नजमा गुमनाम थीं पर उनके ख़तों के जवाब हर सुपरस्टार ने दिए
- आलिया नाज़की
- बीबीसी उर्दू, लंदन

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अक्सर हमारे साथ ऐसा होता है कि बात-बात पर हमारे दादा-दादी, नाना-नानी आह भर कर कहते हैं कि "उफ़! हमारे समय की तो बात ही कुछ और थी, उफ़ वो दिन भी क्या दिन थे!"
हम और आप शायद कई बातों पर उनसे सहमत ना हों. आख़िर, मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया और अन्य सभी आधुनिक सुविधाओं के बिना भी भला कोई जीवन है? लेकिन कहना पड़ेगा कि आज ट्विटर पर एक थ्रेड देखने के बाद, एक पल के लिए, दिल से अनायास एक ही वाक्य निकला, "उफ़! वो दिन भी क्या दिन थे!"
ऐसा हुआ कि भारत की फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट 'ऑल्ट न्यूज़' की सह-संस्थापक जो ट्विटर पर 'सैम सेज़' के नाम से ट्वीट करती हैं, उन्होंने आज ट्विटर पर अपनी बुआ का ज़िक्र करके सभी का दिल जीत लिया.
उनकी बुआ की मृत्यु 15 साल पहले 2006 में हुई थी. उनकी मृत्यु के बाद उनका कुछ सामान कई वर्षों तक एक स्टोर रूम के तहख़ाने में पड़ा रहा और हाल ही में उनके उस सामान में मौजूद एक पुराना एल्बम सैम के हाथों लगा.
उनकी बुआ मेहरुन्निसा नजमा जिन्हें प्यार से सब नजमा के नाम से बुलाते थे, भारतीय फ़िल्मों की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और वो अपनी माँ की नाराज़गी के बावजूद अपना सारा ख़ाली समय तत्कालीन फ़िल्मी सितारों को पत्र लिखने में बिताती थीं.
और क्या आप विश्वास करेंगे कि इस पुराने एलबम में उस समय के बड़े से बड़े फ़िल्मी सितारों के वो पत्र हैं, जो उन्होंने जवाब में नजमा को लिखे और अपनी हस्ताक्षरित तस्वीरों के साथ भेजे?
शमी कपूर ने अंग्रेज़ी में, धर्मेंद्र ने अपने हाथ से लिखी हिंदी में, तो सुनील दत्त ने उस युवती के पत्रों का जवाब शुद्ध और हाथ से लिखी उर्दू में दिया. सूची बहुत लंबी है. इसमें कामिनी कोशल, साधना, आशा पारिख, सायरा बानो, तबस्सुम, सूर्या, राजेंद्र कुमार, और राज कुमार भी शामिल हैं.
सोचिए अगर हम और आप में से कोई शाहरुख़ ख़ान, दीपिका पादुकोण, फ़वाद ख़ान या माहिरा ख़ान को पत्र लिखें और उनका इस तरह से हस्तलिखित जवाब आए!
उफ़! नानी सही कहती हैं. वो ज़माना ही अलग था!
ख़ैर, इन पत्रों का ज़िक्र करने से पहले, आपको नजमा के बारे में कुछ बताते हैं. उनका जन्म सन 1930 के दशक में हुआ था. उनके पिता पंजाब से थे, लेकिन उनकी माँ बर्मा (म्यांमार) से थीं. उनकी दो बहनें और एक भाई था. पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी.
वो और उनका पूरा परिवार अपनी बुआ के साथ रहते थे. उनकी बुआ उस समय के नवाब ऑफ टोंक सआदत अली ख़ान की पत्नी थीं.
यानी, नजमा को उनकी बर्मी माँ ने टोंक के नवाब के महल में पाला था.
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वो हवेली जहाँ नजमा बड़ी हुई थीं
बाकी भाई उच्च शिक्षा के लिए अलीगढ़ गए, लेकिन नजमा का झुकाव पढ़ाई में नहीं था. उन्हें तो फिल्मों का शौक़ था! वो पूरे ध्यान से रेडियो पर गाने सुनती और अपने पसंदीदा फ़िल्मी सितारों को पत्र लिखती.
यह सिलसिला उनकी कम उम्र से शुरू हुआ और तब तक लगातार चलता रहा जब तक उनकी शादी नहीं हो गई. शादी के बाद उन्होंने पत्र लिखने तो बंद कर दिए, लेकिन फ़िल्में देखना बंद नहीं किया.
सैम के अनुसार, नजमा बहुत ही प्यार करने वाली बुआ थीं, और हर कोई उनके बारे में जानता था, कि उन्हें फ़िल्मों का और फ़िल्मी सितारों को पत्र लिखने का बहुत शौक़ था. ट्विटर पर अपनी थ्रेड वायरल होने के बारे में, सैम ने कहा कि बुआ के इस शौक़ और और इस एलबम के बारे में हर कोई जानता था. लेकिन किसी ने कभी यह नहीं सोचा था, कि उनका यह एलबम इतना महत्वपूर्ण भी होगा.
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शादी के सिर्फ आठ साल बाद ही नजमा के पति की मृत्यु हो गई. उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया और पूरा जीवन अपने भाई-बहनों के साथ बिताया. उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी, लेकिन वह अपनी भतीजी के बहुत क़रीब थीं. उन्होंने जीवन के अंत तक थिएटर में जा कर फ़िल्में देखने का शौक़ बनाए रखा.
अब उनके इस अनमोल एलबम की एक झलक देखें
सुनील दत्त से शुरू करते हैं, जिन्होंने उर्दू में जवाब दिया, और केवल एक या दो वाक्य नहीं, बल्कि एक लंबा चौड़ा जवाब! जिसमें शायद यह ध्यान में रखते हुए कि लेखक एक जवान लड़की है, उन्होंने नजमा को एक बार नहीं, बल्कि कई बार अपनी बहन कहा!
अब नजमा को इस तरह 'सिस्टर ज़ोन' होना कैसा लगा होगा, क्या पता! इसके साथ-साथ, सुनील दत्त ने इस पत्र में उर्दू शब्दों की जगह हिंदी शब्द भी उर्दू में लिखे हैं. 'ख़ैर अंदेश' भी और शुभचिंतक' 'भी! नजमा के 'ख़ैर अंदेश' भाई, सुनील दत्त 'का यह पत्र हमारा पसंदीदा है.
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फिर धर्मेंद्र का जवाब देखिए, हिंदी में. लगता है नजमा ने उन्हें, उनके जन्मदिन पर बधाई के लिए पत्र लिखा हो. जवाब में, वह लिखते हैं, "जन्मदिन पर आपकी हसीन मुबारकबाद मिली. मन इस तरह ख़ुशी से नाच उठा कि बयान नहीं किया जा सकता. इसी ख़ुशी में अपना ऑटोग्राफ और फोटो भेज रहा हूं. साथ ही मेरी शुभकामनाएं भी हैं. आपका, धर्मेंद्र."
इस पत्र पर नजमा की प्रतिक्रिया का हम सिर्फ़ अनुमान ही लगा सकते हैं!
सैम के अनुसार, अभिनेत्री तबस्सुम का पत्र (जिसे सैम ने साझा नहीं किया) वो तो और भी अधिक व्यक्तिगत था. यह दोनों के बीच चल रहे पत्राचार की तरफ इशारा करता है.
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और सिर्फ़ फ़िल्मी सितारे ही नहीं, वह रेडियो सिलोन की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और हर समय रेडियो पर होने वाली किसी न किसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रहती थीं, और निश्चित रूप से वह जीतती भी थीं. इनाम के तौर पर, रेडियो सिलोन की तरफ़ से कई लोकप्रिय गायकों के ऑटोग्राफ वाली तस्वीरें भी उनके कलेक्शन का हिस्सा थीं.
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चाची नजमा की मृत्यु 15 साल पहले 2006 में हुई थी
सैम ने हमें बताया कि इस थ्रेड के वायरल होने के बाद, नेशनल फ़िल्म आर्काइव ऑफ इंडिया ने भी उनसे संपर्क किया और कहा कि वे इन पत्रों के संरक्षण की ज़िम्मेदारी लेना चाहते हैं.
हालांकि, सैम ने अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है.
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