रस्म के नाम पर 'सेक्स' के ख़िलाफ़ संघर्ष

नताशा एनी टोनथोला

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नताशा एनी टोनथोला

जुलाई में बीबीसी ने दक्षिण पूर्वी अफ्रीकी देश मलावी में एक ऐसे शख़्स की तलाश की थी जो रस्म के नाम पर लड़कियों के साथ सेक्स करता था और इसके लिए उसे पैसे दिए जाते थे.

इस शख़्स को 'हायना' कहा जाता है. बाद में इस शख़्स को गिरफ़्तार कर लिया गया था. इस रिपोर्ट के बाद नताशा एनी टोनथोला नाम की एक मलावी महिला ने बीबीसी से संपर्क कर इस रस्म को लेकर अपनी आपबीती बताई.

वो बाद में महिलाओं और लड़कियों को इस रस्म से बचाने की कोशिश में लगी हुई थीं.

यहां पेश है उनकी यह कहानी उन्हीं की ज़ुबानी:-

मैं अपने पांच भाई-बहनों में से सबसे बड़ी हूं और मैं मलावी के एक गांव में पली-बढ़ी हूं जो राजधानी लिलोंगवे से कुछ दूरी पर है.

मैं जब इस रस्म की शिकार हुई तो उस वक़्त मेरी उम्र 13 साल थी.

मेरे पिता का गांव देश के दक्षिणी हिस्से में मुलांजे के नजदीक था. पहली बार पीरियड आने के बाद मुझे वहां इस रस्म को पूरा करने के लिए भेजा गया. आपके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है. गांव में सभी लड़कियों के साथ ऐसा होता है.

हमें कहा गया था कि हमें स्त्रीत्व के अनुभव के बारे में बताया जाएगा और ईमानदारी से कहूं तो मैं इसे लेकर उत्साहित थी. दूसरी लड़कियां भी काफी उत्साहित थीं.

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एनीवा (एक हायना)

आख़िरी दिन एक बड़ी उम्र की महिला ने हमें आकर कहा कि हम इस प्रक्रिया के अब आख़िरी पड़ाव में पहुंच चुके हैं.

उन्होंने बताया कि हायना हमारे पास आ रहा है. फिर उन्होंने कहा, "घबराने की जरूरत नहीं है. मैं किसी जानवर के बारे में नहीं बात कर रही हूं. हायना एक इंसान है."

लेकिन हमें वाकई में पता नहीं था कि हायना किस बला का नाम है और वो क्या करने जा रहा था.

आपको यह नहीं बताया जाता है कि वो आपके साथ सेक्स करने के लिए आ रहे हैं.

हम में से सभी ने अपने-अपने शरीर पर एक कपड़ा डाल रखा था और हमें कहा गया कि हम उसे उतार कर फर्श पर रख दें. हमें कहा गया कि अब समय आ गया है कि आप यह दिखाएं कि आपको किसी मर्द के सामने कैसे पेश आना है.

इसके बाद हमारी आखों पर पट्टी बांध दिया गई. हमें यह कत्तई नहीं दिखाना था कि हम अंदर से डरे हुए या हमारे साथ क्या होने जा रहा है, इसके बारे में बिल्कुल पता नहीं था.

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एनीवा को बीबीसी में छपी ख़बर के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया था.

इसके बाद हायना आता है और आपको नीचे लेट जाने को कहता है. आप अपनी टांगे खोल देती हैं और उसे जो करना होता है, वो करता है.

हमें यह जानने का हक़ नहीं होता कि यह शख़्स कौन है. सिर्फ़ बड़े-बुज़ुर्गों ही उसके बारे में पता होता है.

हम सभी जवान लड़कियां थीं. इसलिए हम काफी तनाव में थे. जब उस शख्स ने मेरे साथ यौन संपर्क किया तो मैं दर्द से तड़प उठी. जब उसने अपना काम ख़त्म कर लिया तब जाकर मुझे राहत मिली.

इसके बाद बुज़ुर्ग महिला मेरे पास आईं और कहा, "बधाई हो, तुमने यह रस्म पूरी कर ली और अब तुम एक औरत बन चुकी हो."

कई लड़कियों को लगता है कि यह एक आम प्रक्रिया है क्योंकि उनकी जहनियत इस तरह से तैयार हो गई रहती है.

हायना ने चूंकि यौन संबंध बनाने में सुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया इसलिए कुछ लड़कियां गर्भवती हो गई.

जब हम घर लौटे तो हमें उन लड़कियों के साथ बात करने और खेलने ने मना कर दिया गया जिनके साथ ये रस्म नहीं हुई थी.

इस रस्म के बाद मेरी ज़िंदगी का ख़राब दौर शुरू हुआ. मेरे पिता जो कि एक पुलिसकर्मी थे, वो चल बसे.

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यहां परंपरा के मुताबिक़ रिवाज है कि मरने वाले के भाई को विधवा से शादी कर लेनी चाहिए लेकिन मेरी मां ने इसे मानने से इंकार कर दिया.

हम इसके बाद दक्षिण अफ़्रीका चले गए. हमारे मामा ने हमें एक नई शुरुआत करने के लिए वहां बुला लिया था.

मैंने अपनी उम्र के बारे में झूठ बोला और वहां मुझे घर में खाना पकाने और सैलून में काम मिल गया लेकिन दिन-रात काम करने के बावजूद मैं अपने लिए ना ही स्कूल फी और ना ही परिवार का खर्चा जुटा पा रही थी.

तभी मेरी मुलाकात मलावी के एक ऐसे शख़्स से हुई जो मुझसे शादी करना चाहता था. वो मेरी स्कूल फी भी भरने को तैयार था. मैं सोलह साल की होने वाली थी और मैं इतनी कम उम्र में शादी नहीं करना चाहती थी.

लेकिन मैं अपनी पढ़ाई किसी भी हालत में पूरा करना चाहती थी. मुझे मेरी मां और मेरे भाई-बहनों की भी फिक्र थी. कड़ी मेहनत करने की वजह से मेरी मां की तबियत ख़राब हो रही थी.

इसलिए मैंने शादी के लिए हां कह दिया और हम सभी मलावी लौट आए.

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समाप्त

हमारी परंपरागत ढंग से शादी हुई और मेरे पति ने मेरे स्कूल और मेरे परिवार का खर्च उठाना शुरू कर दिया. वो मुझसे 15 साल बड़ा था. वो पढ़ा-लिखा था और एक सफल व्यापारी था लेकिन वो हर वक़्त मुझे मारता-पीटता रहता था.

मेरी देह पर अभी तक उसकी मार के निशान मौजूद है.

मैं सत्रह साल की उम्र में गर्भवती हो गई थी लेकिन किस्मत से मेरी बेटी के पैदा होने से पहले ही मेरी परीक्षा हो गई थी.

इसके बाद भी मेरा पति मुझे मारता-पीटता था. एक बार तो गर्भपात होते-होते बचा. जब तक हम साथ रहे उसके दूसरी औरतों के साथ संबंध रहे. मैं टूट चुकी थी.

मैं अपनी ज़िंदगी से तंग आ गई थी. मेरे पति को पता था कि मैं जवान हूं इसलिए कहीं और नहीं जा सकती. मैं बुरी तरह से फंस चुंकी थी.

एक बार फिर से मेरे मामा ने मेरी मदद की. वो जानते थे कि मुझे फैशन का बहुत शौक़ हैं. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में फैशन डिजाइनिंग कोर्स के लिए मेरा दाखिला करवा दिया.

मेरा पति हमेशा कहता था कि अगर मैं भागने की कोशिश की तो वो मुझे मार देगा. इसलिए मुझे झूठ बोलना पड़ा. मैंने उससे कहा कि मैं एक-दो हफ़्ते में वापस आ जाऊंगी. लेकिन मैं वापस नहीं लौटी और अपनी पढ़ाई पूरी की.

मैं वहां एक रेस्टॉरेंट में काम करके अपना गुजारा चलाती थी.

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आख़िरकार मैं एक बार फिर मलावी वापस लौटी और समाज के प्रभावशाली लोगों के लिए डिजाइनिंग का काम शुरू किया.

मैंने एक रेस्टॉरेंट भी खोला. फिर मैंने लड़कियों की कम उम्र में शादी, रीति-रिवाजों और हायना जैसी रस्मों, अनचाहे गर्भ और एड्स पर जागरूकता फैलाने जैसे सामाजिक मुद्दों पर एक संस्था बनाकर काम करना शुरू किया.

मेरे पति को जब पता चला कि मैं वापस मलावी आ चुकी हूं तो वो मेरा पीछा करने लगा. उसने मुझसे कहा, "अगर तुम मेरी नहीं हो सकती तो मैं किसी और की भी तुम्हें नहीं होने दूंगा."

एक दिन वो मेरे घर आया. वो शांत लग रहा था इसलिए मैंने उसे घर के अंदर आने दिया. वो मुझे और अपनी बेटी को देखना चाहता था जो कि उस समय तीन साल की थी.

उसने कहा कि वो मुझसे प्यार करता है और वो अपने किए पर दुखी है. उसने कहा कि अब वो बदल चुका है.

उसने कहा, "हम अब भी शादी-शुदा है. मैंने तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के लिए बहुत कुछ किया है. अगर मैं तुम्हारी मदद नहीं करता तो आज जो तुम हो वो नहीं बन पाती."

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हायना बिना कोई सुरक्षित उपाय के यौन संबंध बनाते हैं जिससे एड्स जैसी बीमारियों का ख़तरा रहता है.

मैंने उससे कहा कि दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँककर पीता है.

मैं उसके साथ वापस नहीं जाना चाहती थी. इसके बाद वो पागलों की तरह चिल्लाने लगा और मेरा गला दबाने लगा. उस वक्त मेरी बेटी मेरे गोद में बैठी थी.

अगर पड़ोसी मेरी चीख सुनकर समय पर नहीं आते तो उसने उस दिन मुझे मार ही दिया था.

जो कुछ भी मेरी ज़िंदगी में हुआ था, मैं जानती थी कि ऐसा दूसरी लड़कियों के साथ भी होता है.

मेरी संस्था लोगों को जागरूक करने का भरसक प्रयास कर रही है लेकिन यह एक मुश्किल काम है. ख़ासकर हायना जैसे रस्मों से निपटना.

लेकिन इन सब के बावजूद मुझे आने वाले वक़्त से उम्मीदें हैं.

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