सीरिया:विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले

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पिछले एक हफ्ते से जारी युद्धविराम टूटने के बाद उत्तरी सीरिया के एलेपो शहर में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में भारी हवाई हमले हुए हैं.
न्यूज एजेंसी एएफपी के संवाददाता के मुताबिक बुस्तान अल-क़ासर जिले में जंगी जहाजों ने आग लगाने वाले बम बरसाए जिसके बाद पूरी सड़क धू धू कर जल रही थी.
इन हमलों में कम से कम सात लोगों के मारे जाने का अंदेशा है,जिनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं.
दक्षिणी ज़िलों में भी संघर्ष फिर से शुरू हो गया है जहां विद्रोही सरकारी सुरक्षा बलों की घेरेबंदी को तोड़ने की कोशिश में जुटी है.
एलेपो सीरिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है.
साल 2012 के बाद एलेपो दो हिस्सों में बंट गया. पश्चिमी हिस्से में सरकार का नियंत्रण है और पूर्वी हिस्सा विद्रोहियों के कब्जे में है.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने एलेपो शहर की घेराबंदी करने के आरोपों से इनकार किया है.
उन्होंने उन दावों को भी खारिज किया जिनके मुताबिक वे अपने लोगों के ख़िलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
असद ने जोर देकर कहा कि उनके सुरक्षा बल सहायता दल पर हमला नहीं करते हैं.
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के अनुसार,'ऐसा करने में हमारी कोई रूचि नहीं है क्योंकि अगर हम नागरिकों तक पहुंचनेवाले सहायता दलों पर हमला करेंगे तो हम चरमपंथियों के मंसूबों को कामयाब करने के उनकी मदद कर रहे होंगे. ये सीधे तौर पर उनके हाथों में खेलने जैसा होगा. ऐसा करके हम अपने नागरिकों को विद्रोहियों के करीब पहुंचा रहे होंगे. और ये उनको जीवन प्रदान करने जैसा होगा.'

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असद ने कहा कि शनिवार को सीरियाई सैनिकों पर अमरीका का हवाई हमला दुर्घटनावश नहीं हुआ था. अमरीकी गठबंधन के इन हवाई हमलों में 60 से ज्यादा सीरियाई सैनिक मारे गए थे.
हालांकि अमरीका ने इस हमले के लिए खेद प्रकट किया था और इसे गलती से हुई घटना बताया था.
अमरीका ने कहा था कि इस्लामिक स्टेट के लड़ाके उसके निशाने पर थे.
असद ने अमरीका के इस हमले को सीरिया पर खुला आक्रमण कहा था.
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों का कहना है कि अब उसके संगठन को मानवीय मदद पहुंचाने के लिए पहले से ज्यादा अनुमति पत्र मिल रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के सहायता दल पर हमले के बाद प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए पहली खेप रवाना कर दी गई है.
इससे पहले रूस प्रभावित इलाकों के उपर विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगाने की अमरीका की मांग को नकार चुका है.
इस संकट का समाधान ढूंढने के लिए दोनों महाशक्तियां एक अंतरराष्ट्रीय बैठक करनेवाली हैं.
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