उत्तर कोरिया: इस होटल की पांचवी मंज़िल पर मत जाना
- मेघा मोहन
- बीबीसी स्टोरीज़

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उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के यंगाकडो होटल जाने का नतीजा था कि अमरीकी छात्र ऑटो वार्मबियर को वहां हिरासत में लिया गया.
हालांकि बाद में उत्तर कोरिया ने वार्मबियर को अमरीका जाने दिया. मगर हिरासत के दौरान हुए टॉर्चर की वजह से उसकी मौत हो गई.
वैसे, ऑटो वार्मबियर वो पहला अमरीकी नागरिक नहीं था, जो उत्तर कोरिया के सबसे बड़े होटल यंगाकडो में ठहरा था.
ऐसे ही एक अमरीकी नागरिक थे कैल्विन सन, जो उत्तर कोरिया घूमने गए थे और यंगाकडो होटल में ठहरे थे.
कैल्विन आज भी उन दिनों को याद कर के सिहर उठते हैं. उस दिन का क़िस्सा बताते हैं जिस दिन वो उत्तर कोरिया से वापसी के लिए रवाना हो रहे थे.
कैल्विन उससे पहले की पूरी रात जागे थे और साथी सैलानियों के साथ मौज-मस्ती की थी. इसके बाद उन्होंने यंगाकडो होटल से चेक आउट किया और प्योंगयांग इंटरनेशनल एयरपोर्ट जाने के लिए बस में बैठ गए.
बस स्टार्ट हुई ही थी कि उत्तर कोरिया के कुछ सुरक्षा गार्ड आए और कहा कि एक मसला खड़ा हो गया है. तो, जब तक वो हल नहीं होता, ये बस नहीं जाएगी.
ड्राइवर ने बस का इंजन बंद कर दिया. बस में बैठे-बैठे कैल्विन सन ने उत्तर कोरिया में गुज़ारे अपने पिछले छह दिनों के बारे में सोचना शुरू कर दिया.
उत्तर कोरिया, जो दुनिया का सबसे अलग-थलग देश है. जिसे हरमिट किंगडम यानी जोगियों का देश कहते हैं. उत्तर कोरिया आना कैल्विन के सबसे यादगार सफ़रों में से एक था.
कैल्विन कहते हैं कि उन छह दिनों में वो बहुत-सी जगहों पर गए. ख़ूब सारी मस्तियां कीं. मगर उन्हें बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि यंगाकडो होटल की पांचवीं मंज़िल पर जाना उनके लिए इतनी बड़ी मुसीबत बन जाएगा.
जब गार्ड ने उन्हें बस से उतरने के लिए कहा, तब भी उनके ज़हन में ये ख़्याल नहीं आया कि उन्होंने यंगाकडो होटल की पांचवीं मंज़िल पर जाने की बहुत बड़ी भूल की थी.

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यंगाकडो अंतरराष्ट्रीय होटल उत्तर कोरिया के सबसे बड़े होटलों में से एक है
कैल्विन का सफ़र
उन चमकते सितारों की कहानी जिन्हें दुनिया अभी और देखना और सुनना चाहती थी.
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कैल्विन, न्यूयॉर्क शहर में पैदा हुए और पले-बढ़े. उनके माता-पिता चीनी मूल के हैं. उम्र के बीसवें साल तक, वो न्यूयॉर्क राज्य से बाहर तक नहीं गए थे.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जाने का उनका सफ़र घर से महज़ 20 मिनट की दूरी पर था. कैल्विन के ज़हन में तब तक कहीं और घूमने जाने का ख़्याल आया ही नहीं था.
लेकिन, 2010 में अचानक वो मिस्र के सफ़र पर क्या गए, उन्हें पूरी दुनिया घूमने का शौक़ हो गया. कैल्विन ने एक ट्रैवेल ब्लॉग http://monsoondiaries.com/ शुरू किया. बहुत जल्द उनके चाहने वालों की तादाद तेज़ी से बढ़ने लगी.
हर छुट्टी और वीकेंड पर कैल्विन एक नए देश की सैर पर निकल जाते. उनका मक़सद था कि जिस देश में एक बार वो घूम आएं, वहां दोबारा न जाएं.
मेडिकल स्कूल में दूसरे साल की पढ़ाई के दौरान, गर्मी की छुट्टियों में कैल्विन ने एक साथ कई देशों के सफ़र पर जाने का फ़ैसला किया.
उन्होंने मध्य-पूर्व के देशों से शुरुआत करके किसी एशियाई देश मे अपनी ट्रिप ख़त्म करने का फ़ैसला किया.
कैल्विन ने तय किया कि वो पहले से तयशुदा कार्यक्रम के हिसाब से नहीं चलेंगे. जब जहां जी चाहेगा, वहां चले जाएंगे.
शुरुआत में उनका उत्तर कोरिया जाने का कोई प्लान नहीं था. और प्योंगयांग के यंगाकडो होटल का नाम तो उनके ख़्वाब में भी नहीं आया.

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प्योंगयांग अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा. यहां उत्तर कोरिया के पहले सुप्रीम नेता किम II-संग की तस्वीर लगी है.
पर्यटकों के लिए सख़्त नियम
2011 में अगर किसी पश्चिमी देश के नागरिक को उत्तर कोरिया जाना होता था, तो उसके लिए निजी टूर ऑपरेटर्स की मदद लेना ज़रूरी था.
क़रीब आधा दर्जन टूर ऑपरेटर्स, चीन के रास्ते उत्तर कोरिया आने वालों के लिए गाइडेड टूर आयोजित करते थे. इन दौरों के नियम 2017 में और सख़्त कर दिए गए.
इसकी एक वजह शायद एक पश्चिमी देश के छात्र का प्योंगयांग के यंगाकडो होटल की पांचवीं मंज़िल पर जाना भी थी.
बीजिंग में कुछ वक़्त गुज़ारने के बाद भी कैल्विन के पास क़रीब एक हफ़्ते की छुट्टियां बची थीं.
तो, उन्होंने इस वक़्त को उत्तर कोरिया घूमने में ख़र्च करने का फ़ैसला किया. वो उत्तर कोरिया के एक टूर ऑपरेटर के पास गए.
बात बन गई और कैल्विन ने दुनिया के सबसे रहस्यमयी देश को देखने का फ़ैसला कर लिया.
कैल्विन बताते हैं कि उत्तर कोरिया का वीज़ा फॉर्म भरना उनके लिए दुनिया का सबसे सरल वीज़ा फॉर्म भरने का तजुर्बा था. उत्तर कोरिया जाने के लिए पासपोर्ट देने की भी ज़रूरत नहीं थी. न्यूयॉर्क लौटने से पहले कैल्विन सन के लिए उत्तर कोरिया आखिरी पड़ाव था.

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कैल्विन सुन कहते हैं कि उत्तर कोरिया के टूर गाइड ने उन्हें कुछ अनऔपचारिक तस्वीरें उतारने की इजाज़त दी थी
जैसे अलग ही दुनिया में आ गए
कैल्विन के साथ क़रीब 20 अमरीकी, यूरोपीय और चीनी यात्री भी उस प्राइवेट टूर ऑपरेटर के साथ उत्तर कोरिया की सैर पर जा रहे थे.
ज़्यादातर युवा थे. जब उन लोगों को उत्तर कोरिया में वक़्त बिताने के तौर तरीक़े बताए जा रहे थे, तो टूर ऑपरेटर्स ने उन्हें समझाया कि हमेशा गाइड की बात मानें. उत्तर कोरिया की संस्कृति के प्रति सम्मान दिखाएं.
उन्हें उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में यंगाकडो होटल में ठहरना था. इस दौरान कभी भी ये नहीं बताया गया कि उन्हें होटल की पांचवीं मंज़िल पर नहीं जाना है.
कैल्विन बताते हैं कि उत्तर कोरिया पहुंचते ही उन्हें एहसास हुआ कि जैसे एकदम अलग ही दुनिया में आ गए हैं. जहां चीन चटख रंगों से लबरेज़ था, वहीं उत्तर कोरिया में सारे रंग उदासी वाले थे. मानो, ख़ुदा ने उत्तर कोरिया पर दुखों का साया डाल दिया हो.
उत्तर कोरिया की इमारतें, पोस्टर, रास्ता बताने वाले निशान और यहां तक कि लोगों के कपड़े भी सफ़ेद, भूरे या काले थे.
कुछ-कुछ लाल रंग भी दिख जाता था, जो कि सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का रंग था.
कैल्विन कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगा कि वो टाइम मशीन पर सवार होकर 70 के दशक के सोवियत संघ पहुंच गए हों.
ज़्यादातर गाइड उम्र के चालीसवें दशक मे थे. दो मर्द थे और दो महिलाएं. उन्होंने बताया कि वो पहले उत्तर कोरिया की सेना में थे.

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गाइड की सख़्ती
टूर की शुरुआत में गाइड बहुत सख़्त थे. वो कहते थे कि सैलानी बिना हाथ पकड़े सड़क भी पार न करें.
लेकिन धीरे-धीरे सैलानियों से उनका राब्ता हो गया. सभी गाइड शराब पीना पसंद करते थे. कोरिया की संस्कृति में शराब की जगह बहुत अहम है.
बाद के दिनों में गाइड सभी टूरिस्ट को अपने साथ मेल-जोल करने और वक़्त बिताने के लिए बुलाते थे.
ट्रिप के दौरान विदेशी सैलानियों ने जूच टॉवर, वर्कर्स मेमोरियल. अमरीकी जहाज़ यूएसएस प्यूब्लो, जिसे 1968 में उत्तर कोरिया ने बंधक बना लिया था, वो देखे और उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच का असैन्य क्षेत्र भी देखा.
कैल्विन कहते हैं कि सभी गाइड माइकल जैक्सन के बहुत बड़े फ़ैन थे. वो बार-बार पूछते थे कि क्या वाक़ई जैक्सन की मौत हो गई.
उन्हें उत्तर कोरिया में दिखाए जाने वाले कुछ अमरीकी रियालिटी शो भी पसंद थे. वो बहुत सारे सवाल अमरीका के बारे में करते थे.
कैल्विन कहते हैं कि शायद वो सवाल नहीं थे, बल्कि ये उत्तर कोरियाई गाइड इस बात की तस्दीक़ करना चाहते थे कि उन्होंने जो भी सुना है, वो सही है या नहीं.
उत्तर कोरिया में कैल्विन सन ने पहली बार एक शूटिंग रेंज में बंदूक चलाई. ज़्यादातर सैलानी निशाना चूक गए थे.
तब उनके गाइड बड़े फ़िक्रमंद हो गए कि जिस अमरीका में इतना ज़बरदस्त गन कल्चर है, वहां के लोगों को ठीक से निशाना लगाना भी नहीं आता!
हफ़्ता गुज़रते-गुज़रते गाइड बहुत नरम पड़ गए थे. वो ये भी नहीं देखते थे कि टूरिस्ट कहां जा रहे हैं.
कैल्विन सन ने भी इस दौरान कई दोस्त बना लिए थे. उत्तर कोरिया के पड़ाव की आख़िरी रात कैल्विन बाक़ी दोस्तों और टूर गाइड्स के साथ एक नाइटक्लब डिप्लो गए.
यहां उन्होंने ख़ूब मस्ती की. अस्सी के दशक के मशहूर गानों पर डांस किया, ख़ास तौर से माइकल जैक्सन के गानों पर.

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पांचवीं मंज़िल पर जाने की ठानी
यंगाकडो होटल लौटने पर गाइड्स ने उन्हें पीने के लिए दोबारा अपने कमरे में बुलाया. हालांकि गाइड्स के साथ सैलानियों ने कम ही वक़्त गुज़ारा. इसके बाद वो सब अपने बेडरूम में लौटने लगे.
इसी दौरान किसी ने सुझाव दिया कि होटल की पांचवीं मंज़िल की तफ़्तीश की जाए.
यंगाकडो में कुल 47 मंज़िलें हैं. ये उत्तर कोरिया की सब से ऊंची इमारतों में से एक है. ये ताएडॉन्ग नदी के बीच में स्थित एक जज़ीरे पर बना हुआ है.
इसमें चार रेस्टोरेंट हैं. एक बाउलिंग एले है और मसाज पॉर्लर भी हैं. होटल के कमरों में लगे टीवी पर बीबीसी की पुरानी रिकॉर्डिंग दिखाई जाती रहती है.
विदेशी सैलानियों के लिए यंगाकडो होटल सबसे पसंदीदा जगह है.
टूर के पांच दिनों में सभी विदेशी टूरिस्ट केवल गाइडों की बताई जगहों पर ही गए थे. अब आख़िरी रात को उन्होंने बिना गाइड की मदद के, होटल को घूमने का फ़ैसला किया.
उन लोगों ने देखा था कि होटल की लिफ़्ट मे पांचवीं मंज़िल की बटन ही नहीं थी. सो कुछ लोगों ने तय किया कि सीढ़ियों से पांचवीं मंज़िल पर जाते हैं.

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होटल की लिफ्ट में पांचवे फ्लोर का बटन ही नहीं था
पांचवीं मंज़िल का रहस्य
यंगाकडो होटल की पांचवीं मंज़िल के रहस्य के बारे में पहले भी बहुत से ट्रैवल ब्लॉगर लिख चुके थे.
कैल्विन के साथ आए कुछ लोगों ने भी इसके बारे में पढ़ा-सुना था. हालांकि कैल्विन सन को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था. वो बताते हैं कि हम यंगाकडो होटल की पांचवीं मंज़िल पर जाने वाले पहले विदेशी नहीं थे.
कैल्विन कहते हैं, "हमसे पहले और बाद में भी कई लोग पांचवी मंज़िल पर गए थे. लेकिन 2011 में उत्तर कोरिया में किसी विदेशी को हिरासत में नहीं लिया गया था. हमें अंदाज़ा नहीं था कि हम कितनी बड़ी ग़लती करने जा रहे हैं."
टूरिस्टों को किसी ने नहीं बताया था कि उन्हें पांचवीं मंज़िल पर नहीं जाना है.
तो, उस रात कैल्विन और उनके साथी चौथी मंज़िल पर लिफ्ट से उतर गए और सीढ़ियों से होटल की पांचवीं मंज़िल पर गए.

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ऐसा थी पांचवी मंज़िल
उन्होंने देखा कि सीढ़ियों से उस मंज़िल को जाने वाला दरवाज़ा खुला था. कोई गार्ड भी नहीं था.
जैसे ही वो उस में दाखिल हुए तो देखा की उस मंज़िल की छतें बहुत नीची थीं. दूसरी मंज़िलों के मुक़ाबले क़रीब आधी.
जैसे एक ही फ्लोर पर दो फ्लोर बना दिए गए हों. रौशनी कम थी. सैलानियों ने इस राज़दाराना मंज़िल की तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं. उस फ्लोर पर सेना के बंकर जैसे बने हुए थे.
यंगाकडो होटल की इस मंज़िल के ज़्यादातर कमरों में ताला लगा था. लेकिन एक कमरा खुला था. उसके दरवाज़े पर एक जोड़ी जूते पड़े थे. जब उन्होंने कमरे के अंदर झांका तो कोई दिखाई नहीं दिया.
कैल्विन बताते हैं कि कमरे से रौशनी आ रही थी. उसमें उन्होंने देखा कि उस मंज़िल पर सुरक्षा के लिए कैमरे लगे हुए थे. शायद इस मंज़िल पर सैलानियों की निगरानी के लिए सर्विलांस का इंतज़ाम था.
कैल्विन के एक साथी ने वहां वीडियो बनाना शुरू कर दिया. लोग बड़ी धीमी-आवाज़ में बात कर रहे थे.
कमरों की दीवारों पर अमरीका विरोधी और जापान के खिलाफ पेंटिंग्स बनी हुई थीं. कुछ तस्वीरें किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल की थीं.
एक तस्वीर पर लिखा था, "ये बम अमरीका का बनाया है. अमरीका में बनी हर चीज़ हमारी दुश्मन है अमरीका से हम हज़ार बार बदला लेंगे."

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तभी एक आदमी आ गया
कैल्विन बताते हैं, "कुछ मिनटों बाद अचानक से एक आदमी आया और हमसे पूछा कि क्या हम भटक गए हैं. किसी ने हां कहा, तो उसने हमें सीढ़ियों वाला रास्ता बता दिया. वो ज़रा भी नाराज़ नहीं मालूम हुआ."
बाहर आने के बाद कुछ लोगों ने दोबारा उस मंज़िल पर जाने का फ़ैसला किया. इस बार भी एक कमरे से एक शख़्स निकला और बड़ी शांति से उन्हें सीढ़ियों से बाहर जाने का रास्ता बता दिया.
इस बार भी कैल्विन और उनके साथियों ने बहुत सारे बंद कमरे और दीवारों पर लगे अमरीका विरोधी पोस्टर देखे.
कमोबेश हर पेंटिंग और पोस्टर में अमरीका से बदला लेने की बात लिखी हुई थी. उसमें किम ख़ानदान की ताक़त बयां की गई थी. 1980 के दशक के कंप्यूटर का मॉडल बना हुआ था.
कुछ सैलानी तीसरी बार भी पांचवीं मंज़िल पर गए. इनमें से एक सैलानी जोड़ा तो इतना उत्साहित था कि एक-दूसरे को किस करने लगा.
एक बार फिर एक नया गार्ड आया और उन्हें बाहर जाने की सलाह दी.

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"अमरीका में बनी हर चीज़ हमारी दुश्मन है."
'पता होता तो कभी नहीं जाते'
कैल्विन कहते हैं कि हम सब मूर्ख थे. हमें छुपकर पांचवीं मंज़िल पर जाना अलग तजुर्बा लग रहा था. अगर अब का हाल पता होता, तो शायद कभी भी यंगाकडो की पांचवीं मंज़िल पर नहीं जाते.
तड़के का वक़्त हो चला था. सभी सैलानी अपने कमरों में लौट गए. फिर सुबह होने पर वो तैयार होकर बस में बैठ गए.
उनके गाइड ने कहा कि उन्हें पता है कि कोई सैलानी होटल से रुमाल चुरा ले आया है. वो अगर चुपचाप रुमाल निकाल कर दे दे, तो उसे कुछ नहीं कहा जाएगा. लेकिन किसी ने अपनी चोरी नहीं मानी.
फिर एक अधिकारी ने कहा कि अगर टूरिस्ट अपने घर जाना चाहते हैं तो उन्हें वो होटल का तौलिया वापस करना होगा.
फिर एक तरीक़ा ये निकाला गया कि सभी लोग पीठ घुमा लें और तौलिया चुराने वाला शख़्स टॉवेल को बस के बाहर फेंक दे.
इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने बस को रवाना होने की इजाज़त दे दी.
न्यूयॉर्क लौटकर कैल्विन सन इस घटना को भूल ही गए और अपनी पढ़ाई में मगन हो गए.

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पांचवी मंज़िल की दिवारों पर अमरीका और जापान विरोधी पोस्टर लगे थे
पोस्टर उखाड़ने पर 15 साल की सज़ा
चार साल बाद उनकी सोच बिल्कुल बदल गई. कैल्विन की ही तरह ऑटो वॉर्मबियर भी एक प्राइवेट टूर ऑपरेटर के ज़रिए उत्तर कोरिया गए. वो प्योंगयांग के होटल में ठहरे.
आरोप है कि इसी दौरान ऑटो वॉर्मबियर ने होटल की पांचवीं मंज़िल पर लगा एक पोस्टर उखाड़ा था, जिसकी वजह से उन्हें हिरासत में ले लिया गया.
उन पर मुक़दमा चलाकर 15 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई. वार्मबियर को टीवी पर भी इक़बाले-जुर्म करते दिखाया गया. पूछताछ के दौरान उन्हें टॉर्चर भी किया गया था.
हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. मगर अमरीका लौटने के बाद वो कोमा में चले गए. जून 2017 में उनकी मौत ने पूरी दुनिया में सुर्ख़ियां बटोरी थीं.
घटिया दर्ज़े के सीसीटीवी फुटेज मे वार्मबियर को होटल की पांचवीं मंज़िल पर टहलते हुए दिखाया गया था.
हालांकि उत्तर कोरिया की सरकार ने कभी इस आरोप की तस्दीक़ नहीं की. क्योंकि वहां की सरकार मानती ही नहीं कि यंगाकडो होटल में पांचवीं मंज़िल भी है.
कैल्विन सन कहते हैं कि जब वो होटल में ठहरे थे, तो ऐसा कोई पोस्टर नहीं था, जिसे उखाड़ा जा सके. ज़्यादातर दीवारों पर पेंटिंग्स थीं. जो होर्डिंग लगी थीं, वो कील से ठुकी हुई थीं.

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उत्तर कोरिया के लेबर कैंप में आई चोटों की वजह से अमरीकी छात्र ऑटो वॉर्मबियर की मौत हो गई थी
वार्मबियर की मौत के बाद से उत्तर कोरिया में टूरिज़्म को लेकर सवाल खड़े हुए. बहुत से टूर ऑपरेटर्स ने किसी अमरीकी नागरिक को अपने साथ उत्तर कोरिया ले जाने से मना कर दिया. बहुत से टूर ऑपरेटर्स ने अपनी नीतियों में बदलाव किया.
अब कैल्विन अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के आख़िरी साल में हैं. वो मौक़ा लगने पर अब भी दुनिया के तमाम देशों की सैर पर जाते हैं. ब्लॉग पर भी उनके हज़ारों फॉलोवर्स हैं.
लेकिन अब किसी भी देश में जाने पर वो ज़्यादा सावधान रहते हैं.
वो कहते हैं कि ऑटो वार्मबियर के साथ जो हुआ उसका उन्हें दुख है. किसी भी विदेशी को दूसरे देश की सभ्यता-संस्कृति और नियमों का सम्मान करना चाहिए.
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