अमरीका: उत्साह से क्यों लबरेज़ हैं मुस्लिम वोटर?

  • सलीम रिज़वी
  • न्यूयॉर्क से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
अमरीका में मुसलिम संगठन

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मुस्लिम संस्थाएं मुस्लिम वोटरों को मतदान के दिन भारी संख्या में वोट डालने को कह रही हैं

इस बार अमरीका में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव में मुस्लिम वोटरों में ख़ासा जोश देखा जा रहा है. चुनाव से पहले कई मुस्लिम संस्थाएं मुस्लिम वोटरों को 8 नवंबर को मतदान के दिन भारी संख्या में वोट डालने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

मुसलमानों में यह जोश इसलिए भी है कि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप के मुसलमानों से संबंधित कुछ बयानों से बहुत से मुसलमान अमरीकी बेहद नाराज़ हैं औऱ साथ ही विचलित भी.

बहुत से अमरीकी मुसलमानों को लगता है कि उन्हें ख़ासकर निशाना बनाया जा रहा है. अमरीका में करीब 33 लाख मुसलमान रहते हैं. एक ताज़ा सर्वेक्षण के अनुसार, अमरीका में 86 प्रतिशत मुसलमान वोट देने का इरादा रखते हैं.

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इसी सर्वेक्षण के मुताबिक मुसलमानों में 67 फ़ीसद वोटर डेमोक्रेटिक पार्टी के हिमायती हैं. सिर्फ़ 6% मुसलमान ही रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन करते हैं. दूसरी ओर, 18 प्रतिशत मुस्लिम वोटर किसी पार्टी के साथ फ़िलहाल नहीं हैं.

इसीलिए, न्यूयॉर्क जैसे कई शहरों में मुस्लिम समुदाए की विभिन्न संस्थाएं उन्हें वोटिंग के लिए प्रेरित करने के मक़सद से विशेष कैंप भी लगा रही हैं.

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मुस्लिम वोटरों से फ़ोन कर कहा जा रहा है कि वो बड़ी तादाद मे वोट डालें

फ़ोन बैंकिंग के इन कैंपों में वॉलंटियर चुनाव के लिहाज़ से अहम प्रांतों में फ़ोन करके खासकर मुस्लिम वोटरों से कह रहे हैं कि वह अपने क्षेत्र में वोट डालने ज़रूर निकलें.

न्यूयॉर्क की एक गैर सरकारी संस्था अरब अमेरीकन एसोसिएशन ऑफ़ न्यूयॉर्क में भी ऐसे ही कार्यक्रम में 20 वॉलंटियर मुस्लिम वोटरों को फ़ोंन करके जानकारी देने में व्यस्त हैं.

अरब अमेरीकन एसोसिएशन ऑफ़ न्यूयॉर्क में आयोजित फ़ोन बैंकिंग कार्यक्रम के एक आयोजक अली नजमी कहते हैं, "हम मुसलमान वोटरों को यही बता रहे हैं कि इस बार के चुनाव बहुत ही अहम हैं. यह मुसलमानों के लिए ज़्यादा अहम हैं, क्योंकि मुसलमानों के ख़िलाफ़ एक उम्मीदवार तरह-तरह की बातें कह रहे हैं."

वो आगे कहते हैं, "मुसलमानों पर प्रतिबंध लगाने की बात हो रही है. अमरीका में ज़्यादातर मुसलमान इस बार वोट डालने निकलेंगे. हमें इस बार अपनी चुनावी ताकत दिखानी है. हमे साबित करना है कि हम चुनाव पर असर डाल सकते हैं."

नजमी बताते हैं कि फ़्लोरिडा जैसे अहम प्रांत में मुस्लिम वोटरों को फ़ोन करके भारी संख्या में वोट डालने की अपील की जा रही है. फ़्लोरिडा में चुनाव में हिलेरी क्लिंटन और डोनल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है.

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अरब अमेरीकन एसोसिएशन ऑफ़ न्यूयॉर्क के अली नजमी, "इस बार के चुनाव मुसलमानों के लिए ज़्यादा अहम हैं."

एक सर्वेक्षण के अनुसार, फ़्लोरिडा में हिलेरी क्लिंटन को 49 प्रतिशत वोटरों का समर्थन हासिल है, जबकि ट्रंप का समर्थन 47 फ़ीसद लोग कर रहे हैं.

फ़्लोरिडा के अलावा पेनसिलवेनिया, नेवादा, ओहायो, जैसे अहम प्रांतों में भी मुस्लिम वोटरों से अपना असर दिखाने की अपील की जा रही है.

इन अहम प्रांतों में रजिस्टर्ड मुस्लिम वोटरों की सूची लेकर बैठे यह वोलंटियर वोटरों को उनके क्षेत्र में पोलिंग स्टेशन का पता बता रहे हैं, उनके इलाक़े में वोटिंग का समय बता रहे हैं. यहां तक कि वोटर अपने पोलिंग स्टेशन कैसे पहुंचे इसकी भी जानकारी दी जा रही है.

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एक कार्यकर्ता रूबीना अब्दुल कहती हैं,"जब हम फ़ोन करते हैं तो बहुत से लोग तो काफ़ी उत्साह से जवाब देते हैं, उन्हें अच्छा लगता है कि हम लोग खासकर फ़ोन करके वोट डालने की अपील कर रहे हैं. उन्हे पोलिंग से संबंधित विभिन्न जानकारी दे रहे हैं. "

वो आगे कहती हैं, "वहीं कुछ लोग इस बात पर परेशान हो जाते हैं कि आप को कैसे पता चला कि हम मुसलमान हैं. मुझे लगता है कि एक अमरीकी शहरी की हैसियत से यह मेरी ज़िम्मेदारी है कि अपने समुदाए के लोगों को प्रेरित करूं कि वह इस अहम चुनाव में वोट डालने ज़रूर निकलें."

कई मुसलिम संस्थाओं ने पोलिंग के दिन चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की अनियमितता के बारे में सूचित करने के लिए विशेष फ़ोन नंबर भी जारी किया है. अहम प्रांतों में मुसलिम वोटरों से कहा जा रहा है कि उन्हे अगर वोट डालने में परेशानी हो रही है तो फ़ोन के ज़रिए संपर्क करें.

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