कौन हैं जनरल क़मर जावेद बाजवा?

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पाकिस्तान में अगला सेना प्रमुख कौन होगा, इससे जुड़ा सस्पेंस ख़त्म हो गया है.
28 नवंबर को मौजूदा सेना प्रमुख राहिल शरीफ़ रिटायर हो रहे हैं और लेफ्टिनेंट जनरल क़मर जावेद बाजवा को उनका उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया है.
बलूच रेजीमेंट से ताल्लुक़ रखने वाले जनरल बाजवा पाकिस्तान के 16वें सेना प्रमुख होंगे.
बीबीसी उर्दू सेवा के हारून रशीद ने बताया कि ये कोई चौंकाने वाला फ़ैसला नहीं है. जो वरिष्ठ अधिकारी इस पद की दौड़ में थे, उनमें से ही चयन हुआ है.
उन्होंने कहा, ''जनरल क़मर जावेद बाजवा मज़बूत दावेदार थे और चार जनरल इस पद की दौड़ में थे, वो चारों 1980 बैच के हैं. बलूच रेजीमेंट से ताल्लुक़ रखते थे.''
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हारून रशीद के मुताबिक, ''इस ओहदे पर आने से पहले वो सेना मुख्यालय में इंस्पेक्टर जनरल, ट्रेनिंग एंड इवैलुएशन का पदभार संभाल रहे थे.''
उन्होंने बताया, ''कहा जाता है कि बॉर्डर पर फ़ौज के जो अभ्यास हाल में हुए हैं, वो बाजवा ने ही डिजाइन किए थे और वो उन इलाकों के दौरे भी करते रहे हैं''
हारून रशीद ने बताया कि जनरल बाजवा के बारे में ज़्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि वो राहिल शरीफ़ की विरासत को ही आगे बढ़ाएंगे.
उन्होंने बताया, ''पिछले तीन साल में पाकिस्तान में चरमपंथी हिंसा में कमी आई है. जो चरमपंथी पाकिस्तानी सरकार के ख़िलाफ़ हमले कर रहे थे, उन पर काबू पाया गया है. इन्हीं तमाम चीज़ों को लेकर वो आगे बढ़ेंगे. जनरल बाजवा के लिए ये बड़ी चुनौती होगी.''
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जनरल ज़ुबैर हयात और जनरल क़मर बाजवा, दोनों रेस में शामिल थे
पाकिस्तान की सियासत में वहां की फ़ौज का बड़ा हाथ रहता है, ऐसे में जनरल बाजवा का क्या रुख़ रहेगा, हारून रशीद ने बताया, ''पाकिस्तान की सियासत में फ़ौज का ऐतिहासिक रोल रहा है. नेताओं से बातचीत को लेकर भी. मेरे ख़्याल से इस चलन में कोई फ़र्क नहीं आएगा.''
उन्होंने बताया, ''सेना का हर जनरल अपनी फ़ौज का हित सबसे ऊपर रखता है. फिर जो उनसे हिसाब से देशहित होता है, उसकी पूरी सुरक्षा करते हैं और ये भी चाहते हैं कि हर कोई उसका पालन करे. अगर पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व इन दोनों मुद्दों पर उनसे सहमत रहेगा, तो कोई मसला होगा ऐसा नहीं लगता.''
हारून रशीद मानते हैं, ''जिस तरह प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और राहिल शरीफ़ ने अच्छे से तीन साल गुज़ार लिए, वैसा ही कुछ रहना चाहिए. नवाज़ शरीफ़ के लिए चुनौती ये है कि उन्हें पांच साल पूरे करने हैं, ऐसे में शुरुआत में ज़रा नरमी दिखानी होगी. ऐसे में लगता नहीं कि दोनों तरफ़ से कोई तनाव पैदा करने की मंशा होगी. एक-दूसरे को साथ लेकर चलने की ही कोशिश रहेगी.''
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जानकारों का मानना है कि बाजवा, राहिल शरीफ़ की विरासत आगे बढ़ाएंगे
भारत को लेकर जनरल बाजवा की संभावित नीति के बारे में हारून रशीद कहते हैं, ''वरिष्ठ पदों पर बैठे जनरल आम तौर पर मीडिया से बातचीत नहीं करते. हां, ये कह सकते हैं कि जनरल राहिल शरीफ़ की जो नीति रही है, पिछले 60-70 साल में जो पाकिस्तानी फ़ौज की नीति रही है, वही जारी रहने की उम्मीद है. कश्मीर को लेकर राय में भी किसी तरह की तब्दीली का अंदाज़ा नहीं है.''
आम तौर पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख अपना पद आसानी से नहीं छोड़ते, ऐसे में क्या माना जाए कि जनरल बाजवा, राहिल की ही पसंद थे, उन्होंने बताया, ''फ़ौज जो नाम देती है, सरकार उनमें से चुनती है. ऐसा लगता है कि बाजवा को लेकर नवाज़ शरीफ़ और राहिल शरीफ़ के बीच लंबी बातचीत हुई होगी. इस नाम पर सहमति बनी होगी.''