रोहिंग्या मुसलमानों का दर्द बयां करती तस्वीरें
म्यांमार, बांग्लादेश और भारत में दर-दर की ठोकरें खाने को मज़बूर रोहिंग्या शरणार्थी किस हाल में हैं?

म्यांमार में बहुसंख्यक आबादी बौद्धों की है. जबकि यहां के रखाइन प्रांत में लगभग 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान भी रह रहे हैं. दावा किया जाता है कि वे मूल रूप से बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी हैं. म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे इन रोहिंग्या मुसलमानों को वहां की सरकार ने नागरिकता देने से इनकार कर दिया. रखाइन प्रांत में बसे हुए रोहिंग्या मुसलमानों के साथ 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है.
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रोहिंग्या के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक हिंसा सबसे पहले यौन उत्पीड़न और स्थानीय विवादों से शुरू हुई. रोहिंग्या और दूसरे बहुसंख्यक समुदाय के बीच हिंसा शुरू हुई और इन संघर्षों ने सांप्रदायिकता का रूप ले लिया. सबसे बड़ी और पहली हिंसा जून 2012 में हुई. रखाइन के बौद्धों और मुस्लिमों के बीच हुए इस दंगे में करीब 200 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत हुई और हज़ारों को घर छोड़ना पड़ा. इसकी शुरुआत एक युवा बौद्ध महिला से बलात्कार और हत्या के बाद हुई.
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पिछले एक महीने से बर्मा के रखाइन प्रांत में हिंसा दोबारा भड़क उठी है और बर्मा की फ़ौज ने ऑपरेशन बैकडोर चला रखा है.
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इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
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इस समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताते हुए कहा है कि रोहिंग्या 'दुनिया के सबसे प्रताड़ित लोगों में से हैं'.
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म्यांमार के रखाइन प्रांत में हो रही हिंसा से बचकर भाग रहे रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी मुल्कों भारत और बांग्लादेश में बतौर शरणार्थी पहुंचे हैं.
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रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से पूर्ण शरणार्थी दर्जे की बहुत उम्मीद है.
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भारत और बांग्लादेश ने जहां एक ओर रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दी है, वहीं दूसरी ओर म्यांमार सरकार से इन्हें वापस बुलाने की भी अपील की है. इन्हें देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया गया है.
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भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के मोदी सरकार के रुख़ की संयुक्त राष्ट्र ने भी आलोचना की है. इन सब के बीच राजधानी दिल्ली समेत भारत के कई शहरों जैसे कोलकाता, लुधियाना, अलीगढ़ वग़ैरह में रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में प्रदर्शन हो चुके हैं.
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अब संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या मुसलमानों के मामले पर अगले हफ़्ते एक बैठक बुलाई है. लेकिन म्यांमार की नेता सू ची इसमें शामिल नहीं होंगी.