मुंबई: दलदलों पर कब्ज़ा, हादसे की तैयारी

मुंबई शहर के तक़रीबन सारे वेटलैंड्स (जलमय, दलदली भूमि) आज अतिक्रमण से जूझ रहे हैं. इन पर प्राइवेट बसों के लिए पार्किंग, आने-जाने के लिए रास्ते, झुग्गियां हर रोज़ बढ़ती जा रही हैं.
महाराष्ट्र वन विभाग के 'मुंबई मैन्ग्रोव कन्जर्वेशन यूनिट' के मुख्य वन संरक्षक एन वासुदेवन कहते हैं कि किसी प्राकृतिक आपदा के समय ऐसे अतिक्रमण शहर के लिए ख़तरनाक साबित हो सकते हैं.
एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र वन विभाग को मुंबई शहर और आस-पास के सभी वेटलैंड्स का सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा था.
वन विभाग के अधिकारियों ने कुल आठ जगहों का सर्वे किया और इन जगहों पर अतिक्रमण के बारे में न्यायालय को अवगत कराया. वासुदेवन के मुताबिक़ इन सभी जगहों पर कई तरह की ग़ैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं.
'सोची समझी साज़िश'
उन्होंने कहा, "अदालत के आदेश के बाद हमने दहिसर, भुईगांव, घोड़बंदर, ओवला गाँव, दिवे-अंजूर, दिवे गाँव, विक्रोली-मुलुंड रोड और तारघर गाँव का सर्वे किया. हर जगह किसी न किसी प्रकार की अवैध गतिविधियाँ चल रही थीं. इनमें अवैध पार्किंग तथा रेत का खनन मुख्य है."
"इस जनहित याचिका में शामिल सारे दलदली क्षेत्रों पर अतिक्रमण है और इससे यहां बहुत नुकसान हो रहा है, जो इन दलदली क्षेत्रों के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है."
सर्वे के मुताबिक़ मुंबई शहर और आसपास की सभी दलदली क्षेत्रों में चल रही अवैध गतिविधियों को तुरंत रोका जाना चाहिए ताकि किसी प्राकृतिक आपदा के समय शहर के लिए बड़ा ख़तरा पैदा न हो.
याचिका डालने वाली संस्था 'वनशक्ति' के डी स्टॅलिन के मुताबिक़ यह अवैध गतिविधियां सारे दलदली क्षेत्र को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही हैं ताकि यह जमीन आगे चलकर निर्माण कार्य के लिए इस्तेमाल हो सके.
वह कहते हैं, "यह एक सोची समझी साज़िश है. पहले समंदर का पानी रोका जाता है ताकि उस जगह के सारे मैन्ग्रोव मर जाएं. फिर धीरे-धीरे वहां झोपड़ियां तथा पार्किंग लॉट बनाकर जमीन पर कब्जा किया जा सके. इसके बाद जब यहां गरीब लोग रहने लगें, तो उन्हें ढाल बनाकर यह सारी अवैध गतिविधियां नियमित की जा सकें.''
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