दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.
बात सरहद पार
समाप्त
एलिजाबेथ कहती हैं, "मुझे लगा, जैसे कि मेरी पहचान किसी ने चुरा ली हो और अब मैं कभी भी अपना जमापूंजी नहीं देख पाऊंगी."
लेकिन ये फोन कॉल किसी फ्रॉड करने वाले शख़्स की नहीं बल्कि एक इतिहासकार की थी जो कि एना जारविस के ज़िंदा वंशजों को तलाश रही थीं.
एना ही वो महिला थीं जिन्होंने अब से लगभग 100 साल पहले अमरीका में मदर्स डे की शुरुआत की थी.
एना जारविस 13 भाई-बहनों में से एक थीं. लेकिन इनमें से सिर्फ चार व्यस्कता की उम्र तक पहुंच सके.
जारविस के भाई-बहनों में से सिर्फ उनके बड़े भाई अपने बच्चों को जन्म देने में सफल रहे. लेकिन इनमें से कई बच्चे काफ़ी कम उम्र में टीबी से मर गए.
एना जारविस के सबसे आख़िरी वंशज की मौत साल 1990 में हुई.
इसके बाद माईहैरिटेज़ नामक संस्था से जुड़ीं इतिहासकार एलिजाबेथ जेटलैंड ने एना के सगे-संबधियों की तलाश शुरू की. और यही करते हुए वे एलिजाबेथ बर तक पहुंच गईं.
वापस फोन कॉल पर आते हैं तो जब एलिजाबेथ बर को ये अहसास हो गया कि उनके साथ कुछ ग़लत नहीं हुआ है तब उन्होंने बताया कि उनकी आंटियों और पिता ने कभी भी मदर्स डे नहीं मनाया क्योंकि वे एना का काफ़ी सम्मान करते थे.
और ये लोग एना की उस भावना का भी सम्मान करते हैं कि मदर्स डे मनाए जाने के विचार को व्यवसायिक हितों के लिए हथिया कर उसके मायने बदल दिए गए हैं.
एना जारविस ने जिस मदर्स डे मनाने की शुरुआत करवाई उसका विचार उन्हें अपनी माँ एन रीव्स जारविस से मिला था.
माँ का सपना पूरा कर रही थीं एना
एक अन्य इतिहासकार केथरीन एंटोलिनी बताती हैं कि श्रीमति जारविस ने अपना पूरा जीवन महिलाओं को ये समझाने में लगा दिया कि उन्हें अपने बच्चों का बेहतर ढंग से पालन पोषण करना है और वो ये भी चाहती थीं कि माँओं के काम की कद्र की जाए.
एक दफ़े जारविस ने कहा था, "मुझे उम्मीद है, बल्कि मैं इसकी प्रार्थना भी करती हूं कि कोई कभी माँओं के लिए एक दिन बनाएगा. जिससे एक माँ मानवता की जो अतुलनीय सेवा करती है, उसके लिए उसे सम्मानित किया जा सकेगा."
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अमरीकी पेंटर नॉर्मन रॉकवेल 1951 के आफ़िशियल मदर्स डे पोस्टर के साथ
साल 1858 से वह मेथॉडिस्ट इपिस्कोपल चर्च में काफ़ी सक्रिय थीं. वहां पर वह एक मदर्स डे नेटवर्क चला रही थीं.
इसका मकसद ऊंची शिशु मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर को कम करना था. ज़्यादातर इसकी वजह उनके क्षेत्र ग्रेफ़्टन, वेस्ट वर्जीनिया में फैली एक बीमारी थी.
एन रीव्स छोटे छोटे समूहों में महिलाओं को शामिल करती थीं जहां ये महिलाएं साफ-सफाई से जुड़ी ज़रूरी बातें मसलन, उबला पानी पीने के फायदे क्या होते हैं, आदि के बारे में सीखती समझती थीं.
इन समूहों का आयोजन करने वाले पीड़ित परिवारों को दवाएं और ज़रूरी सामान दिया करते थे. और संक्रामक बीमारियों के फैलने की स्थिति में ज़रूरत पड़ने पर समुदायों को अलग-थलग भी किया करते थे.
वेस्ट वर्जिनिया वेसलेयन कॉलेज में प्रॉफेसर कैथरीन एंटोलिनी कहती हैं कि एन रीव्स जारविस खुद भी एक ऐसी माँ थीं जिनके नौ बच्चों की मौत हो गई थी.
इनमें से पांच बच्चों की मौत संभवत: किसी बीमारी से अमरीकी गृह युद्ध के समय हुई थी.
जब साल 1905 में एन रीव्स जारविस की मौत हुई थी तो उनके आसपास चार बच्चे थे.
दुख की इस घड़ी में एना जारविस ने अपनी माँ का सपना पूरा करने की कसम खाई.
कुछ अलग था एना का विचार
एंटोलिनी कहती हैं कि ये सपना पूरा करने का उनका तरीका थोड़ा अलग था.
एन रीव्स चाहती थीं कि मदर्स डे के मौके पर लोग माँओं की ओर से किए जाने वाले काम की सराहना करें.
लेकिन एना जारविस ने चाहा कि लोग मदर्स डे पर लोग अपनी माँ के किए गए त्याग को याद करके उनकी सराहना करें.
ये एक ऐसा संदेश था जिसे मानना सभी के लिए बेहद आसान था. सभी लोग इससे राज़ी हो सकते थे.
ये संदेश चर्चों को भी पसंद आया. एंटोलिनी कहती हैं कि एना का ये कदम काफ़ी शानदार था.
जंगल में आग की तरह फैला एना का विचार
एन रीव्स की मौत के तीन साल बाद पहली बार ग्रेफ़ट्न के एंड्र्यूज़ मेथॉडिस्ट चर्च में पहली बार मदर्स डे का आयोजन किया गया.
एना जारविस ने मई के दूसरे रविवार का चुनाव इसलिए किया क्योंकि ये दिन 9 मई के करीब पड़ता था जो कि उनकी माँ की पुण्यतिथि थी.
एना ने मदर्स डे के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने वाली महिलाओं के बीच सैकड़ों सफेद कार्नेशन फूल बांटे थे जो कि उनकी माँ के पसंदीदा फूल भी थे.
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इस कार्यक्रम की प्रसिद्धि इस तेजी के साथ बढ़ी कि आने वाले समय में एक स्थानीय अख़बार फिलेडेल्फ़िया इनक्वायरर में ख़बर छपी कि मदर्स डे के मौके पर लोगों के लिए कार्नेशन फूल को हासिल करना चुनौती बन गया था.
साल 1910 में ये वेस्ट वर्जिनिया स्टेट का राजकीय दिवस बन गया. इसके बाद साल 1914 में राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने इसे अमरीका का राजकीय दिवस घोषित कर दिया.
फूल और चॉकलेट वालों का डे
एंटोलिनी बताती हैं कि इस अभियान की सफलता की सबसे बड़ी वजह इसका व्यावसायिक पक्ष था.
वह कहती हैं, "हालांकि, एना कभी नहीं चाहती थीं कि इस दिवस का व्यवसायीकरण हो जाए. लेकिन ये बेहद तेजी से हुआ. ऐसे में फूलवाले, ग्रीटिंग कार्ड छापने वाले और टॉफ़ी-चॉकलेट बनाने वालों को इस दिवस को लोकप्रिय बनाने का श्रेय मिलना चाहिए."
लेकिन ये वो बिलकुल भी नहीं था जो कि एना चाहती थीं. जब कार्नेशन फूल के दाम आसमान छूने लगे तो उन्होंने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके फूल वालों की निंदा की.
उन्होंने लिखा कि आप उन चोर, डाकू, लुटेरों के समान लोगों का क्या करेंगे जिन्होंने अपने लालच के चक्कर में इतने बेहतरीन मौके की अहमियत को घटा दिया है.
साल 1920 में उन्होंने लोगों से फूल नहीं खरीदने की अपील तक कर डाली.
एंटोलिनी कहती हैं कि वह हर उस संस्था से नाराज़ थीं जो कि उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति और विचार का इस्तेमाल कर रही थीं. इनमें वो संस्थाएं भी शामिल थीं जो इस मौके का इस्तेमाल दान जुटाने में कर रही थीं चाहें वे जुटाए गए धन का इस्तेमाल ग़रीब माँओं की मदद करने में इस्तेमाल कर रहे हों.
एंटोलिनी कहती हैं, "ये एक ऐसा दिन था जब माँओं के काम की सराहना करनी थी न कि उनके ऊपर तरस खाया जाना था क्योंकि वे ग़रीब थीं. और कुछ दानार्थ संस्थाएं ऐसा दावा कर रही थीं लेकिन इस दिन जुटाए हुए अपने दावे के मुताबिक़ इस्तेमाल नहीं कर रही थीं."
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एलिजाबेथ बर अपनी बेटी मेडिसन के साथ
मदर्स डे को महिलाओं को मतदान का अधिकार मिलने की बहस के साथ भी जोड़ा गया.
इस मांग के ख़िलाफ़ लोगों का तर्क था कि एक महिला का असली स्थान घर में है और वह एक पत्नी और माँ के रूप में काफ़ी व्यस्त हैं. और उन्हें राजनीति में डालना उनके लिए काम बढ़ाने जैसा है.
वहीं, इस मांग का समर्थन करने वालों ने कहा कि अगर वह एक पुरुष के बच्चों की माँ बनने लायक है तो उसे मतदान का भी अधिकार मिलना चाहिए.
इस पक्ष के लोगों ने तर्क दिया कि महिलाओं को उसके बच्चों के भविष्य के बारे में फैसला करने का अधिकार होना चाहिए.
लेकिन ऐसा लगता है कि मदर्स डे का फायदा उठाने से इनकार करने वालों में सिर्फ एना ही शामिल थीं. उन्होंने फूलों का कारोबार करने वालों से पैसे लेने से मना कर दिया.
एंटोलिनी कहती हैं कि उन्होंने कभी भी इस दिन का फायदा नहीं उठाया जबकि वह ऐसा कर सकती थीं और मैं इसके लिए उनका सम्मान करती हूँ.
अकेलेपन में कटा आख़िरी वक़्त
एना जब तक ज़िंदा रहीं तब तक वे इस दिन के व्यवसायीकरण के ख़िलाफ़ लड़ती रहीं.
उन्होंने मई का दूसरा दिन, मदर्स डे' नाम से कॉपीराइट भी करवा लिया ताकि कोई और इस शब्द का इस्तेमाल न कर सके.
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एक पिता भी मां हो सकता है, कैसे?
अख़बार न्यूज़वीक के एक आर्टिकल के मुताबिक़, साल 1944 तक उनके 33 कानूनी मामले लंबित थे.
इस समय तक एना जारविस की उम्र 80 वर्ष हो गई थी और उन्हें दिखना और सुनना भी बंद हो गया था.
और वह एक वृद्धाश्रम में रह रही थीं जहां पर चार साल बाद उनकी हृदयाघात से मौत हो गई.
लेकिन अपने ज़िंदगी भर लंबे इस अभियान के आख़िरी दौर में उन्होंने लोगों के घर घर जाकर उन कागजों पर दस्तखत करवाए जिसमें इस दिन को ख़त्म किए जाने की दरख्वास्त थी.
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सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं
कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.
ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.
लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.
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जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.
यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.
इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.
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दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.
फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.
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अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.
अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.
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कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.
लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.
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शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.
फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.
क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए?मैनचेस्टर से एन हार्डमैन
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पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.
मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.
फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.
अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए?लंदन से ग्राहम राइट
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अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.
सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.
मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा?बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.
यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.
गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.
मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?मीव मैकगोल्डरिक
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.
अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.
बच्चों के लिए क्या जोखिम है?लंदन से लुइस
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.
ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.
हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.