आईएस पर हमला, मोसुल से सीरिया की ओर पलायन

मोसुल के एक नज़दीक एकक गांव से सफेद झंडा लेकर निकले ग्रामीण सुरक्षा बलों से संपर्क करते हुए.

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शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने बीबीसी को बताया है कि मोसुल से निकलकर नौ सौ से अधिक लोग सीरिया पहुंचे हैं.

सीमा पार कर आए इन लोगों को सीरिया में बने शरणार्थी शिविरों में रखा गया है.

इराक़ी सुरक्षा बल मोसुल को इस्लामिक स्टेट (आईएस) से मुक्त कराने के लिए दो दिन से फ़ौजी अभियान चला रहे हैं.

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अभियान के शुरू होने के बाद यह पहला मौक़ा है जब आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया गया है कि बड़ी संख्या में लोग मोसुल से निकल रहे हैं.

इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मोसुल से निकलने का मतलब यह है कि जैसे-जैसे इराक़ी सैनिक और कुर्द लड़ाके आगे बढ़ रहे हैं आईएस लोगों को वहां से निकलने से रोक नहीं पा रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक़ मोसुल में क़रीब 15 लाख लोग रह रहे हैं. वहां आईएस के क़रीब पांच हज़ार लड़ाके होने का अनुमान है.

'नागरिकों का ढाल में रूप में इस्तेमाल'

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अमरीकी नेतृत्व वाले गठबंधन ने कहा है कि उन्होंने दस गांवों से आईएस को खदेड़ दिया है.

वहीं अमरीका ने आरोप लगाया है कि इराक़ी सुरक्षा बल जैसे-जैसे इस्लामिक स्टेट (आईएस) के मज़बूत गढ़ मोसुल के नज़दीक बढ़ रहे हैं, आईएस नागरिकों का इस्तेमाल ढाल के रूप में कर रहा है.

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि मोसुल से लोगों को निकालने के लिए योजनाएं और संसाधन तैयार हैं.

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वाशिंगटन में मंगलवार को रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता जेफ़ डेविस ने आईएस की ओर से आम लोगों का इस्तेमाल ढाल के रूप में करने की पुष्टि की.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स को मोसुल के कुछ निवासियों ने फ़ोन पर बताया था कि आईएस ने कुछ लोगों को उन इमारतों की ओर जाने को कहा है, जिनको हवाई हमले में निशाना बनाया जा सकता है.