कोरोना वायरसः फ़ेक न्यूज़ फैलाने वाले सात तरह के लोग
- मैरियाना स्प्रिंग
- विशेष संवाददाता

सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस के बारे में साज़िश की कहानियों, झूठी ख़बरों और अफ़वाहों का सैलाब उमड़ गया है.
आपने कभी सोचा है कि ऐसी अफ़वाहों की शुरुआत कौन करता है ? कौन इन्हें फैलाता है?
कोविड-19 की महामारी के दौरान हमने गलतफहमी पैदा करने वाली सैंकड़ों कहानियों की पड़ताल की.
इससे एक बात तो समझ में आती है कि ऐसी भ्रामक सूचनाओं के पीछे किन लोगों का हाथ होता है, कौन सी बात उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाती है.
यहां हम सात तरह के लोगों के बारे में बात करेंगे जो झूठ गढ़ते हैं और फिर उन्हें फैलाते हैं.
जोकर
"लंदन के लोगों को खिलाने के लिए सरकार वेम्ब्ले स्टेडियम में बहुत बड़ी लसानिया (पास्ता, चीज़ और कीमे से तैयार होने वाली एक तरह की डिश) पका रही है."
आपको लगेगा कि व्हॉट्स ऐप पर वॉइस नोट के ज़रिये किए जा रहे इस दावे से कोई भी बेवकूफ नहीं बनेगा लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग ये मजाक समझ नहीं पाए.
थोड़ा और सीरियस एग्जाम्पल लेते हैं. किसी शरारती व्यक्ति ने एक स्क्रीनशॉट तैयार किया जिसमें सरकार की तरफ़ से एक फर्जी मैसेज था.
मैसेज में ये दावा किया गया था कि जो लोग अपने घरों से ज़्यादा बाहर निकलेंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
ऐसा करने वाले शख़्स को लगा होगा कि लोग लॉकडाउन के नियम कायदे तोड़ रहे हैं और क्यों न उन्हें डराकर उनका मजाक उड़ाया जाए.
शुरू में उसने इंस्टाग्राम पर अपने फ़ॉलोअर्स को इसे शेयर करने के लिए मनाया और वहां से ये मैसेज फ़ेसबुक ग्रुप्स में शेयर होने लगा.
कुछ परेशान लोगों ने इसे शेयर किया और कुछ ने इसे गंभीरता से भी लिया.
इस शरारती शख़्स ने हमें अपना असली नाम तो नहीं बताया पर इतना ज़रूर कहा, "मैं सचमुच कोई पैनिक नहीं फैलाना चाहता था. लेकिन अगर लोग सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक स्क्रीन शॉट पर यकीन कर लेते हैं तो उन्हें वाकई इस पर गौर करने की ज़रूरत है कि वे किस तरह से इंटरनेट से जानकारी हासिल कर रहे हैं."
स्कैमर
कुछ फर्जी संदेश तो स्कैमर्स (इंटरनेट पर धोखाधड़ी करने वाले लोग) सरकार या फिर लोकल काउंसिल के नाम पर भेज रहे थे ताकि महामारी के बहाने पैसा बनाया जा सके.
फ़ैक्ट चेक करने वाले चैरिटी संगठन 'फ़ुल फ़ैक्ट' ने मार्च में ऐसे ही एक स्कैम की पड़ताल की थी.
स्कैमर्स ने ये दावा किया था कि सरकार लोगों को राहत के नाम पर पैसा दे रही है और इसके लिए लोगों को अपने बैंक डीटेल देने होंगे.
उल्लू सीधा करने वाला ये मैसेज फ़ेसबुक पर शेयर किया जा रहा था. चूंकि ये मैसेज केवल टेक्स्ट फ़ॉरमैट में था, इसलिए इसकी जड़ तक पहुंचना मुश्किल था कि इसके पीछे किसका हाथ है.
इंटरनेट पर सक्रिय इन जालसाज़ों ने पैसा बनाने के इरादे से फरवरी के महीने से ही फर्जी ख़बरें फैलानी शुरू कर दी थीं.
लोगों को फिशिंग वाले ऐसे ईमेल भेजे जा रहे थे जिनमें कोरोना वायरस के इलाज की जानकारी देने वाले लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जा रहा था.
या फिर लोगों को ये कहा गया कि महामारी के कारण उन्हें टैक्स रिफंड के लिए चुना गया है.
राजनेता
ऐसा नहीं है कि ग़लत जानकारियां केवल इंटरनेट की गुमनाम गलियों से ही आती हैं. पिछले हफ़्ते राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ये पूछ रहे थे कि क्या संक्रमित मरीज़ों के शरीर पर अल्ट्रा वॉयलेट रोशनी देने या उन्हें ब्लीच (सफ़ाई के काम आने वाला केमिकल) की खुराक देने से कोरोना वायरस का इलाज करने में मदद मिलेगी.
राष्ट्रपति ट्रंप अंदाज़ा लगा रहे थे और उन्होंने तथ्यों को संदर्भ से हटकर पेश किया था. बाद में उन्होंने दावा किया कि ये टिप्पणी मज़ाक में की गई थी.
लेकिन उनकी सफ़ाई के बावजूद लोग हॉटलाइन पर फोन करके कहते रहे कि वे कीटाणुनाशक से अपना इलाज करवाना चाहते हैं.
इस कड़ी में सिर्फ़ अमरीकी राष्ट्रपति का नाम नहीं है. चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस विचार को बढ़ावा दिया कि वुहान में कोरोना वायरस को फैलाने में अमरीकी सेना का हाथ है.
साज़िश की कहानियों के सूत्रधार
कोविड-19 की महामारियों को लेकर साज़िश की कहानियों के बारे में रूस के सरकारी टेलीविज़न चैनल पर प्राइम टाइम डिबेट हुई.
रूस में सत्ता के गलियारों में पहुंच रखने वाले लोगों के ट्विटर एकाउंट्स पर इस तरह की बातें शेयर की गईं.
दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर अनिश्चितताओं का जो माहौल बना है, उसने साज़िश की इन कहानियों के लिए उपजाऊ ज़मीन मुहैया करा दी है.
एक और झूठी कहानी फैलाई गई कि ब्रिटेन में वैक्सीन ट्रायल में हिस्सा लेने वाले पहले वॉलंटियर की मौत हो गई.
फ़ेसबुक पर वैक्सीन विरोध ग्रुप्स में ये ख़बर खूब शेयर हुई जो असल में पूरी तरह से मनगढंत बात थी.
यूट्यूब पर डेविड इके के इंटरव्यूज़ में इस झूठे दावे को हवा दी गई कि 5जी टेक्नॉलॉजी और कोरोना वायरस के बीच कोई कनेक्शन है. हालांकि यूट्यूब पर अब इन्हें हटा दिया गया है.
डेविड इके लंदन के एक टीवी चैनल पर भी दिखे, बाद में मालूम चला कि ब्रिटेन में प्रसारण संबंधी नियमों को इस ब्रॉडकास्ट में तोड़ा गया था.
फ़ेसबुक ने उनके पेज को ये कहते हुए ब्लॉक कर दिया कि इस पर स्वास्थ्य संबंधित ग़लत जानकारियां दी जा रही थीं जिससे किसी को शारीरिक क्षति हो सकती थी.
साज़िश की इन कहानियों के कारण ब्रिटेन में 5जी टेक्नॉलॉजी वाले मोबाइल टावर्स पर हमले बढ़ गए.
इनसाइडर
कभी-कभी ग़लत जानकारियां भरोसेमंद सूत्रों से आती हैं, जैसे कोई डॉक्टर, प्रोफ़ेसर या अस्पताल में काम करने वाला कोई हेल्थ वर्कर.
लेकिन आम तौर पर ये इनसाइडर अंदर की ख़बरों अनजान ही रहते हैं.
वेस्ट ससेक्स के क्रॉली में एक महिला ने एक वॉयस नोट छोड़ा.
घबराई हुई आवाज़ में वो कोरोना से संक्रमित युवा और स्वस्थ लोगों के मरने की डरावनी भविष्यवाणी कर रही थीं जिसकी किसी भी तरह से पुष्टि नहीं की जा सकती थी.
महिला का दावा था कि वो ऐंबुलेंस सर्विस में काम करती हैं और उनके पास अंदर की ख़बर है.
नौकरी के सबूत मांगे जाने या कॉमेंट्स के लिए रिक्वेस्ट किए जाने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. लेकिन हम ये बात जानते हैं ति उनके वॉयस नोट में जो दावा किया गया था, वो बेबुनियाद था.
रिश्तेदार
ख़तरे की घंटी बजाने वाला वो वॉयस नोट और उसके जैसे कई संदेश वायरल हो गए क्योंकि इससे लोग चिंतित होते थे.
इन चिंतित लोगो ने ये संदेश अपने दोस्तों और परिवारवालों के साथ शेयर किया. ऐसा डानिएल बेकर के साथ हुआ.
एसेक्स की रहने वाली चार बच्चों की इस मां ने फ़ेसबुक मेसेंजर पर एक नोट फ़ॉरवर्ड किया, इस उम्मीद से कि कहीं वो मैसेज सही हुआ तो...
डानिएल बेकर बताती हैं, "शुरू में ये मुझे थोड़ा खटका ज़रूर था क्योंकि इसे एक ऐसी महिला ने मुझे फ़ॉरवर्ड किया था, जिन्हें मैं जानती नहीं थी. फिर मैंने इसे फ़ॉरवर्ड कर दिया क्योंकि मेरी और मेरी बहन के बच्चे इसी उम्र के हैं. हमारे बड़े बच्चे भी हैं. अपने घरों में हम सभी ख़तरे का सामना कर रहे हैं."
उनके जैसे लोग मदद करने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें लगा कि वे कोई अच्छा काम कर रहे हैं.
लेकिन बेशक उनके ऐसा सोचने या करने से वो मैसेज सही साबित हो जाता है.
सेलेब्रिटी
वो केवल आपकी मम्मी या अंकल नहीं है. मशहूर लोग भी भ्रामक दावों को मुख्यधारा में लाने और उन्हें फैलाने में मदद करते हैं.
एमआईए के नाम से मशहूर ब्रितानी रैपर और अभिनेता वुडी हैरलसन उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने 5जी टेक्नॉलॉजी और कोरोना वायरस की साज़िश वाली कहानी को प्रमोट किया.
सोशल मीडिया पर हज़ारों लोग उन्हें फ़ॉलो करते हैं.
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट की एक हालिया रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि सेलेब्रिटी लोग इंटरनेट पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
इन सेलेब्रिटीज का दखल पारंपरिक मीडिया में खूब है.
इयामॉन होल्म्स को इसलिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने आईटीवी के एक कार्यक्रम में 5जी टेक्नॉलॉजी वाली कॉन्स्पिरेसी थिअरी पर कुछ भरोसा दिखलाया था.
बाद में उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी.
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