आठ साल की उम्र में ज़बानी याद है क़ुरान
- शबनम महमूद
- बीबीसी एशिया नेटवर्क

आठ साल के किसी बच्चे के लिए एक अच्छी-ख़ासी मोटी किताब पढ़कर ख़त्म करना एक बेहद मुश्किल काम है.
लेकिन ल्युटॉन की एक आठ साल की मुस्लिम बच्ची मारीया असलम ने पूरा क़ुरान ही ज़बानी याद कर रखा है और अब वो दूसरों को क़ुरान की तालीम देती हैं.
मारिया असलम को 'इजाज़ा' से नवाज़ा गया है. इजाज़ा से नवाजे जाने का मतलब हुआ कि उन्हें पाक किताब को याद करने और उसे सुनाने में महारत हासिल है.
क़ुरान में 114 चैप्टर है और 75000 शब्द.
सोशल मीडिया पर मारिया के प्रशंसकों की लंबी तदाद है. अब मारिया ऑनलाइन ट्यूटोरियल शुरू करने जा रही हैं.
मारिया इस बारे में कहती हैं, "मैं बहुत ख़ुश हूं. मेरे ऊपर एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई है. मैं अपनी योग्यता के मुताबिक़ इसे पूरा करने की भरपूर कोशिश करूंगी."
मारिया ने पांच साल की उम्र से क़ुरान पढ़ना शुरू किया था.
मारिया कहती हैं, "एक मुस्लिम होने के नाते हमें क़ुरान पढ़ना होता है इसलिए मैंने क़ुरान पढ़ना शुरू किया. मुझे यह आसान लगा और इसके बाद मैंने इसे याद करना शुरू किया."
मारिया की अम्मी
मारिया की अम्मी के लिए यह फ़ख़्र की बात है. मारिया को इस मुक़ाम तक पहुंचाने में उनका हमेशा साथ रहा है.
मारिया की अम्मी उनके मारिया के बारे में कहती हैं, "यह सब मारिया के लिए उतना मुश्किल नहीं था. वह टीवी भी देखा करती है और खिलौनों के साथ खेला भी करती हैं. दोनों में एक संतुलन है."
मारिया को पहले से ही फ़ेसबुक पर तकरीबन नब्बे हज़ार लोग फॉलो करते हैं. दर्जनों लोग क़ुरान को समझने के लिए उनसे नियमित रूप से संपर्क करते हैं.
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