'दशहरे में भारतीय बाज़ारों का ही सहारा'
- उमाकांत खनाल
- संवाददाता, बीबीसी नेपाली सेवा

दशहरे के समय नेपाल-भारत सीमा के नजदीक रहने वाले अधिकतर नेपाली ख़रीदारी के लिए भारत जाना पसंद करते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह सीमावर्ती भारतीय बाज़ारों में सामान सस्ता मिलना है.
यही वजह है कि पूर्वी नेपाल के तराई इलाके से जुड़े भारत के राज्य पश्चिम बंगाल में पानीटंकी बाज़ार में इन दिनों रौनक है. पूर्वी नेपाल के अधिकांश लोग ख़रीदारी के लिए पानीटंकी बाज़ार का रुख़ कर रहे हैं.
झापा ज़िले का वीरता मोड़, पूर्वी नेपाल का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, लेकिन झापा के रहने वाले विष्णु त्रिताल भी ख़रीदारी के लिए पानीटंकी बाज़ार जाते हैं.
इसकी वजह बताते हुए विष्णु त्रिताल ने कहा, "इधर सामान भी अच्छा मिलता है, बाइक से हम दोनों इधर आ गए, करीब तीन हज़ार रुपये का सामान खरीदने पर लगभग एक हज़ार रुपये की बचत हो जाती है. बचे पैसे से हम और सामान खरीद लेते हैं."
पानीटंकी में किराना व्यापारी जावेद आलम विष्णु त्रिताल के बात से सहमति जताते हैं. जावेद आलम कहते हैं, "इधर सामान सस्ता है, लोग अपने घर और दुकान के लिए यहां से ही सामान ले जाते है. सामान ज्यादा ले जाने से ज्यादा पैसा बचता है."
भारत में नेपाल में मुकाबले दाल सस्ती है. लोगों का कहना है कि खाने का तेल, चीनी, मसाले और इस तरह की तमाम चीजों की कीमतों में भारत और नेपाल में भारी अंतर है.
लेकिन झापा के वीरतामोड़ के किराना व्यापारी बजरंग राठी कहते हैं कि नेपाल में भारत की सीमा से लगने वाले बाज़ार के व्यापारी मौजूदा हालात से तनाव में हैं.
बजरंग कहते हैं, "वीरतामोड़ बाज़ार में सूखा है. लगता ही नहीं कि दशहरे का बाज़ार है. नेपाल सरकार या तो शुल्क में छूट दे या भारत से सामान ख़रीदकर लाने पर रोक लगा दे."
नेपाली व्यापारी ये भी कहते हैं कि भारतीय बाज़ार से इसी तरह ख़रीदारी जारी रही तो उनका व्यापार हर साल कम होता जाएगा जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
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