आने वाले साल में क्या गुल खिलाएंगे भारत-पाकिस्तान: वुसअत का ब्लॉग

  • वुसअतुल्लाह ख़ान
  • पाकिस्तान से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
भारत, पाकिस्तान, इमरान ख़ान, नरेंद्र मोदी

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मुझसे कई दोस्तों ने फ़रमाइश की है कि जब सब 'पंडित नया वर्ष कैसा गुज़रेगा' कर रहे हैं तो मैं भी कोई ना कोई भविष्यवाणी करूं.

बात ये है कि स्मॉग के कारण मेरे तोते की तबीयत ठीक नहीं है इसीलिए उसकी जगह मैं ही कार्ड उठा कर पढ़ देता हूं.

कार्ड में पहली भविष्यवाणी ये लिखी है कि नया साल पिछले साल (2018) से अलग होगा. क्योंकि ये वर्ष भी पिछले वर्ष से अलग था. वो 2017 था ये 2018 है और कल 2019 होगा.

दूसरी भविष्यवाणी ये है कि नए साल में पाकिस्तान में आम चुनाव नहीं होंगे, अलबत्ता भारत में मुझे आम चुनाव होते साफ़ नज़र आ रहे हैं. बीजेपी पहले से कम सीटें जीतेगी लेकिन मोदी जी अपनी सीट पर बने रहेंगे.

भारत और पाकिस्तान के संबंधों में नए वर्ष में भी ना कोई सुधार आएगा, ना कोई बड़ा बिगाड़ आएगा. ना मोदीजी इस्लामाबाद आएंगे ना इमरान ख़ान दिल्ली जाएंगे. ज़्यादा से ज़्यादा पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी जून के बाद दिल्ली यात्रा कर सकते हैं.

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मगर कश्मीर का मामला और गरम हो गया तो ये यात्रा ठंडी पड़ जाएगी. वैसे भी शाह महमूद क़ुरैशी को दिल्ली रास नहीं आती. पिछली बार वो दिल्ली में ही थे जब मुंबई में 26-11 हो गया था.

अगले वर्ष भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति डांवाडोल रहेगी. अलबत्ता चरमपंथी घटनाएं इस साल से कम होंगी. 2019 में भी अफ़ग़ानिस्तान वैसा ही रहेगा जैसा इस वक़्त है.

तोता अगर जीवित रहा...

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अमरीका और चीन के संबंधों में तनाव और बढ़ेगा. यही हाल रूस और अमरीकी संबंधों का भी होगा.

अरब जगत में और कुछ हो ना हो अलबत्ता यमन के गृहयुद्ध का कोई ना कोई हल ज़रूर निकल आएगा. और खाड़ी के अरब देशों ने क़तर की जो नाकाबंदी कर रखी है वो ख़त्म हो जाएगी.

नए वर्ष में भी बीबीसी की हिंदी सेवा इसी तरह चलती रहेगी.

ये भविष्यवाणी मैं इसीलिए कर रहा हूं ताकि हिंदी सेवा के माध्यम से मैं आप सुनने वालों से जुड़ा रहूं. और अगले वर्ष मेरा तोता अगर जीवित और कुशल मंगल रहा तो और भविष्यवाणियां करुंगा. वरना अटकल-पच्चू बातें तो चलती ही रहेंगी. आप सभी को नए साल की हार्दिक बधाई.

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