कोरोना महामारी: ग्रीन कार्ड पर 'रोक' के ट्रंप के फ़ैसले का भारतीयों पर क्या होगा असर
- विनीत खरे
- बीबीसी संवाददाता

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राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जिसके अंतर्गत कुछ ग्रीन कार्ड के अनुमोदन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी गई है.
ग्रीन कार्ड अमरीका में क़ानूनी तौर पर रहने और काम करने का अधिकार देता है, साथ ही ये आपको अमरीका का नागरिक बनने का मौका भी देता है.
रोज़ होने वाली अपनी ब्रीफिंग में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "अपने महान अमरीकी कामग़ारों के लिए मैंने अभी एक्जेक्युटिव आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें अमरीका में अप्रवासन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी गई है."
इस आदेश में कहा गया है कि 60 दिनों तक कुछ ग्रीन कार्ड या पर्मानेंट रेज़िडेंसी पर रोक रहेगी.
राष्ट्रपति ट्रंप के मुताबिक़ ऐसे माहौल में जब लौगों की नौकरियां जा रही हैं, इस आदेश का मक़सद है कि जब अमरीका में अर्थव्यवस्था खुलना शुरू हो तो अमरीकी नागरिकों को सबसे पहले नौकरी मिले, न कि कोई बाहर वाला वो नौकरी ले ले.
पिछले कुछ हफ्तों में अमरीका में बाज़ार, स्कूल, आर्थिक गतिविधियों आदि के बंद होने के कारण दो करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियों पर असर पड़ा है, हालांकि उम्मीद है कि अमरीकी कांग्रेस ने जो फाइनेंशियल पैकेज फाइल किया था, उससे लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी.
राष्ट्रपति ट्रंप के मुताबिक़ इस आदेश का मक़सद कोरोना से पीड़ित अमरीकी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बचाकर रखना भी है.
कोरोना वायरस के कारण अभी तक अमरीका में 46,500 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब आठ लाख 40 हज़ार के लोग अभी तक संक्रमित हो चुके है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि इस आदेश के बाद लोगों का अमरीका में काम के लिए आना पूरी तरह बंद हो जाएगा. इस आदेश में कुछ छूट की भी रिपोर्टें हैं.
जैसे रिपोर्टों के मुताबिक खेतों में काम करने और दूसरे काम के लिए लोगों को अमरीका में आने के लिए वीज़ा प्रोसेस होता रहेगा, और माना जा है कि इसका मक़सद है बड़े बिज़नेस को होने वाले संभावित नुक़सान से बचाना क्योंकि अगर पूरी तरह से लोगों का अमरीका आना बंद हो जाता तो उन्हें नुक़सान होता और प्रशासन को उनकी नाराज़गी झेलनी पड़ती, इस कारण उन्हें ये छूट दी गई है.
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अभी इस आदेश पर अभी और बातें सामने आनी बाकी हैं. लेकिन जिन लोगों ने महीनों, सालों ग्रीन कार्ड के लिए इंतज़ार किया है, उस पर पैसे बहाए हैं, उनके लिए ये फ़ैसला आसान नहीं होगा.
भारतीय कंपनियां भी अभी इस फ़ैसले से होने वाले संभावित असर को समझने की कोशिश कर रही हैं.
एक सोच ये भी है कि कोरोना वायरस के कारण लोगों का आना जाना वैसे ही बंद है तो ये साफ़ नहीं है इसका कितना असर पड़ेगा.
केटो इंस्टिट्यूट से जुड़े अप्रवासन मामलों के जानकार डेविड बियर कहते हैं, "अमरीका ने पहले ही अप्रवासन रोक रखा है लेकिन अमरीका में कोरोना महामारी फैलने का कारण अप्रवासी नहीं हैं. ये आम जनता में फैला है और रिसर्च बताता है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रा को रोकने से महामारी नहीं रुकती. बहुत सारे अप्रवासी अमरीका के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं."
अभी ये साफ़ नहीं है कि इसका भारत जैसे देशों पर किस तरह से असर पड़ेगा, लेकिन कैलिफ़ोर्निया से आईटी क्षेत्र से जुड़े एक भारतीय के मुताबिक़ जिस तरह से लोगों की नौकरियों पर असर पड़ रहा है, आज के हालात में अभी लोगों की पहली कोशिश अपनी नौकरी बचाना है.
डेविड बियर ने कहा, "अगर किसी के पास एच-वनबी वीज़ा है और उसकी नौकरी जाती है तो उसे नई नौकरी ढूंढने के लिए 60 दिन मिलते हैं, नहीं तो उसे वापस भारत जाना पड़ता है. इस 60 दिन को छह महीने तक बढ़ाने की मांग आगे नहीं बढ़ पाई है."
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एक आंकड़े के मुताबिक़ नौकरी आधारित ग्रीन कार्ड की लाइन में आज की तारीख़ में 10 लाख लोग लगे हैं और साल 2030 तक ये लाइन बढ़कर 24 लाख तक लंबी हो जाएगी.
आज इस कतार में खड़े 10 लाख लोगों में करीब 75 प्रतिशत भारतीय हैं, और इस आंकड़े के मुताबिक अगर आप हाल ही में इस कतार में खड़े हुए हैं तो आपको अगले 90 साल तक इसके लिए इंतज़ार करना पड़ सकता है.
वाशिंगटन डीसी में वरिष्ठ पत्रकार सीमा सिरोही के मुताबिक इस आदेश से इससे हज़ारों भारतीयों की उम्मीदों को झटका लगेगा.
वो कहती हैं, "अप्रवासन पर राष्ट्रपति ट्रंप के अस्थायी बैन का असर हज़ारों भारतीयों पर होगा जो अमरीका में आकर एक बेहतर ज़िंदगी का सपना देखते हैं. कई लोगों को वैसे ही ग्रीन कार्ड के लिए 50-50 साल इंतज़ार करना पड़ता है. भारतीय समुदाय में खलबली है. ट्रंप का आदेश उन पर लागू होता है जो लाइन में खड़े हैं."
सीमा सिरोही मानती हैं कि "इस मुददे का असर भारत-अमरीका संबंध पर भी पड़ सकता है क्योंकि भारत सरकार बारबार एच-वनबी का मुद्दा उठाती रही है क्योंकि एच-वनबी मिलना लगातार मुश्किल होता जा रहा है, हालांकि ये आदेश एच-वनबी वीज़ा पर असर नहीं डालता. लेकिन भारत की आर्थिक डिप्लोमेसी में लोगों को आने-जाने देने का महत्वपूर्ण स्थान है."
साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी अप्रवासन का मुद्दा बेहद गर्म रहा था और उस वक्त पद के उम्मदीवार और बाद में पद के लिए चुने गए डॉनाल्ड ट्रंप ने ग़ैरकानूनी अप्रावसन को खत्म करने पर बार बार ज़ोर दिया था. ट्रंप ने बार बार मेक्सिको से लगी सीमा पर दीवार बनाने की बात कही थी.
और आज अमरीका में सवाल उठ रहे हैं कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना वायरस के बहाने एक ऐसा कदम उठाया है जो उनके दिल के नज़दीक है.
इस ताज़ा आदेश को नवंबर में आने वाले चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. राष्ट्रपति ट्रप के आलोचक पूछ रहे हैं कि क्या वो इस आदेश से अपने सपोर्ट बेस के एक हिस्से को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं.
सीमा सिरोही कहती हैं, "जिस तरह से दो करोड़ से ज़्यादा लोगों ने बेरोज़गारी भत्ते के लिए अप्लाई किया, राष्ट्रपति ट्रंप अपने कदम को सही ठहरा सकते हैं. वो अपने सपोर्ट बेस को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए अप्रवासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है."
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अमरीका में राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थकों का एक हिस्सा अप्रवासन पर पूरी तरह पाबंदी चाहता है, और वो इस आदेश के बाद भी राष्ट्रपति ट्रंप से बहुत खुश नहीं है और चाहता है कि इसमें और कड़ाई लाई जाए.
एक ट्वीट में लिखा गया, "वो चाहते तो अमरीका के कामकारों को बचाने के लिए अप्रवासन पर पूरी पाबंदी लगा सकते थे, लेकिन उन्होंने पर्दे के पीछे एक हल्के आदेश पर हस्ताक्षर करने के बारे में सोचा और एक लंबी प्रेस ब्रीफिंग में इसका थोड़ा सा ही ज़िक्र किया."
राष्ट्रपति ट्रंप पर आरोप लगते रहे हैं कि उनकी सरकार कोरोना वायरस के खिलाफ़ लड़ाई में बहुत देर से जागी जिसके कारण समय पर और बड़ी संख्या में लोगों की टेस्टिंग नहीं हो पाई, और कई कारणों से स्थिति इतनी खराब हुई.
ट्रंप इन आरोपों से इनकार करते हैं और कहते रहे हैं कि उन्होंने जितना अच्छा काम कियास, वैसा काम काम कोई नहीं कर सकता था.
ट्रंप सरकार इस वायरस से कैसे लड़ रही है, इसे लेकर एक ताजा पोल में कहा गया है कि उनकी अप्रूवल रेटिंग गिरी है.
गैलअप पोल की हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि राष्ट्रपति ट्रंप की अप्रूवल रेटिंग में छह प्वाइंट की गिरावट ट्रंप प्रेसिडेंसी की सबसे तेज़ रिकार्डेड गिरावट है.
प्रशासन का फै़सला ऐसे वक्त आया है जब अमरीका में कोरोना वायरस के खिलाफ़ लड़ाई में विदेशी डॉक्टर, सर्जन, नर्सेज़, हेल्थ वर्कस् का बहुत बड़ा रोल रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अमरीका में कोरोना क्राइसिस के दौरान लोगों को स्वास्थ और उनका ध्यान रखने में, उन्हें खाना खिलाने में, करीब 60 लाख इमिग्रेंट वर्कर्स, काम करने वाले लोग लगे हैं. अमरीका में कुल डॉक्टर्स का करीब एक चौथाई विदेशी हैं. अस्पताल में सफाई कर्मचारी, ग्रोसरी की दुकानों में करने वाले, खेतों में काम करने वालों में एक बड़ी संख्या विदेश से यहां आती है.
और इसी तरह, इस ताज़ा फैसले पर राष्ट्रपति ट्रप के आलोचक कहते हैं कि अमरीका की बड़ी टेक्नॉलाजी कंपनियों के पीछे, अमरीका की तरक्की के पीछे अप्रवासियों का ही हाथ है.
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इमिग्रेशन टेक्नॉलजी इंडस्ट्री काउंसिल के प्रमुख जेसन औक्समैन के मुताबिक, अमरीका की सबसे पहचाने जाने वाली और बड़ी अमरीकी टेक्नॉलजी कंपनियों की शुरुआत अप्रवासियों ने की और अमरीका की टेक्नॉलजी वर्कफोर्स में अप्रवासी महत्वपूर्ण सदस्य हैं.
ओक्समैन के मुताबिक ट्रंप प्रशासन के ताज़ा कदम से अमरीका को फायदा नहीं होगा और उन्होंने प्रशासन से अपील की कि "वो देश के दोबारा आर्थिक प्रगति की राह पर वापस आने को खतरे में न डालें."
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