मोदी-ग़नी पाकिस्तान से दुश्मनी में एक: पाक मीडिया

  • इक़बाल अहमद
  • बीबीसी संवाददाता
हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन

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इस हफ़्ते भारत और पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों की बात की जाए तो पाकिस्तान में यात्री विमान हादसा, पनामा पेपर्स केस, हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन, नोटबंदी, ट्रिपल तलाक़ जैसे मुद्दे सुर्ख़ियों में रहे.

पहले बात पाकिस्तानी अख़बारों की.

अमृतसर में हुए हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी का बयान सभी अख़बारों में छाया रहा.

ग़नी ने सम्मेलन में पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चरमपंथी संगठनों को अपनी धरती पर पनाह देता है. पाकिस्तान की तरफ़ से अफ़ग़ानिस्तान को आर्थिक मदद देने की पेशकश को भी अशरफ़ ग़नी ने ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि इस पैसे को अफ़ग़ानिस्तान को देने के बजाय ज़्यादा बेहतर ये होगा कि पाकिस्तान इसका इस्तेमाल अपने यहां सक्रिय चरमपंथी संगठनों पर क़ाबू पाने के लिए करे.

रोज़नामा दुनिया ने इस पर शीर्षक लगाया है, ''मोदी-ग़नी पाकिस्तान से दुश्मनी में एक''.

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अशरफ़ ग़नी

अख़बार नवा-ए-वक़्त ने लिखा है, ''अशरफ़ ग़नी का बयान निंदनीय, किसी एक देश को दहशतगर्दी का ज़िम्मेदार न ठहराया जाए''.

वहीं रोज़नामा जंग ने सुर्ख़ी लगाई है, ''हॉर्ट ऑफ़ एशिया इल्ज़ामों का प्लेटफ़ॉर्म''.

अमरीका ने कहा है कि चरमपंथी गिरोह हक़्क़ानी नेटवर्क पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल कर रहा है. अख़बार 'जंग' के अनुसार अमरीकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा है कि इस सिलसिले में अमरीकी चिंताओं से पाकिस्तान को आगाह कर दिया गया है.

पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया है कि वो अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल उसके ख़िलाफ़ कर रहा है.

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हक़्क़ानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक़्क़ानी

रोज़नामा 'दुनिया' के अनुसार पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफ़ीस ज़करिया ने कहा है कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ अफ़ग़ान सरज़मीन इस्तेमाल करके पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियां करा रही है.

भारत-पाकिस्तान के बीच दोबारा बातचीत शुरू करने के बारे में पाकिस्तानी प्रवक्ता का कहना था, ''हम सिर्फ़ बात करने के उद्देश्य से बात नहीं करना चाहते. पाकिस्तान भारत के साथ ऐसी बातचीत करना चाहता है जिसका कोई नतीजा निकले और जिसका आधार मज़बूत हो.''

अमरीकी रक्षा मंत्री इशटन कार्टर के भारत दौरे से जुड़ी ख़बर भी पाकिस्तानी अख़बारों में छाई रही.

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इशटन कार्टर

अख़बार 'जंग' ने अमरीकी रक्षा मंत्री के हवाले से लिखा है कि भारत और अमरीका का सामरिक पार्टनर बनना नियती में लिखा है.

अख़बार के अनुसार इशटन कार्टर और भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की मुलाक़ात के बाद कार्टर ने कहा कि उन्हें पूरा यक़ीन है कि रक्षा मामलों में भारत और अमरीका की साझेदारी 21वीं सदी की अहम साझेदारी होगी.

भ्रष्टाचार से जुड़े पनामा पेपर्स मामले में तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी के प्रमुख इमरान ख़ान ने कहा है कि वो इसकी जांच के लिए किसी आयोग के गठन के ख़िलाफ़ हैं.

रोज़नामा 'एक्सप्रेस' के अनुसार इमरान ख़ान ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच इस मामले की रोज़ाना सुनवाई करे और जल्द फ़ैसला सुना दे.

इमरान ख़ान ने कहा कि तमाम इदारे किसी न किसी तरह से सरकार के नियंत्रण में हैं इसलिए वो किसी भी आयोग को तभी स्वीकार करेंगे जब प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ पहले इस्तीफ़ा देकर अपने पद से हट जाएं.

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ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के चितराल शहर से राजधानी जा रहे यात्री विमान के हादसे से जुड़ी ख़बर भी सुर्ख़ियों में रही.

इस हादसे में विमान में सवार सभी 48 लोग मारे गए थे जिनमें पाकिस्तान के मशहूर पूर्व पॉप गायक जुनैद जमशेद भी शामिल थे.

रोज़नामा 'दुनिया' के अनुसार पाकिस्तान में विमान हादसे का एक लंबा इतिहास है और ज़्यादातर जांच रिपोर्टों में पायलट की योग्यता पर सवाल उठाए गए हैं.

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भारतीय अख़बारों की बात की जाए तो नोटबंदी का मुद्दा तो छाया ही रहा लेकिन उसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज़रिए ट्रिपल तलाक़ पर दिया गया एक फ़ैसला भी सुर्ख़ियां बटोरने में कामयाब रहा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान एक बार में दिए गए तीन तलाक़ पर सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ये मुसलमानों के धार्मिक ग्रन्थ क़ुरान में बताए गए तलाक़ के तरीक़े के बिल्कुल ख़िलाफ़ है.

रोज़नामा 'सहारा' ने अदालत के फ़ैसले को सुर्ख़ी लगाते हुए लिखा है, ''तीन तलाक़ इस्लामी मूल्यों के विपरीत''.

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फ़ोन पर तीन तलाक़, उठे कई सवाल

रोज़नामा 'जदीद ख़बर' ने लिखा है, ''तीन तलाक़ असंवैधानिक और क्रूरतापूर्ण हैं''.

'हिंदोस्तान एक्सप्रेस' ने लिखा है, ''तीन तलाक़ और मुस्लिम पर्सनल लॉ पर इलाहाबाद हाईकोर्ट हमलावर''.

नोटबंदी के मामले पर अख़बार 'सहाफ़त' ने एक संपादकीय लिखा है जिसका शीर्षक है, ''बैंकिंग सिस्टम पर भ्रष्टाचार के साए''.

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अख़बार लिखता है कि एक तरफ़ तो देश के लोग बैंकों में जमा अपने ही पैसे को निकालने के लिए परेशान हो रहे हैं और लंबी-लंबी लाइनों में सुबह से शाम तक खड़े हुए नज़र आ रहे हैं और दूसरी तरफ़ कुछ बैंकों के अधिकारी काले धन को सफ़ेद करने और काले धन वालों की मदद करते हुए पाए गए हैं.

अख़बार लिखता है कि इस मामले ने ये साबित कर दिया है कि देश की बैंकिंग व्यवस्था में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार मौजूद है.

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