क़तर में नहीं चलेगी 'बंधुआ मज़दूरी'

कतर में एक कंस्ट्रक्शन मजदूर

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क़तर अपने यहां 'बंधुआ मज़दूरी' की उस प्रथा को बंद करने जा रहा है जिसके तहत विदेश से आए किसी कामगार को अपनी नौकरी बदलने के लिए 'मालिक' से मंज़ूरी लेनी पड़ती है.

वर्तमान में वहाँ जो प्रणाली प्रचलित है उसके तहत कामगार अपने उस नियोक्ता की मर्जी के बगैर नौकरी नहीं बदल सकता जिसने क़तर में उसकी नौकरी प्रायोजित की हो.

क़तर में इसे 'कफ़ाला सिस्टम' कहा जाता है. नया कानून मंगलवार से लागू हो जाएगा.

कतर में एक कंस्ट्रक्शन मजदूर

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क़तर ने कहा है कि नया क़ानून कॉन्ट्रैक्ट आधारित होगा. यह पहले से ज़्यादा सुगम और सुरक्षित होगा.

'कफ़ाला सिस्टम' को मानवाधिकार कार्यकर्ता मौजूदा दौर की गुलामी वाली व्यवस्था भी कहते हैं.

2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप की तैयारियों के मद्देनजर क़तर में लाखों मज़दूरों को काम मिला है.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कामकाज की खराब परिस्थितियों के कारण इनमें से कई मज़दूरों को जान गंवानी पड़ी है.

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