अमित शाह को कोर्ट में पेश होने से छूट

मुंबई की सीबीआई अदालत ने भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामलों में पेश होने से छूट दे दी है.
कोर्ट ने सीबीआई की दलील को नकारते हुए कहा कि शाह को ज़रूरत हो तभी कोर्ट बुलाया जाए.
सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में अमित शाह पर आरोप लगते रहे हैं. पिछले महीने ही शाह ने अदालत में ख़ुद को रियायत देने के लिए याचिका दी थी.
शाह को 2010 में सोहराबुद्दीन शेख़ फ़र्ज़ी एनकाउंटर में उनकी भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
वो तीन महीने जेल में रहकर ज़मानत पर बाहर आए.
क्या है मामला?
गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री शाह को सोहराबुद्दीन शेख की 2005 में फर्जी मुठभेड़ और उनकी पत्नी कौसर बी और सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की हत्या, अपहरण, आपराधिक षड्यंत्र और वसूली समेत अन्य आरोप के बाद हिरासत में लिया गया था.
गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी का हैदराबाद से कथित तौर पर अपहरण कर लिया था और नवंबर 2005 में इस दस्ते पर गांधीनगर के समीप फ़र्जी मुठभेड़ में उन्हें मार डालने का आरोप है.
शाह पर आरोप
सीबीआई के मुताबिक़ अमित शाह इस पूरी साज़िश के सूत्रधार थे.
कोर्ट में सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने शाह को दी जाने वाली रियायत पर ऐतराज़ जताया था.
शाह ने कोर्ट से कहा था जब तक उनकी इस मामले में दायर डिस्चार्ज पिटीशन पर फैसला न हो जाए तब तक उन्हें कोर्ट में पेश होने से छूट दी जाए.
सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ के आलावा शाह पर इशरत जहाँ मुठभेड़ मामले में भी उंगलियां उठी थीं.
उन पर गुजरात में एक महिला पर पुलिस से जासूसी करवाने का भी आरोप लग चुका है. मगर शाह इन सभी आरोपों से इनकार करते हैं.
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