तालिबान ने डॉलर पर लगाई रोक, कहा, 'डॉलर की तस्करी देशद्रोह'

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उप-प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफ़ी
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के क़ब्ज़े के बाद देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था के कारण तालिबान शासन ने देश में विदेशी मुद्राओं पर रोक लगा दी है.
देश के उप-प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफ़ी ने काबुल में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके घोषणा की है कि देश में अब से विदेशी मुद्राओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहेगा. उन्होंने लोगों को अफ़ग़ानी मुद्रा इस्तेमाल करने के लिए कहा है.
तालिबान शासन ने यह फ़ैसला अफ़ग़ानी मुद्रा को स्थिर रखने के लिए लिया है और अब किसी को भी विदेशी मुद्रा में काम करने का अधिकार नहीं होगा.
इसके साथ ही अब्दुल सलाम ने अब से डॉलर की तस्करी करने वालों को देशद्रोही और ग़द्दार घोषित किया है.
अफ़ग़ानी मुद्रा को बचाने के लिए तालिबान ने एक कमीशन का गठन किया है जिसका नेतृत्व अब्दुल सलाम कर रहे हैं.
तालिबान ने और क्या फ़ैसला लिया
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प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान मौलवी अब्दुल सलाम हनफ़ी ने कहा कि अफ़ग़ानी मुद्रा में गिरावट की वजह प्रोपेगैंडा है.
उन्होंने कहा कि कुछ अफ़ग़ान लोग ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार करते हुए अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जिसके कारण अफ़ग़ानी मुद्रा में गिरावट हो रही है.
हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बेरोज़गारी बढ़ने, व्यापार और आर्थिक गतिविधियों में गिरावट, सरकारी कर्मचारियों को वेतन न देना और अफ़ग़ानिस्तान के फ़ंड्स पर रोक लगाना इसकी असली वजहें हैं.
अब्दुल सलाम हनफ़ी ने कहा, "हमने फ़ैसला किया है कि अब से अफ़ग़ानिस्तान में विदेशी मुद्रा के लेन-देन पर रोक रहेगी. सभी सुरक्षा एजेंसियों और गर्वनरों को इस फ़ैसले को लागू करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है."
"डॉलर और सामान के लेन-देन में इसके इस्तेमाल को अब क़ानूनी तौर पर तस्करी माना जाएगा जिसको लेकर कड़ी सज़ा दी जाएगी. जो इनकी तस्करी करेगा उनके साथ देशद्रोह मानकर व्यवहार किया जाएगा."
इससे पहले पिछली तालिबान सरकार में विदेशी मुद्रा के लेन-देन पर रोक लगाई गई थी, लेकिन यह फ़ैसला कभी लागू नहीं हो सका. विदेशी मुद्रा को अफ़ग़ानी मुद्रा के लिए प्रमुख चुनौती माना जा रहा है.
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मनी चेंजर्स को चेतावनी
अब्दुल सलाम हनफ़ी ने पैसे बदलने का काम करने वाले (मनी चेंजर्स) लोगों को अफ़ग़ानी मुद्रा गिरने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने कहा कि मनी चेंजर्स की गतिविधियों के लिए नियम बनाने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा कि, "ऐसे कुछ लोग हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डॉलर जमा कर रहे हैं. वो अपने लाभ के लिए राष्ट्र के हितों को ख़तरा पहुंचा रहे हैं."
इस फ़ैसले के अलावा हनफ़ी ने यह नहीं बताया कि राष्ट्र की आर्थिक और वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए तालिबान शासन क्या कर रहा है. उन्होंने लोगों को यह भरोसा ज़रूर दिलाया कि अफ़ग़ानिस्तान में वित्तीय और आर्थिक स्थिति स्थिर है.
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उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार को अपनी दैनिक ज़रूरतों की पूर्ति घरेलू राजस्व से हो रही है और नक़दी की कमी से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.
वहीं एक दूसरे उप-प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर जो बहुत कम ही नज़र आते हैं, वो सार्वजनिक तौर पर सामने आए हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए कहा है कि वो अमेरिका से कहें कि अफ़ग़ानिस्तान की बैंकिंग संपत्तियों पर से रोक हटाई जाए.
वरिष्ठ तालिबान अधिकारियों की ओर से आर्थिक और वित्तीय मामलों के फ़ैसले ऐसे समय पर सामने आए हैं जब अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने एक बड़े मानवीय संकट की चेतावनी जारी की है.
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इन सर्दियों में 50 लाख अफ़ग़ान लोगों को मदद की ज़रूरत पड़ने वाली है.
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