सीरिया के अलेप्पो में घमासान संघर्ष, संकट में संघर्ष विराम

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सीरिया के अलेप्पो में विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाके में बुधवार को धुआं उठता देखा गया.
सीरिया के अलेप्पो से मिली ख़बरों के मुताबिक पूर्वी अलेप्पो में भारी गोलीबारी जारी है. इसकी वजह से विद्रोही लड़ाकों और आम लोगों को बाहर निकालने की प्रक्रिया थम गई है.
अलेप्पो में मंगलवार को संघर्ष विराम का एलान हुआ था. इसके बाद फंसे लोगों को निकालने के लिए बसें लगाई गई थीं.
लेकिन बुधवार को संघर्ष दोबारा शुरू हो गया. सीरिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाकों में हवाई हमले शुरू हो गए हैं.
ब्रिटेन स्थित निगरानी समूह सीरियन ऑब्ज़र्वेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स के निदेशक रामी अब्दुलरहमान के मुताबिक, "जोरदार संघर्ष जारी है और बड़े पैमाने पर बम गिराए जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि सबकुछ (संघर्षविराम) खत्म हो चुका है."
रूस और तुर्की की मध्यस्थता में तैयार हुई संघर्ष विराम समझौते में गतिरोध के लिए सीरिया सरकार की मांग को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैय्यप अर्दोआन ने सीरिया की सेना पर समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आम लोगों को बाहर निकलने की इजाज़त मिलनी चाहिए.
पूर्वी अलेप्पो पर साल 2012 से विद्रोहियों का कब्ज़ा है. रूस के लड़ाकू विमानों की मदद से सरकार ने हाल के महीनों में विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाकों में जोरदार अभियान चलाया है जिससे विद्रोहियों के कब्ज़े में पहले के मुक़ाबले छोटा ही हिस्सा रह गया है.
पिछले कुछ दिनों में सरकारी सेनाओं ने अहम बढ़त हासिल की है. रूसी सेना ने बुधवार को जानकारी दी कि विद्रोहियों को शहर के 2.5 वर्ग किलोमीटर हिस्से तक सीमित कर दिया गया है.
मंगलवार देर रात संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत विटाली चुरकिन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आपातकालीन सत्र में जानकारी दी, "पूर्वी अलेप्पो में सेना की कार्रवाई पूरी हो चुकी है."
लोगों को बाहर निकालने के लिए हुए समझौते के तहत पूर्वी अलेप्पो से आम लोगों और विद्रोहियों को उत्तरी सीरिया के विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाकों में जाने की इजाज़त दी जानी थी.
लोगों के बाहर निकालने की कार्रवाई स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 5 बजे शुरू होनी थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका. इसके कई घंटे के बाद हमला दोबारा शुरु होने की ख़बरें आईँ.
सीरिया के सहयोगी रूस का कहना है कि विद्रोहियों ने समझौते का उल्लंघन किया. इसके बाद सीरिया की सेना ने दोबारा फायरिंग शुरु की.
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लोगों को बाहर निकालने के लिए बसें लाई गईं थीं लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं हो सका.
सीरिया टीवी ने जानकारी दी कि विद्रोहियों ने शहर के सरकार के हिस्से वाले इलाके में रॉकेट दागे. ख़बर में जानकारी दी गई कि हमले में कम से कम छह लोग मारे गए हैं.
पूर्वी अलेप्पो में रहने वाले लोग कई हफ्तों से जारी बमबारी के बीच खाने के सामान और ईधन की भारी दिक्कत का सामना कर रहे हैं. शहर ज्यादातर अस्पताल मलबे में तब्दील हो चुके हैं.
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक संघर्ष दोबारा शुरु होने के पहले बाहर निकलने के इंतज़ार में आम लोग अपने सामान के साथ सड़कों पर जमा हो गए थे.
घेरेबंदी वाले हिस्से से कुछ जानकारियां बाहर आ रही हैं.
बचाव समूह व्हाइट हेलमेट्स के प्रवक्ता इब्राहिम अबु लैथ ने बताया कि पूर्वी अलेप्पो में 40 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
एक स्थानीय निवासी जोहैर ने बीबीसी को बताया कि वहां पूरी तरह अफरातफरी की स्थिति है.
उन्होंने कहा, "हमें ये जानकारी नहीं है कि कितने लोग हताहत हुए हैं और ये भी पता नहीं है कि क्या उनकी मदद के लिए कोई मौजूद है."
एक मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद अल खातिब ने एएफपी को बताया, "बमबारी जारी है. कोई हिल भी नहीं सकता है. घायल और मृत लोगों के शव सड़कों पर पड़े हैं."
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संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा था कि उसके पर विश्वसनीय सबूत हैं कि चार इलाकों में सरकार समर्थित सेनाओं की कार्रवाई में 82 आम लोग मारे गए हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना था कि हो सकता है कि कई और लोग मारे गए हों.
सीरिया की सरकार और रूस ने इस आरोपों को गलत बताया था.
इस बीच बीबीसी को जानकारी मिली है कि पश्चिमी सेनाएं अलेप्पो और सीरिया के दूसरे शहरों में संभावित युद्ध अपराधों के सबूत जुटाने के लिए सेटेलाइट और मानव रहित विमानों का इस्तेमाल कर रही हैं.
ये साफ नहीं है कि जिस इलाके की नाकेबंदी की गई है वहां कितने लोग हैं. संयुक्त राष्ट्र के दूत स्टीफान डि मिस्तूरा के मुताबिक करीब 50 हज़ार लोग फंसे हुए हैं.
उनका कहना है कि करीब 15 सौ विद्रोही लड़ाके हैं. इनमें से करीब 30 फीसदी पूर्व के अल नुसरा फ्रंट से जुड़े रहे लोग हैं.
दूसरे स्थानीय सूत्रों का कहना है कि फंसे हुए लोगों की संख्या एक लाख हो सकती है. इनमें से कई वो लोग हैं जो हाल में सरकार की अधिकार में आए इलाकों से आए हैं.
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