यौन ग़ुलामी से भागी महिलाओं को पुरस्कार

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नादिया ने बीबीसी को बताया कि कैसे आईएस के चंगुल से भाग कर आईं
यूरोप का शीर्ष मानवाधिकार सखारोव पुरस्कार इराक़ की दो यज़ीदी महिलाओं को दिया गया है, ये महिलाएं तथाकथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) की यौन दासता के चंगुल से भाग कर आईं थीं.
नादिया मुराद बसी और लामिया अजी-बशर उन हज़ारों यज़ीदी लड़कियों में शामिल थीं जिन्हें आईएस ने यौन ग़ुलाम बनाने के लिए 2014 में अग़वा कर लिया था.
लेकिन दोनों बचकर आ गईं और अब यज़ीदी समुदाय के लिए अभियान चला रही हैं.
मुराद का अपहरण सिंजर के पास एक गांव कोचो से हुआ तब वो 19 साल की थीं.
आईएस चरमपंथी उन्हें मोसुल ले गए जहां उन पर अत्याचार किए गए और उनका बलात्कार किया गया.
वो किसी तरह भागने में कामयाब हो गईं लेकिन उन्होंने अपनी मां और छह भाइयों को सिंजर हत्याकांड में खो दिया.
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आईएस ने सिंजर को सबसे पहले अपने क़ब्ज़े में लिया था.
लामिया अजी-बशर भी कोचो गांव की ही हैं, जब उनका अपहरण हुआ था वो 16 साल की थीं.
20 महीने बंदी बने रहने के दौरान उन्होंने कई बार भागने की कोशिश की और आख़िरकार उन्हें कामयाबी मिल ही गई.
ये पुरस्कार सोवियत वैज्ञानिक आंद्रेई सखारोव की स्मृति में हर साल दिया जाता है.
इन दोनों महिलाओं को यूरोपीय संसद के उदारवादी समूह एएलडीई की ओर से नामांकित किया गया था.
समूह के नेता गी वरहोफ़स्टाट ने बताया, ''ये प्रेरणादायी महिलाएं हैं जिन्होंने क्रूरता के ख़िलाफ़ अविश्वसनीय साहस और मानवता का प्रदर्शन किया है.''
अगस्त 2014 में उत्तरी इराक़ के शहर सिंजर पर आईएस के क़ब्ज़े के बाद हज़ारों यज़ीदियों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा था.
हज़ारों महिलाओं और लड़कियों को युद्ध के बाद लूटे हुए सामान की तरह इस्तेमाल किया गया और आईएस के चरमपंथियों ने सरेआम बाज़ार में इन्हें बेच दिया था.
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