भारत की सेना चीन की आक्रामक कार्रवाई को संभालने में सक्षमः जनरल रावत

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भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत की सेनाएँ चीन की आक्रामक कार्रवाइयों को समुचित तरीक़े से संभालने में सक्षम है.
जनरल रावत ने भारत-अमरीकरा रणनीतिक सहयोग मंच की बैठक में पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में चीन के कथित तौर पर यथास्थिति बदलने के बारे में कहा कि इस मामले में भारत की नीति को अगर सेना और क्षेत्रीय प्रभाव का समर्थन ना मिले तो इसका मतलब ये मान लेना होगा कि इस क्षेत्र में चीन का दबदबा है.
पूर्व सेनाध्यक्ष रावत ने कहा, "हाल के समय में, भारत देख रहा है कि चीन कई आक्रामक हरकतें कर रहा है, मगर हम इसे समुचित तरीक़ों से संभाल सकते हैं."
उन्होंने साथ ही पाकिस्तान को भी चेतावनी दी कि वो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी संकट का फ़ायदा उठाने की कोशिश ना करे क्योंकि भारत ऐसे किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैयार है.
भारत और चीन के बीच ब्रिगेड कमांडर स्तर पर बातचीत इस सप्ताह शुरू हुई और अब भी जारी है. लेकिन अप्रैल-मई से भारत के लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी को लेकर शुरु हुए विवाद में कमी नहीं दिख रही.
अबतक एशिया के सबसे बड़े दोनों देशों के बीच पांच राउंड की ब्रिगेड कमांडर लेवल की बातचीत होने के साथ-साथ भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी चीन में इस मामले में उच्च नेतृत्व से संपर्क कर चुके हैं.
लेकिन इस सप्ताह दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है. दोनों देश एक-दूसरे पर उकसाऊ हरकतें करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के उल्लंघन के आरोप लगा रहे हैं.

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नया तनाव
हफ़्ते की शुरुआत में भारतीय फ़ौज ने 29/30 की रात को चीन की तरफ़ से उकसाऊ कार्रवाई करने और भारत की तरफ़ से उसे रोक देने की बात कही थी.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच और विशेष प्रतिनिधियों के संपर्क में ये तय पाया था कि मामले को ज़िम्मेदाराना तौर पर सुलझाया जाएगा लेकिन पैंगॉंग झील के दक्षिणी किनारे पर उकसाउ सैनिक कार्रवाईयां कीं गईं.
फिर बुधवार को चीन का भी जवाब आया और उसने कथित उकसाउ कार्रवाईयों पर रोक लगाने की बात कही.
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इसी बीच भारत की एक बेहद ख़ुफ़िया स्पेशल फ़ोर्स के एक जवान के मारे जाने की ख़बर सामने आई है. हालांकि इसपर भारतीय फ़ौज या सरकार की तरफ़ से किसी तरह का कोई बयान नहीं आया है.
वहीं बुधवार को भारत ने चीन पर व्यावसायिक दबाव बनाने की एक कोशिश में 118 चीनी ऐप्स बैन करने का ऐलान किया.
संप्रभुता और अखंडता के हवाले से रोक लगाई गई 118 ऐप्प से पहले भारत ने जून में 59 दूसरे ऐप्स जिसमें टिकटॉक नाम का भी एक ऐप्प था रोक लगाई थी. एक माह बाद 47 और ऐसी ऐप्स पर रोक लगाई गई थी.
इस तरह भारत ने अब तक कुल 224 ऐप्स पर बैन लगाया है.
भारत ने इससे पहले चीन में तैयार इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर रोक लगाई थी और कई तरह के दूसरे क़दम उठाए थे.
दोनों मुल्क राजनयिक स्तर पर भी दूसरे देशों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई कोऑपरेशन काउंसिल की बैठक में शामिल होने के लिए रूस में हैं जहाँ वो अंग्रेज़ी समाचार पत्र हिंदुस्तान टाईम्स के मुताबिक़ पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच बनी दूरी का फ़ायदा उठाकर पड़ोसी देश को अलग-थलग करने की कोशिश करेंगे.
पाकिस्तान चीन का बहुत ही निकट सहयोगी है.

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इंडियन एक्सप्रेस में अमरीकी रक्षा मंत्रालय के हवाले से छपी एक ख़बर में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान, म्यांमार और श्रीलंका में अपने ठिकाने को और मज़बूत करना चाहता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त चीन कम से कम नौ और देशों जिसमें थाईलैंड से लेकर ताजिकिस्तान शामिल हैं इसी तरह की सुविधा क़ायम करने की कोशिश में है.
अमरीकी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि चीन अपने परमाणु हथियारों के ज़ख़ीरे को अगले दस सालों में दोगुना कर लेगा.
चीन ने अमरीकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है और कहा है कि सभी को मालूम है कि अमरीकी उन सभी मुल्कों से रक्षा पर कुल ख़र्च करने के मामले में उसके पीछे खड़े हैं उन सभी को मिलाकर 10 गुणा रक्षा पर ख़र्च करता है.
अमरीका का कहना है कि चीन दुनिया में एकतरफ़ा ताक़त बनकर उभरना चाहता है और उसके लिए इस तरह के बहाने पेश कर रहा है.
अमरीकी राजनयिक रॉबर्ट स्टिलविल ने वाशिंगटन में कहा है कि चीन कोरोना महामारी का फ़ायदा उठाना चाहता है, भारत के साथ जो हो रहा है वो उसका उदाहरण है, मैं चीन के दोस्तों से कहना चाहूँगा कि वो पूरे मामले का निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से करें.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन की कार्रवाईयों को पड़ोसियों को डराने-धमकाने वाला बताया है.
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