सीरिया: एलेप्पो में बमबारी, पानी का संकट

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उत्तरी सीरिया के एलेप्पो शहर में हुए हवाई हमलों की वजह से शहर की पानी सप्लाई रुक गई है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इन हमलों के कारण लगभग करीब 15 लाख लोगों को पानी नहीं मिल रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विद्रोहियों के कब्ज़े वाले पूर्वी इलाके में शुक्रवार को हवाई हमलों के कारण पम्प स्टेशन की मरम्मत नहीं हो सकी. इसलिए इस इलाके में पानी की सप्लाई नहीं की जा सकी.
यह पम्प स्टेशन गुरुवार के हमले में ध्वस्त हो गया था. इससे करीब 2 लाख लोगों तक पानी की सप्लाई होती थी.
इन हमलों के बदले में विद्रोहियों ने अपने पास के इलाके के पम्प पर धावा बोलकर उसके पानी की सप्लाई रोक दी.
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इस पम्प से बाकी एलेप्पो में करीब 15 लाख लोगों को पानी की सप्लाई होती थी.
पिछले हफ्ते से जारी युद्धविराम टूटने के बाद उत्तरी सीरिया के एलेप्पो शहर में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में भारी हवाई हमले हुए हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के संवाददाता के मुताबिक बुस्तान अल-क़ासर ज़िले में जंगी जहाजों ने आग लगाने वाले बम बरसाए जिसके बाद पूरी सड़क धू धू कर जल रही थी.
दक्षिणी ज़िलों में भी संघर्ष फिर से शुरू हो गया है जहां विद्रोही सरकारी सुरक्षा बलों की घेरेबंदी को तोड़ने की कोशिश में जुटे हैं.
एलेप्पो सीरिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है.
साल 2012 के बाद एलेप्पो दो हिस्सों में बंट गया. पश्चिमी हिस्से में सरकार का नियंत्रण है और पूर्वी हिस्सा विद्रोहियों के कब्जे में है.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने एलेप्पो शहर की घेराबंदी करने के आरोपों से इनकार किया है.
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असद ने कहा कि शनिवार को सीरियाई सैनिकों पर अमरीका का हवाई हमला दुर्घटनावश नहीं हुआ था. अमरीकी गठबंधन के इन हवाई हमलों में 60 से ज्यादा सीरियाई सैनिक मारे गए थे.
हालांकि अमरीका ने इस हमले के लिए खेद प्रकट किया था और इसे गलती से हुई घटना बताया था.
अमरीका ने कहा था कि इस्लामिक स्टेट के लड़ाके उसके निशाने पर थे.
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों का कहना है कि अब उसके संगठन को मानवीय मदद पहुंचाने के लिए पहले से ज्यादा अनुमति पत्र मिल रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के सहायता दल पर हमले के बाद प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए पहली खेप रवाना कर दी गई है.
इससे पहले रूस प्रभावित इलाकों के ऊपर विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगाने की अमरीका की मांग को नकार चुका है.
इस संकट का समाधान ढूंढने के लिए दोनों महाशक्तियां एक बैठक करनेवाली हैं.
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