पत्नियों को पति का वेतन जानने का हक़

भारत के केंद्रीय सूचना आयोग ने एक फैसले में कहा है कि सरकारी कर्मचारियों की पत्नियों को पति के वेतन के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने का पूरा हक़ है.
आयोग ने यह भी कहा कि आरटीआईकानून के तहत कर्मचारियों के संबंधित विभागों को इन जानकारियों को सार्वजनिक भी करना चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सूचना आयुक्त एम श्रीधर अचार्युलु ने कहा कि हर जीवनसाथी को अपने पति के वेतन के बारे में जानने का अधिकार है. विशेषकर गुजारा भत्ता पाने के उद्देश्य के लिए वो ऐसी जानकारी ले सकती हैं.
अचार्युलु ने कहा, ''इतना ही नहीं यदि पति सरकारी कर्मचारी है तो पत्नी को अपने पति के वेतन के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने का हक़ है.''
अचार्युलु ने आगे कहा कि एक सरकारी कर्मचारी के वेतन के बारे में विस्तृत जानकारी एक ''थर्ड पार्टी'' सूचना नहीं है और इस बारे में आरटीआई कानून के तहत विभाग को स्वेच्छा से जानकारी देनी चाहिए.
जानकारी देना अनिवार्य
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन लोगों द्वारा भुगतान किए गए कर से किया जाता है और इस बारे में आरटीआई के तहत जानकारी देना अनिवार्य है.
उन्होंने कहा कि किसी विभाग के कर्मचारी या उसी विभाग के अधिकारी के वेतन के बारे में सूचना को थर्ड पार्टी सूचना नहीं मानी जा सकती. सरकारी विभाग वेतन के बारे में आरटीआई आवेदन को थर्ड पार्टी सूचना क़रार देकर उसे ख़ारिज नहीं कर सकते.
अचार्युलु ने कहा कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग का सूचना देने से इनकार करना ग़लत है और उसपर दंड लगाया जा सकता है.
दरअसल, एक महिला ज्योति सेहरावत ने गृह विभाग में तैनात अपने पति की सैलरी स्लिप मांगी थी जिसे विभाग ने थर्ड पार्टी सूचना क़रार देते हुए इसे देने से इनकार कर दिया.
सेहरावत के पति ने लिखित में विभाग से कहा था कि ऐसी सूचना किसी अन्य को नहीं दी जानी चाहिए. इसके बाद सेहरावत ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था.
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