कई साल बाद भी उस सदमे से नहीं उबर पाया अली
- शुमैला ज़ाफ़री
- बीबीसी संवाददाता

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हुसैन ख़ान वाला गांव पंजाब के सैकड़ों गांवों की तरह है, बिल्कुल सामान्य, मामूली. लेकिन अचानक यह गांव सुर्खियों में आ गया जब एक बच्चे से यौन दुर्व्यवहार का एक वीडियो सामने आया.
अली (बदला हुआ नाम) का जन्म हुसैन ख़ान वाला गांव में ही हुआ. उनका बचपन भी दूसरे बच्चों की ही तरह गलियों और खेतों में खेलते-कूदते गुजरा.
लेकिन एक दिन जब वे स्कूल जा रहे थे, गांव के कुछ लोगों ने उन्हें दबोचा और पास की एक खाली इमारत में ले गए. वहां बंदूक दिखाकर उनके साथ यौन दुर्व्यहार किया गया. इसके साथ ही इस पूरी घटना का वीडियो भी बना लिया गया.
इस घटना को हुए छह साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन यह पूरा वाक़या बताते हुए अली का चेहरा दुख से भरा हुआ था. वह बार बार अपने हाथों को मसल रहे थे.
अली ने बीबीसी से कहा, "मैं 12 साल का था और जो हो रहा था वह मेरी समझ से बाहर था. उन्होंने मुझे यौन शोषण का निशाना बनाने से पहले नशीला इंजेक्शन लगाया और मुझे धमकी दी कि मैं अपना मुंह बंद रखूं. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि यदि मैंने किसी से इस घटना का जिक्र किया तो वह मेरे वीडियो सार्वजनिक कर देंगे."
अली कई साल तक चुप रहे. उनके घर वालों को कुछ पता नहीं था, न ही उनके दोस्तों को कुछ मालूम. लेकिन उनके साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाला गिरोह लगातार उनके संपर्क में था.
साल 2009 से 2011 तक अली के साथ वो गिरोह लगातार यौन शोषण, हिंसा और ब्लैकमेल का निशाना बनता रहा.
बाद में वो अपने गांव को छोड़कर कामकाज की खोज में लाहौर चले गए.
अली ने कहा, "मैंने तंग आकर एक बार आत्महत्या करने की कोशियश भी की. मैंने ज़हर की गोलियां खा लीं. लेकिन मेरा चचेरे भाई मुझे अस्पताल ले गया जहां उन्होंने मेरा पेट साफ किया और मैं बच गया."
गांव छोड़ने के बावजूद अली की मुश्किल दूर नहीं हुई. गिरोह यहाँ भी संपर्क में रहा और कई वर्षों तक अली अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा महज इसलिए गिरोह को देते रहे ताकि वो वीडियो को सार्वजनिक ना करे.

पुलिस पर आरोप है कि उसने मामले को दबाने की कोशिश की (फ़ाइल फ़ोटो)
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दो साल बाद 2013 में अली को गांव से उनके भाई ने फ़ोन किया और बताया कि उनके साथ हुए यौन दुर्व्यवहार का वीडियो गांव में मोबाइल फ़ोन पर आम हो चुका है. अली को तब पता चला कि गांव में दर्जनों लड़के इस गिरोह का शिकार हुए हैं.
स्थानीय चैनलों के अनुसार, मीडिया में इसके सामने आने के बाद हुसैन ख़ान वाला से बच्चों से यौन दुर्व्यवहार के 300 वीडियो बरामद हुए.
अली के अनुसार यह वीडियो गिरोह के सदस्यों के बीच हुई एक लड़ाई के बाद नाराज लोगों ने आम कर दिया.
अली और उनके परिवार ने ब्लैकमेल होने के बजाय गिरोह का सामना करने का फ़ैसला किया.
उन्होंने कहा, "हमने तमाम सूचनाएं इकट्ठी कीं. फ़ेसबुक गिरोह के सदस्यों की तस्वीरें डाउनलोड कीं और वीडियो के क्लिप्स जुटाने शुरू किए. मैं और भाई ने ऐसे 98 वीडियो इकट्ठे कर लिए, जिनमें 39 बच्चों से दुर्व्यवहार किया गया था."
अली को उनके प्रयासों में मुबीन जनवी की मदद मिली. मुबीन का संबंध भी हुसैन ख़ान वाला से है. उनके कुछ रिश्तेदार बच्चे भी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए. वह गांव में स्वैच्छिक गतिविधियों में आगे रहे थे और अब स्थानीय चुनावों में अध्यक्ष चुने जा चुके हैं.
मुबीन कहते हैं कि यह एक संगठित आपराधिक समूह था, जिसका संबंध गांव के एक प्रभावशाली परिवार से था. साल 2013 में वीडियो सामने आने के बावजूद पीड़ितों में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे उनके खिलाफ खड़े हो सकें.
मुबीन ने अली और उनके परिवार के साथ गिरोह के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ देने का फ़ैसला किया है. वे घर घर घूम कर लोगों से कह रहे हैं कि वे इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं.
मुबीन ने कहा, "उस गिरोह को स्थानीय सांसद और पुलिस की सरपरस्ती हासिल थी. लोग डरे हुए थे. पुलिस एफ़आईआर तक रजिस्टर करने को तैयार नहीं थी, बल्कि वह तो मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी."
अंत में पीड़ितों ने हुसैन ख़ान वाला आने वाली मुख्य राजमार्ग पर विरोध प्रदर्शन किया और इसे जाम कर दिया. प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस की झड़प भी हुई. इसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिस अफ़सर घायल हो गए. फिर यह मामला अंतरराष्ट्रीय मीडिया के ध्यान में आया. मानवाधिकार संगठनों और जनता ने सरकार पर दबाव बढ़ाया तो पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी.
कई साल तक भय और शर्म में बिताने के बाद अब अली अपना जीवन नए सिरे से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं.
अली ने बताया, "जब मेरे माता पिता को पता चला कि मैं किस पीड़ा से गुज़रा हूँ तो वे बहुत रोए. मुझे अपना खोया हुआ विश्वास बहाल करने और इस बारे में बात करने में कई साल लग गए. मैं तो यही सोचता था कि अगर मेरे माता-पिता परिवार और दोस्तों को पता चला तो वे क्या सोचेंगे."
कुछ महीने पहले आतंकवाद विरोधी अदालत ने दो दोषियों को उम्र कैद और तीन लाख रुपए के जुर्माने की सज़ा सुनाई. एफ़आईआर में नामजद सभी आरोपी इस समय जेल में हैं. इन मामलों की सुनवाई हो रही है.