मकान

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में तक़रीबन 400 मकानों और सैकड़ों मंदिरों और लोगों को कहीं और बसाना पड़ा है. विश्वनाथ मंदिर के काफ़ी घनी आबादी में बने होने के कारण लगभग 400 संपत्तियों को ख़रीदा गया और लगभग 14 सौ लोगों को शहर में कहीं और बसाया गया.

लगभग 2 साल 8 महीने में इस ड्रीम प्रोजेक्ट के 95 प्रतिशत काम को पूरा कर लिया गया है. वर्तमान में इस कॉरिडोर में 2,600 मज़दूर और 300 इंजीनियर तीन शिफ़्टों में लगातार काम कर रहे हैं.

इस कॉरिडोर को बनाने के दौरान जिन 400 मकानों को अधिग्रहित किया गया, प्रशासन के मुताबिक़ उससे काशी खण्डोक्त 27 मंदिर, जबकि लगभग 127 दूसरे मंदिर प्राप्त हुए थे. कॉरिडोर में उन मंदिरों का भी संरक्षण किया जा रहा है.

काशी खंडोक्त मंदिर को जीर्णोद्धार करके पहले जैसा बनाने की कोशिश हो रही है. इसके लिये पूर्व के सरस्वती गेट के पास 27 मंदिरों की एक मणिमाला बनाई जायेगी जिसमें उन मंदिरों को स्थापित करने की योजना है. यह काम कॉरिडोर के दूसरे चरण में पूरा करने की योजना है.

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बनारस में गंगा का पानी हरा क्यों होता जा रहा है?

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