क्या भारत में भी मौजूद है 10 गुना ज़्यादा संक्रामक कोरोना वायरस?

  • गुरप्रीत सैनी
  • बीबीसी संवाददाता
क्या भारत से मलेशिया पहुंचा 10 गुना ज़्यादा संक्रामक कोरोना वायरस?

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मलेशिया में एक नए तरह का कोरोना वायरस यानी वायरस का स्ट्रेन मिला है, जिसका नाम है D614G. मलेशिया की सरकार ने चेतावनी दी है कि इस प्रकार का कोरोना वायरस बहुत तेज़ी से फैल सकता है.

D614G दरअसल कोरोना वायरस के म्यूटेशन यानी जीन में बदलाव होने से ही बना है. मलेशिया के स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ नूर हिशाम ने कहा कि D614G वायरस दुनिया भर में जाने-पहचाने कोरोना वायरस से 10 गुना ज़्यादा तेज़ी से फैलता है. इसलिए लोगों को ज़्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी है.

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इस वायरस का इंडिया कनेक्शन

हाल में तमिलनाडु के सिवगंगई से मलेशिया लौटा एक शख़्स कोरोना के एक बदले हुए वायरस से संक्रमित पाया गया. मामला संदिग्ध लगने पर इस शख़्स की सघन मेडिकल जांच की गई थी. जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि इस शख़्स में D614G प्रकार के म्यूटेशन का कोरोना संक्रमण है.

रविवार को मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की थी कि D614G म्यूटेशन, एक क्लस्टर में मिले 45 मामलों में से कम से कम तीन में पाया गया है, जिसकी शुरुआत भारत से लौटे एक रेस्त्रां मालिक से हुई और उन्होंने 14 दिन के क्वारंटीन के नियम का पालन नहीं किया था.

मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि उलुतिराम इलाक़े में भी एक अन्य शख़्स इसी तरह के वायरस से संक्रमित पाया गया है. मलेशिया के मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस नए तरह के संक्रमण की पहचान की है.

तो क्या ये वायरस भारत से ही मलेशिया में पहुंचा होगा? क्या इसका मतलब ये है कि भारत में भी इस तरह का वायरस मौजूद है?

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वाइस चेयरमैन डॉ अतुल कक्कड़ ने बीबीसी को बताया "अगर मरीज़ यहां से गए हैं तो हो सकता है कि उन्हें संक्रमण भारत से ही हुआ हो. हालांकि इस वायरस के दुनिया के दूसरे देशों में भी मिलने की ख़बरें आई हैं और भारत में भी शुरू से कोरोना वायरस कहीं से तो आया ही है."

उनका मानना है कि अगर D614G भारत ये गया है तो यहां तो होगा ही. वो कहते हैं, "लेकिन अभी तक इस बात का पता नहीं चला है, हालांकि वायरोलॉजी में पता लगाने के लिए स्टडी हो रही है कि भारत में कौन-कौन से स्ट्रेन मौजूद हैं और कौन-सा पैटर्न है. भारत में अभी इतनी जानकारी मौजूद नहीं है."

हालांकि डॉक्टर कक्कड़ का कहना है कि "ये पता लगाने में भारत को थोड़ा समय लगेगा. लेकिन जानकारी मिल जाएगी, क्योंकि इसका पता लगाना इतना मुश्किल नहीं है."

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'अधिक संक्रामक ज़रूर, लेकिन कम जानलेवा है'

वायरस के इस नए रूप का संक्रमण दूसरों में 10 गुना ज़्यादा तेज़ी से और आसानी से फैल सकता है. साथ ही उस शख़्स को 'सुपर स्प्रेडर' कहा जाता है जो कई लोगों में वायरस फैला सकता है.

डॉ नूर हिशाम ने सोमवार को कुआलालुंम्पुर में कहा, "जब उन लोगों को नए तरह का कोरोना वायरस संक्रमित करता है, तो वो दस गुना ज़्यादा तेज़ी से फैलता है."

लेकिन संक्रामक रोगों के एक प्रमुख विशेषज्ञ का कहना है कि ये म्यूटेशन अधिक संक्रामक हो सकता है, लेकिन ये कम जानलेवा मालूम पड़ता है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के वरिष्ठ चिकित्सक और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ के नव-निर्वाचित अध्यक्ष पॉल टैम्बिया ने कहा, "सुबूत बताते हैं कि दुनिया के कुछ इलाक़ों में कोरोना के D614G म्यूटेशन के फैलने के बाद वहां मौत की दर में कमी देखी गई, इससे पता चलता है कि वो कम घातक हैं."

डॉक्टर टैम्बिया ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि वायरस का ज़्यादा संक्रामक लेकिन कम घातक होना अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि ज़्यादातर वायरस जैसे-जैसे म्यूटेट करते हैं वैसे-वैसे वो कम घातक होते जाते हैं.

उनका कहना था, "ये वायरस के हित में होता है कि वो अधिक से अधिक लोगों को संक्रमित करे लेकिन उन्हें मारे नहीं क्योंकि वायरस भोजन और आसरे के लिए लोगों पर ही निर्भर करता है."

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एकदम नया म्यूटेशन नहीं

ये वायरस एकदम नया नहीं है. बल्कि यूरोप, उत्तरी अमरीका और एशिया के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का ये म्यूटेशन देखा गया है. D614G म्यूटेशन वाले कोरोना संक्रमण के फैलने के बारे में जुलाई के आख़िर में ही पता चला था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वैज्ञानिकों को फ़रवरी में ही इस बात की पता चल गया था कि कोरोना वायरस में तेज़ी से म्यूटेशन हो रहा है और वो यूरोप और अमरीका में फैल रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये भी कहना था कि इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि वायरस में बदलाव के बाद वो और घातक हो गया है.

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मौजूदा वैक्सीन क्या करेगी असर

अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि जो तमाम वैक्सीन तैयार की जा रही हैं, वो वायरस के इस प्रकार पर कितना असर करेगी. नूर हिशाम ने कहा कि कोरोना का D614G वर्जन 10 गुना ज़्यादा संक्रामक था और अभी जो वैक्सीन विकसित की जा रही है हो सकता है वो कोरोना वायरस के इस वर्जन के लिए उतनी प्रभावी ना हो.

डॉ अतुल कक्कड़ भी कहते हैं कि जो वैक्सीन बन रही है वो नॉर्मल वायरस के लिए बन रही है, लेकिन ये म्यूटेटेड वायरस है, यानी उसे जैसा बर्ताव करना चाहिए वो वैसे नहीं कर रहा.

वो कहते हैं, "जो वैक्सीन बनती है, वो तो नॉर्मल वायरस के लिए बनती है. लेकिन म्यूटेटेड वायरस अलग बर्ताव करता है, वो ज़्यादा संक्रामक होता है. इसलिए कहा नहीं जा सकता कि वैक्सीन उस पर कितना काम करेगी, क्योंकि उसका जो जीन सिक्वेंसिंग यानी जेनेटिक मेकअप होता है, वो अलग हो जाता है."

डॉ अतुल कक्कड़ के मुताबिक़, "आम तौर पर म्यूटेटेड वायरस के मामले में एंटी वायरल मेडिसिन तो दी जाएगी, ट्रीटमेंट में बदलाव नहीं होगा. बस टीकाकरण में थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता. जैसे इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन को हर साल स्ट्रेन बदलने पर थोड़ा बदलना पड़ता है. वैसे ही कोरोना के म्यूटेट होने पर वैक्सीन में थोड़ा बदलाव करना पड़ सकता है. बेस्ट रहेगा कि हम वायरस को स्टडी कर लें. अगर हमें वैक्सीन बनाना आता है तो उसमें थोड़ा बहुत बदलाव करना कोई बड़ा बात नहीं है."

हालांकि टैम्बिया और सिंगापुर के विज्ञान, टेक्नॉलोजी और शोध संस्थान के सेबैस्टियन मॉरर-स्ट्रोह ने कहा कि म्यूटेशन के कारण कोरोना वायरस में इतना बदलाव नहीं होगा कि उसकी जो वैक्सीन बनाई जा रही है उसका असर कम हो जाएगा.

मॉरर-स्ट्रोह ने कहा, "वायरस में बदलाव तक़रीबन एक जैसे हैं और उन्होंने वो जगह नहीं बदली है जो कि आम तौर पर हमारा इम्युन सिस्टम पहचानता है, इसलिए कोरोना की जो वैक्सीन विकसित की जा रही है, उसमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा."

हालांकि रविवार को डीजी नूर हिशाम ने हाल के दो हॉट-स्पॉट में कोरोना वायरस के D614G म्यूटेशन पाए जाने के बाद लोगों से और अधिक सतर्क रहने का आग्रह किया. उन्होंने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बरतने, मास्क पहनने और साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखने के लिए कहा है.

मॉरर-स्ट्रोह ने कहा कि कोरोना वायरस का ये रूप सिंगापुर में पाया गया है लेकिन वायरस की रोक-थाम के लिए उठाए गए क़दमों के कारण वो बड़े पैमाने पर फैलने में नाकाम रहा है.

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