सऊदी तेल ठिकानों पर हमले के बाद कच्चे तेल के दाम बढ़े

सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर शनिवार को हुए ड्रोन हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमत बीते चार महीने में सबसे अधिक दर्ज की गई है.
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोमवार को कारोबार की शुरुआत में कच्चे तेल की कीमत में 19 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.
इसके साथ ही एक बैरल का दाम बढ़कर 71.95 डॉलर पर आ गया है.
अमरीका ने अपने आपात भंडार से कच्चे तेल को निकाला है, इससे बाज़ार को थोड़ी राहत ज़रूर मिली है.
लेकिन फिर भी सऊदी तेल ठिकानों को पहले की तरह तेल उत्पादन करने में अभी कुछ हफ्ते लग सकते हैं.
सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको का कहना है कि हमलों की वजह से तेल उत्पादन घटकर प्रतिदिन 5.7 लाख बैरल हो गया है.
ये सब ऐसे समय में हुआ है जब अरामको खुद को दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक मार्केट में स्थापित करने के लिए तैयारी कर रही थी.
लंदन में इँटरफैक्स एजेंसी में विश्लेषण प्रमुख अभिषेक कुमार कहते हैं, सऊदी अधिकारियों ने आग पर काबू पाने का दावा किया, लेकिन इससे बात नहीं बनने वाली. जो नुक़सान हुआ है, वो बहुत अधिक है. तेल आपूर्ति सामान्य होने में कई हफ्ते लग जाएंगे.
न्यूयॉर्क में आरबीसी कैपिटल मार्केट्स के माइकल ट्रान कहते हैं, ''सब कुछ जल्द ही ठीक हो जाए तब भी उत्पादन में लगभग 6 प्रतिशत की गिरावट से इंकार नहीं किया जा सकता.''
अस्थिरता बढ़ी
बीबीसी के कूटनीतिक मामलों के संवाददाता जोनाथन मार्कस का मानना है कि मध्य-पूर्व पहले से ही अस्थिर था, और ड्रोन हमलों ने इस अस्थिरता को अधिक बढ़ा दिया है.
हूती विद्रोही कह रहे हैं कि हमला उन्होंने किया, लेकिन अमरीका ज़ोर देकर ईरान को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है और ईरान इससे इंकार कर रहा है.
इस घटनाक्रम से ये बहस दोबारा शुरू हो गई है कि ईरान किस हद तक हूती विद्रोहियों की तकनीकी मदद कर रहा है.
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने अपनी एक रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया था कि ईरान और हूती विद्रोहियों की तकनीक में काफी समानता है.
तब ये माना गया था कि ईरान ने यमन के ख़िलाफ़ हथियारों की पांबदी को तोड़ा है और हूती विद्रोहियों को तरह-तरह के हथियार मुहैया कराए हैं.
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