भारत ने किस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सुनाई ‘खरी-खोटी’ - प्रेस रिव्यू

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने एक प्रस्ताव के ख़िलाफ़ सोमवार को मतदान किया है.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक़, यह प्रस्ताव जलवायु परिवर्तन पर सुरक्षा परिषद में एक आधिकारिक जगह बनाने को लेकर था जिसके ख़िलाफ़ रूस ने वीटो के अधिकार का इस्तेमाल किया.
इस मसौदे का भारत और रूस दोनों ने ही विरोध किया था जबकि चीन मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा.
इस मसौदे को आयरलैंड और नाइजीरिया ने पेश किया था और मांग की थी कि सुरक्षा परिषद जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया की शांति और संघर्षों को प्रभावित करने वाले कारणों को लेकर लगातार चर्चाएं करे.
इस समय जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र में यूएन फ़्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज (UNFCCC) के तहत चर्चा होती है जिसके 190 से अधिक देश सदस्य हैं जो हर साल मिलते हैं और साल के आख़िर में दो सप्ताह की सालाना कॉन्फ़्रेंस करते हैं.
जलवायु परिवर्तन के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव की वजहें जानने को लेकर बहुत कम ही चर्चा हुई है. इसका सीधा असर जलवायु से प्रेरित भोजन और पानी की कमी, ज़मीन या आजीविका का छिनना और प्रवासन जैसे मुद्दों पर पड़ता है.
इस मसौदे के प्रस्तावकों और समर्थकों ने कहा था कि इसका सीधा असर संयुक्त राष्ट्र के ज़मीनी अभियानों पर पड़ेगा जो शांति और सुरक्षा के लिए जारी हैं और इसी वजह से इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुरक्षा परिषद में उठाने की ज़रूरत है.
भारत, चीन और रूस इस क़दम का शुरुआत से विरोध कर रहे हैं और उनका मानना है कि सुरक्षा परिषद को जलवायु परिवर्तन पर दख़ल नहीं देना चाहिए क्योंकि यह UNFCCC की प्रक्रिया को कमज़ोर कर देगा और यह विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण फ़ैसले लेने का मौक़ा मुहैया कराएगा.
भारत ने सुरक्षा परिषद को क्या-क्या कहा
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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति
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भारत ने इस मसौदे के ख़िलाफ़ मतदान करने पर अपनी वजहों के बारे में विस्तार से बताया.
भारत ने कहा UNFCCC पहले से ही एक 'विस्तृत और न्यायसंगत ढांचा' एक समान आवाज़ के साथ सभी देशों को मुहैया कराता है और हर देश की 'राष्ट्रीय परिस्थितियों' को पर्याप्त मान्यता देता है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, "यह (UNFCCC प्रक्रिया) विकासशील देशों की ज़रूरतों और विकसित देशों की प्रतिबद्धताओं को देखता है. यह शांति, संजोयन, वित्तीय, तकनीक, आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण आदि के बीच एक संतुलन चाहता है. वास्तव में जलवायु परिवर्तन से लड़ने की दिशा में यह एक समग्र दृष्टिकोण देता है जो कि न्यायसंगत और निष्पक्ष है."
"हमें ख़ुद से पूछने की ज़रूरत है कि हम इस मसौदा संकल्प से वो क्या हासिल कर सकते हैं जो हम UNFCCC की प्रक्रिया से हासिल नहीं कर सकते हैं."
तिरुमूर्ति ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को ले जाने की क्या ज़रूरत है जब हमने जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ ठोस क़दम के लिए UNFCCC के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को तय किया है? इसका ईमानदार जवाब यह है कि इस मसौदे की वास्तव में कोई ज़रूरत नहीं है सिर्फ़ इस मक़सद को छोड़कर कि जलवायु परिवर्तन को सुरक्षा परिषद के दायरे में ले आया जाए और इसका कारण यह है कि अब फ़ैसले सबसे अधिक विकासशील देशों की भागीदारी और उनकी आम सहमति के बिना लिए जाएं."
"और यह सब अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के नाम पर किया जा सकता है."
"इसलिए हमें इस मुद्दे पर आज साफ़ कर देना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन के फ़ैसले व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के द्वारा लिए जाएं जिसका UNFCCC नेतृत्व करता है न कि सुरक्षा परिषद."
भारत के स्थाई प्रतिनिधि ने इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भी इस मामले में काफ़ी तल्ख़ टिप्पणियां कीं.
तिरुमूर्ति ने कहा, "यह बड़ी विडंबना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकतर सदस्य जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार ऐतिहासिक उत्सर्जन में मुख्य भागीदार हैं. अगर सुरक्षा परिषद इस मुद्दे को अपने दायरे में ले आता है तो कुछ देशों को जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर फ़ैसले लेने की आज़ादी मिल जाएगी. स्पष्ट रूप से न ही इसकी ज़रूरत है और न ही यह स्वीकार्य है."
PM CARES वेबसाइट पर पीएम मोदी की तस्वीर पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
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पीएम केयर्स फ़ंड की आधिकारिक वेबसाइट से पीएम मोदी की तस्वीर और नाम हटाने की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' के मुताबिक़, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की डिविज़न बेंच ने जनहित याचिका की सोमवार की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया.
कांग्रेस पार्टी के सदस्य विक्रांत चौहान ने यह जनहित याचिका दायर की है जिसमें मांग की गई है कि प्राइम मिनिस्टर्स सिटिज़न असिस्टेंस एंड रिलीफ़ इन इमरजेंसी सिचुएशंस (PM CARES) फ़ंड्स की आधिकारिक वेबसाइट से राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय चिन्ह और प्रधानमंत्री का नाम और तस्वीर हटाई जाए.
याचिका में कहा गया है कि वेबसाइट पर नाम और तस्वीर भारत के संविधान के प्रावधान, प्रतीक एवं नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम का उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया है कि पीएम केयर्स फ़ंड 27 मार्च 2020 को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया था और इस तरह से एक ट्रस्ट का प्रधानमंत्री मोदी का नाम और तस्वीर और भारत के राष्ट्रीय ध्वज और भारत के प्रतीक का इस्तेमाल करना अनुचित है.
देश में ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले हुए 41
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महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो और गुजरात में एक और मामला पाया गया है.
'दैनिक जागरण' अख़बार लिखता है कि महाराष्ट्र के दोनों मरीज़ों ने हाल ही में दुबई की और गुजरात के मरीज़ ने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की थी. नए मरीज़ों के साथ महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन के मामलों की संख्या बढ़कर 20 और गुजरात में चार हो गई है.
पूरे देश में अब तक ओमिक्रॉन के 41 मामले सामने आ चुके हैं. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि संक्रमितों में पुणे की एक महिला है और लातुर का एक 33 साल का युवक शामिल है. दोनों ने दुबई की यात्रा की थी.
इनमें संक्रमण के लक्षण भी नहीं नज़र आ रहे हैं और उनका पूर्ण टीकाकरण भी हो चुका है.
पहाड़ी इलाक़ों में बर्फ़बारी से उत्तर भारत में ठंड बढ़नी शुरू हुई
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पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी ने मैदानी इलाकों में ठंड को बढ़ाना शुरू कर दिया है.
'अमर उजाला' अख़बार लिखता है कि रविवार की तरह सोमवार को भी अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट देखने को मिली. धूप की तपिश न होने के कारण दिनभर ठंड का एहसास रहा.
दिल्ली में सोमवार को अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 22.4 और न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम 6.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विभाग ने अगले सप्ताह तक न्यूनतम तापमान में ऐसे ही गिरावट होने की संभावना जताई है. तापमान 6 डिग्री तक पहुंचने की संभावना है. इस कारण से ठिठुरन बढ़ जाएगी.
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