बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी को बचाने के लिए नेपाल सरकार से गुहार
- माधव नेपाल
- बीबीसी नेपाली सेवा

इमेज स्रोत, SURENDRA PHUYAL
लुंबिनी के पास लगे कारखानों से होने वाले प्रदूषण से विश्व धरोहर का दर्जा पाए लुंबिनी को लगातार नुकसान पहुंच रहा है.
लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी सुरेंद्र मुनि शाक्य ने सरकार से अपील की है कि इन कारखानों को यहां से कहीं और हटाया जाए.
ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुरेंद्र मुनि शाक्य कहते हैं, "हाल के सालों में सीमेंट और स्टील की फ़ैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषक ने बुद्ध की जन्मभूमि को बहुत नुकसान पहुंचाया है."
लुंबिनी से जुड़ने वाले नज़दीकी शहर भैरावा की मुख्य सड़कों पर लगे पेड़-पौधे सालों भर धूल से ढके देखे जा सकते हैं.
सुरेंद्र मुनि शाक्य कहते हैं, "लुंबिनी को प्रदूषण के ख़तरे से बचाने के लिए कारखानों को कहीं और स्थापित करना चाहिए. सरकार को ख़ुद इसमें पहलक़दमी करनी होगी."
लुंबिनी नेपाल के पश्चिमी हिस्से के दक्षिणी भाग में स्थित है. ये भारत की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है.
इस क्षेत्र में कई कारखाने लगे हुए हैं. सच्चाई यह है कि पिछले एक दशक में सरकार ने इस क्षेत्र में औद्योगिकरण को बढ़ावा दिया है.
इसके बाद आवाजाही की सुगमता के अलावा बिजली और जगह की उपलब्धता के कारण यहां खूब कारखाने खुले.
इतना गंदा क्यों हो गया बुद्ध का जन्म स्थान?
नतीजतन लुंबिनी के विश्व धरोहर स्थल से कुछ ही किलोमीटर पर एक दर्जन सिमेंट की फैक्ट्रियां और कई सारे ईंट भट्टे यहां खुल गए.
बाद में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से सरकार ने यहां से दस किलोमीटर के अंदर नए कारखाने लगाने पर पाबंदी लगा दी.
लेकिन फिर भी नुकसान तो हो चुका था.
इमेज स्रोत, UNESCO
शोधकर्ताओं के नतीजों से पता चलता है कि लुंबिनी का विश्व धरोहर क्षेत्र बढ़ते प्रदूषण के कारण ख़तरे में है. सर्दी के दिनों में यहां प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है.
इस साल की शुरुआत में वायु प्रदूषण पर नज़र रखन वाले स्टेशनों ने कहा था कि लुंबिनी में प्रूदषण का स्तर राजधानी काठमांडू से भी अधिक हो चुका था.
आईयूसीएन और यूनेस्को के एक अध्ययन में कहा गया है कि लुंबिनी के विश्व धरोहर स्थल पर प्रदूषण से ख़तरा मंडरा रहा है.
"लुंबिनी के संरक्षित क्षेत्र में कार्बन छोड़ने वाले उद्योगों के विस्तार से कई तरह की समस्याएँ पैदा हो चुकी है. मसलन यहां की जैव विविधता, स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य, पुरातात्विक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर बुरा असर पड़ा है."
यहां के तीन स्मारकों को लेकर किए गए आईयूसीएन के एक अध्ययन में कहा गया है कि वे जहरीले गैस और ठोस कार्बनिक प्रदूषकों से प्रभावित हो चुके हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)