तुर्कीः महिला सैनिक पहन सकेंगी हिजाब

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अब पुलिस औऱ सैन्य महिलाएं पहन सकेंगी हिजाब
तुर्की में महिला सैनिक अब हिजाब पहन सकेंगी, सरकार ने हिजाब पहनने पर लगी पाबंदी हटा ली है.
तुर्की में सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर 1980 से ही प्रतिबंध है.
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सेना वो आख़िरी संस्था है जहां हिजाब पर लगी पाबंदी हटाई गई है.
हुर्रियत डेली न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक़ नया नियम नियमित महिला सैन्य अधिकारियों, ग़ैर कमीशन अधिकारियों और महिला कैडेट पर लागू होगा.
हिजाब का रंग वर्दी जैसा होगा और टोपी के नीचे इसे महिलाएं पहन सकेंगी. हालाँकि चेहरा ढकने की इजाज़त नहीं होगी. सरकारी गजट में प्रकाशित होने के बाद यह आदेश लागू हो जाएगा.
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तुर्की में हिजाब बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है
तुर्की में छिड़ी हिजाब पर बहस
हिजाब का मुद्दा तुर्की में कई सालों से बहस का विषय रहा है.
धर्मनिरेपक्षतावादी लोग हिजाब को धार्मिक रुढ़िवाद का प्रतीक मानते हैं . वो इसके ज़रिए राष्ट्रपति रचेप तैय्यप एर्दोआन पर इस्लामिक एजेंडा थोपने का आरोप लगाते हैं.
उनका ये भी आरोप है कि एर्दोआन 'पवित्र पीढ़ी' को बढ़ावा देने के संकल्प की आड़ में कई सरकारी स्कूलों को धार्मिक स्कूल बना रहे हैं.
राष्ट्रपति एर्दोआन का तर्क है कि हिजाब पर प्रतिबंध हमारे अतीत की निशानी का अनादर है.
पिछले 10 साल में स्कूलों , विश्वविद्यालयों, सिविल सर्विस और पिछले साल अगस्त में पुलिस विभाग में हिजाब ना पहनने का प्रतिबंध हटाया गया है.
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तुर्की में हिजाब पहनने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी
आधुनिक और रूढ़िवादी विचारधारा का टकराव
इस्तांबुल से बीबीसी के मार्क लोवेन का कहना है कि इस फ़ैसले के बाद तुर्की का धर्मनिरपेक्ष पक्ष ख़ुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है.
राष्ट्रपति एर्दोआन पर आरोप लग रहा है कि वो रूढ़िवादिता और धार्मिकता के आधार पर सरकार चला रहे हैं.
बीबीसीहमारे संवाददाता का कहना है कि तुर्की में धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का टकराव पुराना है लेकिन अब इस पर पहले से कहीं ज़्यादा बहस होने लगी है.
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