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दुनिया भर में कोरोना से 7,000 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई है: एमनेस्टी
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एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि दुनिया भर में कोरोना से अबतक सात हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है. सबसे ज़्यादा मौत मेक्सिको में हुई है.
एमनेस्टी के अनुसार मेक्सिको में 1320 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई है, उसके बाद अमरीका में 1077, ब्रिटेन में 649 और ब्राज़ील में 634.
एमनेस्टी की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों की मौत के मामले में भारत और दक्षिण अफ़्रीक़ा से भी चिंताजनक ख़बरें आ रही हैं. भारत में अबतक 573 और दक्षिण अफ़्रीक़ा में अबतक 240 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है.
एमनेस्टी में आर्थिक और सामाजिक न्याय के प्रमुख स्वीव कॉकबर्न के अनुसार दूसरों को बचाते हुए इतनी बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों का मारा जाना बताता है कि ये समस्या कितनी गंभीर है.
उनके अनुसार हर स्वास्थ्यकर्मी को काम के दौरान पूरी सुरक्षा दिया जाना उसका अधिकार है और ये स्कैंडल है कि वो इतनी बड़ी क़ीमत चुका रहे हैं.
पीएम मोदीः मौजूदा स्थिति में एक नई मानसिकता ज़रूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत ने रिकॉर्ड समय में अपने यहाँ कोविड-19 से निपटने के लिए सुविधाओं की व्यवस्था कर ली थी. अभी की स्थिति में एक ऐसी नई मानसिकता की ज़रूरत है जो मानव केंद्रित हो.
प्रधानमंत्री ने भारत-अमरीका रणनीतिक साझेदारी मंच के तीसरे वार्षिक सम्मेेलन में कहा,"2020 के शुरू में क्या किसी ने भी कल्पना की थी कि ये बीमारी कैसे फैलेगी? एक वैश्विक महामारी ने हर किसी पर असर डाला है. ये हमारे धैर्य, हमारे स्वास्थ्य तंत्र और आर्थिक व्यवस्था की परीक्षा ले रही है. वर्तमान समय एक नई मानसिकता की माँग करता है जिसमें विकास का लक्ष्य मानव-केंद्रित हो."
उनके भाषण की मुख्य बातें -
- भारत लॉकडाउन के समय इसे लागू करने की व्यवस्था करने वाले पहले देशों में शामिल था.
- भारत ने जनवरी में पहला टेस्टिंग लैब बनाया और अब देश भर में ऐसी 1600 लैब हैं.
- 1.3 अरब की आबादी वाले देश और सीमित संसाधनों के बावजूद भारत में की गिनती सबसे कम मृत्यु दर वाले देशों में होती है.
- आगे का मार्ग संभावनाओं से भरा है. ये अवसर सरकारी क्षेत्र में भी हैं निजी क्षेत्र में भी. ये आर्थिक क्षेत्र में भी हैं, सामाजिक क्षेत्र में भी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा के अधिवेशन में भी प्रश्नकाल नहीं
Sanjay DasCopyright: Sanjay Das
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से बीबीसी हिंदी के लिए
संसद में प्रश्नकाल नहीं होने पर विवाद अभी थमा भी नहीं है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के दो-दिवसीय मॉनसून अधिवेशन के दौरान भी समय की कमी की वजह से प्रश्नकाल नहीं रखने का फ़ैसला किया गया है.
विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.
दूसरी ओर, भाजपा ने इस मामले में तृणमूल कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने संसद में प्रश्नकाल नहीं होने को लोकतंत्र पर सबसे बुरा प्रहार करार दिया था.
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया, “सदन का मॉनसून अधिवेशन 9 और 10 सितंबर को होगा. लेकिन समय की कमी की वजह से इस दौरान प्रश्नकाल नहीं होगा. आठ और नौ सितंबर को विधानसभर परिसर में लगे चिकित्सा शिविर में तमाम विधायकों, कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों को एंटीजन टेस्ट कराना होगा. जाँच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उनको भीतर जाने दिया जाएगा.”
उनका कहना था कि सदन के भीतर भी विधायकों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा.
उधर, भाजपा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस दोहरा रवैया अपना रही है और सरकार को आम लोगों के सवालों का सामना करने की ताक़त नहीं है.
पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजुमदार का कहना था, “सरकार अंफान राहत में भ्रष्टाचार और कोविड-19 महामारी से निपटने में नाकामी जैसे मुद्दों पर विपक्ष और आम लोगों के सवालों का सामना नहीं करना चाहती. इसी वजह से प्रश्नकाल नहीं रखा गया है. यहां अधिवेशन का आयोजन संवैधानिक मजबूरी की वजह से किया जा रहा है.”
बिहार, ओडिशा और राजस्थान में लॉकडाउन की वजह से रोज़गार खो चुके परिवारों के बेटों को बाल मज़दूरी और बेटियों को बाल विवाह में धकेले जाने के मामले सामने आ रहे हैं.
वैज्ञानिकों पर जल्द-से-जल्द कोरोना वायरस की प्रभावकारी वैक्सीन बनाने का भारी दबाव है.
सोशल डिस्टैंसिंग से वायरस के फैलने की रफ़्तार को क़ाबू किया जा सकता है, मगर जानकारों को लगता है कि महामारी पर रोक लगाने का एकमात्र उपाय वैक्सीन है.
लेकिन, ऐसी बहुत सारी वैक्सीन होती हैं जो आरंभ में तो काफ़ी उम्मीद जगाती हैं, मगर जब ज़्यादा लोगों पर टेस्ट किया जाता है तो नाकाम साबित होती हैं.
इन परीक्षणों में इस कथित थर्ड फ़ेज़ का बड़ा महत्व होता है, क्योंकि ये वो चरण होता है जिसमें पता चलता है कि वैक्सीन का कोई साइड इफ़ेक्ट हो रहा है कि नहीं.
वैक्सीन करता क्या है? वो दरअसल इंसानों की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ा देता है जिससे वो बीमारियाँ पैदा करने वाले वायरस पर हमला कर उसे नष्ट कर देता है.
लेकिन, प्रतिरोधी क्षमता अगर ग़लत तरीक़े से बढ़ी तो उससे समस्याएँ सुलझने की जगह और बढ़ सकती हैं.
यही वजह है कि वैक्सीनों के परीक्षण को लेकर सख़्त नियम और दिशानिर्देश बनाए गए हैं, और इनकी अवहेलना करना ख़तरनाक हो सकता है.
ब्रिटेन में, ऐसा विचार चल रहा है कि अगर नए साल से पहले कोई वैक्सीन आ जाती है, तो बग़ैर लाइसेंस के ही उसके इस्तेमाल किए जाने को लेकर नए नियम लाए जाएँ. लेकिन तब भी, सुरक्षा के सख़्त मानदंडों का पालन करना होगा.
बिना ठीक से परीक्षण किए किसी वैक्सीन के इस्तेमाल के ख़तरे क्या हो सकते हैं, इसका उदाहरण 2009 की एक घटना से मिलता है, जब एचवनएनवन स्वाइन फ़्लू के लिए पैन्डेमरिक्स नाम के एक जल्दी से बनाए गए टीके का इस्तेमाल हुआ और इससे लोगों को नार्कोलेप्सी नाम की नींद की बीमारी होने लगी.
रिसर्च: पेट में दर्द भी हो सकता है बच्चों में कोरोना का लक्षण
ब्रिटेन की एक रिसर्च के मुताबिक
डायरिया, उल्टी और पेट में मरोड़े भी बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण हो
सकते हैं.
क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट की टीम बच्चों में कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च कर रही है. उनका कहना है कि इससे
कोरोना के लक्षण पता करने में मदद मिलेगी.
फिलहाल ब्रिटेन में बुखार, खांसी
और गंध या स्वाद ना आना कोरोना वायरस के लक्षण माने गए हैं. भारत में भी इन्हें कोरोना
वायरस के लक्षणों की सूची में डाला गया है.
यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ने
पहले ही उल्टी, मितली और डायरिया को कोरोना वायरस के संभावित लक्षणों की सूची में
डाला है.
इस रिसर्च में करीब 1000 बच्चे शामिल
थे. मेडआरकाइव में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक 992 बच्चों में से 68 में कोरोना
वायरस के लिए एंटीबॉडी मिली.
68 में
से 13 बच्चों को डायरिया, उल्टी और पेट में दर्द की शिकायत पाई गई.
Queen's University BelfastCopyright: Queen's University Belfast
भारत: कोरोना से हुई कुल मौतों में 70 प्रतिशत पांच राज्यों में
भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 70 प्रतिशत मौतें आंध्र
प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में हुई हैं.
वहीं,
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के
62 प्रतिशत एक्टिव मामले हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस को लेकर की गई प्रेस कांफ्रेस में
इस संबंध में जानकारी दी.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि राजधानी दिल्ली
में कोरोना के बढ़ते मामलों और मौतों को देखते हुए दिल्ली सरकार से बात की जा रही
है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं. अगर उनका
पालन होता है तो मामले नियंत्रण में आ सकते हैं.
देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों लेकर उन्होंने कहा, “रोज़ाना पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं.
इसे पूरी जनसंख्या के संदर्भ में देखना चाहिए. सरकार ने पर्याप्त परीक्षण क्षमता
सुनिश्चित करके, क्लीनिकल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के स्पष्ट
दिशानिर्देश देकर और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था को
खोलने के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है.”
उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से तुलना करने पर भारत में प्रति मिलियन
(जनसंख्या) कोविड के मामले बहुत कम हैं. भारत में प्रति मिलियन मौतें भी बहुत कम
हैं. यहां प्रति 10 लाख पर 49 मौतें हुई हैं. वहीं, कोरोना
वायरस के प्रति दस लाख जनसंख्या पर 2,792 मामले हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि पूरे भारत के 70 जिलों
में दूसरा सीरो सर्वे शुरू हो चुका है. इसके नतीज़े अगले दो हफ़्तों में आ जाएंगे.
साथ ही बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 11 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं. पूरे देश में अब
तक 4.5 करोड़ से ज़्यादा टेस्ट हो चुके हैं.
कुछ राज्यों में कोरोना के मामले में कमी भी देखने को मिली है. स्वास्थ्य
मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश में एक्टिव मामलों में 13.7 प्रतिशत की
साप्ताहिक कमी हुई है. इसी तरह कर्नाटक में 16.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत
और तमिलनाडु में 23.9 प्रतिशत और उत्तर प्रेदश में 17.1 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी आई
है.
महाराष्ट्र मे पिछले तीन हफ़्तों में कोरोना वायरस के मामलों में 7 प्रतिशत
की कमी देखी गई है.
Video caption: दिल्ली मेट्रो में सफ़र करने के लिए क्या करना होगा, क्या नहीं?दिल्ली मेट्रो में सफ़र करने के लिए क्या करना होगा, क्या नहीं?
देश भर में 7 सितंबर से मेट्रो सेवाएँ चरणबद्ध तरीक़े से फिर से शुरू हो जाएँगी मगर यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे एहतियाती उपायों का ध्यान रखना होगा.
अमरीका में चुनाव से पहले वैक्सीन देने को लेकर चिंता
BBCCopyright: BBC
अमरीका में चुनाव
से कुछ दिन पहले लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन देने की योजना ने चिंता पैदा कर
दी है.
सेंटर्स फॉर
डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेशन ने 50 राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों से 1 नवंबर
तक वैक्सीन के वितरण के लिए तैयार रहने को कहा है.
न्यूयॉर्क
टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 27 अगस्त को भेजे गए तीन दस्तावेजों मेंदो अज्ञात
वैक्सीन उम्मीदवारों को वितरित करने संबंधी विवरण दिया गया है.
दिशानिर्देशों
के मुताबिक सबसे पहले वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मियों, 65 से ज़्यादा उम्र के लोगों और
संक्रमण के ज़्यादा जोखिम वाले समुदायों को दी जाएगी.
अमरीका में कई वैक्सीन पर क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं और कुछ वैक्सीन
टेस्टिंग के आखिरी चरण पर हैं.
अमरीका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञडॉक्टर एंथनी
फौसी कहते हैं कि अगर परिणाम अत्यधिक सकारात्मक हों, तो परीक्षण पूरा होने से पहले वैक्सीन जी जा सकती
है.
लेकिन, अन्य
वैज्ञानिकों को डर है कि सीडीसी की इस घोषणा के पीछे राजनीति है. उन्होंने अमकीरी
चुनाव और वैक्सीन के समय को लेकर चिंता जताई है.
ब्रेकिंग न्यूज़वैक्सीन ग्रुप का दावा- 76 देश हुए 'कोवाक्स प्लान' में शामिल
ReutersCopyright: Reuters
GAVI वैक्सीन एलायंस के एक वरिष्ठ अधिकारी सेथ बर्कले ने कहा है कि समन्वित योजना,
जिसे कोवाक्स के नाम से जाना जाता है, उसमें जापान, जर्मनी और नॉर्वे जैसे 70 समृद्ध
देशों ने हस्ताक्षर किये हैं और इस योजना में शामिल होने की मंज़ूरी दी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिये एक इंटरव्यू में बर्कले ने
कहा, “अभी तक, मध्यम और अधिक आय वाले कुल 76 देशों ने कोवाक्स
प्लान में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की है. यह एक अच्छी ख़बर है. इससे स्पष्ट
होता है कि कोवाक्स फैसिलिटी व्यापार के लिए खुली है और दुनिया भर के देशों को
आकर्षित कर रही है. हमने चीन से भी इस बारे में बात की है और कहा है कि वो भी
इसमें शामिल हो जाये और चीन प्रशासन ने भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.”
कोवाक्स प्लान का संचालन GAVI, विश्व स्वास्थ्य संगठन और सीईपीआई नामक संस्था मिलकर
कर रहे हैं.
यह समूह कोवाक्स में शामिल सभी
देशों को इस विचार पर सहमत करने की कोशिश कर रहा है कि कोविड से सबसे ज़्यादा ख़तरे
में समझे जाने वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन पहले दी जाये.
इस समूह का ये भी कहना है कि सभी
को वैक्सीन मिलनी चाहिए और उचित दाम पर मिलनी चाहिए.
कोरोना संक्रमण अब तक दुनिया भर
में आठ लाख साठ हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान ले चुका है.
समृद्ध देश जो कोवाक्स में शामिल
हुए हैं, वो अपने बजट से क़रीब 90 देशों को वैक्सीन ख़रीदने में मदद करेंगे.
बर्कले ने कहा कि इस समूह का सबसे
बड़ा मक़सद यही है कि जो वैक्सीन नहीं ख़रीद सकते, उन तक भी कोरोना का टीका
पहुँचे.
बताया गया है कि कोवाक्स में शामिल
देशों को द्विपक्षीय समझौतों और अन्य सौदों के ज़रिये भी वैक्सीन हासिल करने की
आज़ादी होगी.
मंगलवार को अमरीका ने कहा कि वो
कोवाक्स प्लान में शामिल नहीं होगा क्योंकि ट्रंप प्रशासन को इस कार्यक्रम में विश्व
स्वास्थ्य संगठन के होने से आपत्ति है. हालांकि अमरीका के इस निर्णय को कुछ देशों
ने निराशाजनक बताया है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने
कोवाक्स को सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण इन्श्योरेंस पॉलिसी बताया है जिसके
ज़रिये वो एक सुरक्षित और प्रभावी कोविड वैक्सीन हासिल कर सकेंगे.
कोवाक्स में शामिल होने के लिए 18
सितंबर की समयसीमा रखी गई है और बताया गया है कि कोवाक्स का मक़सद 2021 के अंत तक
कोरोना वैक्सीन की क़रीब 2 अरब डोज़ मुहैया कराना है.
अगस्त में भी सर्विस सेक्टर में सुधार नहीं, जा रही हैं नौकरियां
Hindustan TimesCopyright: Hindustan Times
कोरोना महामारी के चलते कारोबारी गतिविधियों में रुकावट
आने और मांग कम होने के चलते भारत के सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) में लगातार छठे
महीने गिरावट देखने को मिली है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक इंडस्ट्री सर्वे के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कारोबारी गतिविधियां
प्रभावित होने से अगस्त में भी नौकरियां जाने का सिलसिला जारी है.
सर्वे कहता है कि अर्थव्यवस्था के अप्रैल से लेकर
जून दूसरी तिमाही में सिकुड़ने के बाद सर्विस सेक्टर में सुधार में लंबा समय
लगेगा.
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने न्यूज़
एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "भारत के सर्विस सेक्टर में अगस्त
में भी कारोबार संचालन की स्थितियां चुनौतिपूर्ण बनी हुई हैं. घरेलू और विदेशी
बाज़ारों में लॉकडाउन के प्रतिबंधों का उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ा है."
अर्थव्यवस्था को और नुक़सान से बचाने के लिए सरकार
ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भी अंडरग्राउंड ट्रेन नेटवर्क्स खोलने,
खेल से जुड़े और धार्मिक आयोजनों की सीमित अनुमति दी है.
हालांकि, मान जा रहा है कि प्रतिबंधों में ढील के
बावजूद भी आर्थिक गतिविधियों के फिर से सामान्य होने में काफी समय लगेगा क्योंकि
लोग खुद भी घर से बाहर कम निकल रहे हैं और मॉल, सिनेमा हॉल, रेस्तरां और होटल
जाने से बच रहे हैं.
घरेलू और विदेशी दोनों स्तर पर मांग कम होने से
उत्पादन कम हो रहा है और इसके कारण अब भी लोगों की नौकरियां जा रही हैं.
COVER STORY: कोरोना कैसे बदल देगा पूरी दुनिया
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Video caption: कोरोना कैसे बदल देगा पूरी दुनियाकोरोना कैसे बदल देगा पूरी दुनिया
घरों में रहना, बाहर कम से कम निकलना, लोगों से मिलने से कतराना, यात्राएं टाल देना, हर वक़्त डरे सहमे रहना, हमारा रहने का तरीका.
बर्ताव का तरीका सब बदल गया है. कोविड 19 ने दुनिया बदल कर रख दी है. पर जब महामारी ख़त्म होगी दुनिया कैसी होगी.
क्या ये हमेशा के लिए बदल जाएगी. क्या 2020 से पहले वाली दुनिया अब दोबारा नसीब नहीं होगी. कवर स्टोरी में देखिए ख़ास रिपोर्ट..
ब्रेकिंग न्यूज़भारत: बीते 24 घंटे में कोरोना के रिकॉर्ड नये मामले, 1043 लोगों की संक्रमण से मौत
mohfw.gov.inCopyright: mohfw.gov.in
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी हेल्थ
बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 83,883 नये मामले दर्ज
किये गए हैं जिन्हें मिलाकर भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 38 लाख से अधिक
हो गये हैं.
बताया गया है कि एक दिन में कोरोना के नये मामले सामने आने
का यह अब तक का सबसे बड़ा आँकड़ा है.
बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में 1,043 लोगों की कोविड-19
से मौत हुई है, जिनके बाद भारत में इस महामारी से मरने वालों की कुल संख्या 67,376
हो गई है.
मंत्रालय के मुताबिक़, कुल 38 लाख मामलों में से क़रीब 8
लाख 15 हज़ार मामले फ़िलहाल एक्टिव हैं.
वहीं लगभग 30 लाख लोग संक्रमण के बाद पूरी तरह ठीक हो चुके
हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है.
महाराष्ट्र में फ़िलहाल सर्वाधिक (दो लाख दो हज़ार) कोरोना
एक्टिव मरीज़ हैं.
बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि भारत में
कोविड से होने वाली मृत्यु की दर काफ़ी कम है. मंत्रालय के अनुसार, भारत में प्रति
दस लाख लोगों में से 48 लोगों की कोविड से मौत हुई है. जबकि वैश्विक स्तर पर औसत
प्रति दस लाख लोगों पर 110 लोगों का है.
बेंगलुरु मेट्रो का संचालन 7 सितंबर से होगा शुरू, पर कुछ पाबंदियों के साथ
bmrc.co.inCopyright: bmrc.co.in
बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने बताया है कि बेंगलुरु शहर
की नम्मा मेट्रो रेल सेवा 7 सितंबर से दोबारा शुरू होने जा रही है. फ़िलहाल मेट्रो
सेवा सुबह 8 से 11 और शाम साढ़े 4 से साढ़े 7 बजे के बीच ही उपलब्ध होगी.
बताया गया है कि ट्रेनें हर पाँच मिनट में मिलेंगी. 7 सिंतबर
से पर्पल और 9 सितंबर से मेट्रो की ग्रीन लाइन पर सेवा शुरू की जायेगी. सिर्फ़
स्मार्ट कार्ड से ही सफ़र किया जा सकेगा. स्टेशन पर होने वाली टोकन बिक्री पर
प्रतिबंध रहेगा. सभी यात्रियों के लिए चेहरे पर मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है
और कहा गया है कि एक ट्रेन में, एक वक़्त में सिर्फ़ 400 यात्री ही सफ़र कर
सकेंगे.
मेट्रो कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी
एएनआई से बातचीत में कहा कि 11 सितंबर 2020 से मेट्रो ट्रेनें सुबह 7 से रात 9 बजे
तक चलाने का लक्ष्य है.
इससे पहले दिल्ली मेट्रो ने भी यात्रियों के लिए इसी तरह के
दिशा-निर्देश जारी किये थे.
लाइव रिपोर्टिंग
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कोरोना का इलाज: डेक्सामैथासोन और दूसरी कारगर दवाइयां जिनसे मरीज़ हो रहे हैं ठीक
जेम्स गैलहर
स्वास्थ्य एवं विज्ञान संवाददाता
दुनिया भर में कई सारे रिसर्च सेंटर्स ऐसे हैं जो कोरोना से ठीक हो चुके मरीज़ों के ख़ून का इस्तेमाल इलाज में कर रहे हैं.
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कोरोना वायरस संक्रमण पर हमारा यह लाइव पेज यहीं समाप्त हो रहा है. बीबीसी हिंदी पर कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर तमाम अपडेट्स और विश्लेषण का सिलसिला जारी रहेगा, आप इस लिंक पर क्लिक करकेहमारी लाइव रिपोर्टिंग देख सकते हैं.
दुनिया भर में कोरोना से 7,000 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई है: एमनेस्टी
एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि दुनिया भर में कोरोना से अबतक सात हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है. सबसे ज़्यादा मौत मेक्सिको में हुई है.
एमनेस्टी के अनुसार मेक्सिको में 1320 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई है, उसके बाद अमरीका में 1077, ब्रिटेन में 649 और ब्राज़ील में 634.
एमनेस्टी की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों की मौत के मामले में भारत और दक्षिण अफ़्रीक़ा से भी चिंताजनक ख़बरें आ रही हैं. भारत में अबतक 573 और दक्षिण अफ़्रीक़ा में अबतक 240 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है.
एमनेस्टी में आर्थिक और सामाजिक न्याय के प्रमुख स्वीव कॉकबर्न के अनुसार दूसरों को बचाते हुए इतनी बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों का मारा जाना बताता है कि ये समस्या कितनी गंभीर है.
उनके अनुसार हर स्वास्थ्यकर्मी को काम के दौरान पूरी सुरक्षा दिया जाना उसका अधिकार है और ये स्कैंडल है कि वो इतनी बड़ी क़ीमत चुका रहे हैं.
पीएम मोदीः मौजूदा स्थिति में एक नई मानसिकता ज़रूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत ने रिकॉर्ड समय में अपने यहाँ कोविड-19 से निपटने के लिए सुविधाओं की व्यवस्था कर ली थी. अभी की स्थिति में एक ऐसी नई मानसिकता की ज़रूरत है जो मानव केंद्रित हो.
प्रधानमंत्री ने भारत-अमरीका रणनीतिक साझेदारी मंच के तीसरे वार्षिक सम्मेेलन में कहा,"2020 के शुरू में क्या किसी ने भी कल्पना की थी कि ये बीमारी कैसे फैलेगी? एक वैश्विक महामारी ने हर किसी पर असर डाला है. ये हमारे धैर्य, हमारे स्वास्थ्य तंत्र और आर्थिक व्यवस्था की परीक्षा ले रही है. वर्तमान समय एक नई मानसिकता की माँग करता है जिसमें विकास का लक्ष्य मानव-केंद्रित हो."
उनके भाषण की मुख्य बातें -
- भारत लॉकडाउन के समय इसे लागू करने की व्यवस्था करने वाले पहले देशों में शामिल था.
- भारत ने जनवरी में पहला टेस्टिंग लैब बनाया और अब देश भर में ऐसी 1600 लैब हैं.
- 1.3 अरब की आबादी वाले देश और सीमित संसाधनों के बावजूद भारत में की गिनती सबसे कम मृत्यु दर वाले देशों में होती है.
- आगे का मार्ग संभावनाओं से भरा है. ये अवसर सरकारी क्षेत्र में भी हैं निजी क्षेत्र में भी. ये आर्थिक क्षेत्र में भी हैं, सामाजिक क्षेत्र में भी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा के अधिवेशन में भी प्रश्नकाल नहीं
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से बीबीसी हिंदी के लिए
संसद में प्रश्नकाल नहीं होने पर विवाद अभी थमा भी नहीं है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के दो-दिवसीय मॉनसून अधिवेशन के दौरान भी समय की कमी की वजह से प्रश्नकाल नहीं रखने का फ़ैसला किया गया है.
विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.
दूसरी ओर, भाजपा ने इस मामले में तृणमूल कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने संसद में प्रश्नकाल नहीं होने को लोकतंत्र पर सबसे बुरा प्रहार करार दिया था.
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया, “सदन का मॉनसून अधिवेशन 9 और 10 सितंबर को होगा. लेकिन समय की कमी की वजह से इस दौरान प्रश्नकाल नहीं होगा. आठ और नौ सितंबर को विधानसभर परिसर में लगे चिकित्सा शिविर में तमाम विधायकों, कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों को एंटीजन टेस्ट कराना होगा. जाँच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उनको भीतर जाने दिया जाएगा.”
उनका कहना था कि सदन के भीतर भी विधायकों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा.
उधर, भाजपा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस दोहरा रवैया अपना रही है और सरकार को आम लोगों के सवालों का सामना करने की ताक़त नहीं है.
पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजुमदार का कहना था, “सरकार अंफान राहत में भ्रष्टाचार और कोविड-19 महामारी से निपटने में नाकामी जैसे मुद्दों पर विपक्ष और आम लोगों के सवालों का सामना नहीं करना चाहती. इसी वजह से प्रश्नकाल नहीं रखा गया है. यहां अधिवेशन का आयोजन संवैधानिक मजबूरी की वजह से किया जा रहा है.”
कोरोना संकट: नौकरी जाने की सबसे बुरी मार झेल रहे हैं युवा
सौतिक बिस्वास
बीबीसी संवाददाता
निम्न वर्ग से लेकर उच्च मध्यम वर्ग तक के लोगों की आमदनी में कटौती हुई है.
और पढ़ेंकोरोना वायरस: लॉकडाउन में बढ़ रही है बच्चों की तस्करी और शादी
दिव्या आर्य
बीबीसी संवाददाता
बिहार, ओडिशा और राजस्थान में लॉकडाउन की वजह से रोज़गार खो चुके परिवारों के बेटों को बाल मज़दूरी और बेटियों को बाल विवाह में धकेले जाने के मामले सामने आ रहे हैं.
और पढ़ेंबीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर'
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर' सुनिए संदीप सोनी से.
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर'
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर' सुनिए संदीप सोनी से.
नवंबर में आनेवाला वैक्सीन सुरक्षित होगा?
रिचर्ड वैरी
असिस्टेंट एडीटर, बीबीसी हेल्थ
वैज्ञानिकों पर जल्द-से-जल्द कोरोना वायरस की प्रभावकारी वैक्सीन बनाने का भारी दबाव है.
सोशल डिस्टैंसिंग से वायरस के फैलने की रफ़्तार को क़ाबू किया जा सकता है, मगर जानकारों को लगता है कि महामारी पर रोक लगाने का एकमात्र उपाय वैक्सीन है.
लेकिन, ऐसी बहुत सारी वैक्सीन होती हैं जो आरंभ में तो काफ़ी उम्मीद जगाती हैं, मगर जब ज़्यादा लोगों पर टेस्ट किया जाता है तो नाकाम साबित होती हैं.
इन परीक्षणों में इस कथित थर्ड फ़ेज़ का बड़ा महत्व होता है, क्योंकि ये वो चरण होता है जिसमें पता चलता है कि वैक्सीन का कोई साइड इफ़ेक्ट हो रहा है कि नहीं.
वैक्सीन करता क्या है? वो दरअसल इंसानों की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ा देता है जिससे वो बीमारियाँ पैदा करने वाले वायरस पर हमला कर उसे नष्ट कर देता है.
लेकिन, प्रतिरोधी क्षमता अगर ग़लत तरीक़े से बढ़ी तो उससे समस्याएँ सुलझने की जगह और बढ़ सकती हैं.
यही वजह है कि वैक्सीनों के परीक्षण को लेकर सख़्त नियम और दिशानिर्देश बनाए गए हैं, और इनकी अवहेलना करना ख़तरनाक हो सकता है.
ब्रिटेन में, ऐसा विचार चल रहा है कि अगर नए साल से पहले कोई वैक्सीन आ जाती है, तो बग़ैर लाइसेंस के ही उसके इस्तेमाल किए जाने को लेकर नए नियम लाए जाएँ. लेकिन तब भी, सुरक्षा के सख़्त मानदंडों का पालन करना होगा.
बिना ठीक से परीक्षण किए किसी वैक्सीन के इस्तेमाल के ख़तरे क्या हो सकते हैं, इसका उदाहरण 2009 की एक घटना से मिलता है, जब एचवनएनवन स्वाइन फ़्लू के लिए पैन्डेमरिक्स नाम के एक जल्दी से बनाए गए टीके का इस्तेमाल हुआ और इससे लोगों को नार्कोलेप्सी नाम की नींद की बीमारी होने लगी.
रिसर्च: पेट में दर्द भी हो सकता है बच्चों में कोरोना का लक्षण
ब्रिटेन की एक रिसर्च के मुताबिक डायरिया, उल्टी और पेट में मरोड़े भी बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं.
क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट की टीम बच्चों में कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च कर रही है. उनका कहना है कि इससे कोरोना के लक्षण पता करने में मदद मिलेगी.
फिलहाल ब्रिटेन में बुखार, खांसी और गंध या स्वाद ना आना कोरोना वायरस के लक्षण माने गए हैं. भारत में भी इन्हें कोरोना वायरस के लक्षणों की सूची में डाला गया है.
यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ने पहले ही उल्टी, मितली और डायरिया को कोरोना वायरस के संभावित लक्षणों की सूची में डाला है.
इस रिसर्च में करीब 1000 बच्चे शामिल थे. मेडआरकाइव में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक 992 बच्चों में से 68 में कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडी मिली.
68 में से 13 बच्चों को डायरिया, उल्टी और पेट में दर्द की शिकायत पाई गई.
भारत: कोरोना से हुई कुल मौतों में 70 प्रतिशत पांच राज्यों में
भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 70 प्रतिशत मौतें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में हुई हैं.
वहीं, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना वायरस के 62 प्रतिशत एक्टिव मामले हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस को लेकर की गई प्रेस कांफ्रेस में इस संबंध में जानकारी दी.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और मौतों को देखते हुए दिल्ली सरकार से बात की जा रही है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं. अगर उनका पालन होता है तो मामले नियंत्रण में आ सकते हैं.
देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों लेकर उन्होंने कहा, “रोज़ाना पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं. इसे पूरी जनसंख्या के संदर्भ में देखना चाहिए. सरकार ने पर्याप्त परीक्षण क्षमता सुनिश्चित करके, क्लीनिकल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के स्पष्ट दिशानिर्देश देकर और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है.”
उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से तुलना करने पर भारत में प्रति मिलियन (जनसंख्या) कोविड के मामले बहुत कम हैं. भारत में प्रति मिलियन मौतें भी बहुत कम हैं. यहां प्रति 10 लाख पर 49 मौतें हुई हैं. वहीं, कोरोना वायरस के प्रति दस लाख जनसंख्या पर 2,792 मामले हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि पूरे भारत के 70 जिलों में दूसरा सीरो सर्वे शुरू हो चुका है. इसके नतीज़े अगले दो हफ़्तों में आ जाएंगे.
साथ ही बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 11 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं. पूरे देश में अब तक 4.5 करोड़ से ज़्यादा टेस्ट हो चुके हैं.
कुछ राज्यों में कोरोना के मामले में कमी भी देखने को मिली है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश में एक्टिव मामलों में 13.7 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी हुई है. इसी तरह कर्नाटक में 16.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत और तमिलनाडु में 23.9 प्रतिशत और उत्तर प्रेदश में 17.1 प्रतिशत की साप्ताहिक कमी आई है.
महाराष्ट्र मे पिछले तीन हफ़्तों में कोरोना वायरस के मामलों में 7 प्रतिशत की कमी देखी गई है.
दिल्ली मेट्रो में सफ़र करने के लिए क्या करना होगा, क्या नहीं?
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देश भर में 7 सितंबर से मेट्रो सेवाएँ चरणबद्ध तरीक़े से फिर से शुरू हो जाएँगी मगर यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे एहतियाती उपायों का ध्यान रखना होगा.
कोरोना वायरस अभी भी घूम रहा है, WHO ने दी चेतावनी
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 62 हज़ार से ज़्यादा नए मामले आए. कोरोना महामारी पर दुनिया भर से ताज़ा अपडेट.
और पढ़ेंअमरीका में चुनाव से पहले वैक्सीन देने को लेकर चिंता
अमरीका में चुनाव से कुछ दिन पहले लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन देने की योजना ने चिंता पैदा कर दी है.
सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेशन ने 50 राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों से 1 नवंबर तक वैक्सीन के वितरण के लिए तैयार रहने को कहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 27 अगस्त को भेजे गए तीन दस्तावेजों मेंदो अज्ञात वैक्सीन उम्मीदवारों को वितरित करने संबंधी विवरण दिया गया है.
दिशानिर्देशों के मुताबिक सबसे पहले वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मियों, 65 से ज़्यादा उम्र के लोगों और संक्रमण के ज़्यादा जोखिम वाले समुदायों को दी जाएगी.
अमरीका में कई वैक्सीन पर क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं और कुछ वैक्सीन टेस्टिंग के आखिरी चरण पर हैं.
अमरीका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञडॉक्टर एंथनी फौसी कहते हैं कि अगर परिणाम अत्यधिक सकारात्मक हों, तो परीक्षण पूरा होने से पहले वैक्सीन जी जा सकती है.
लेकिन, अन्य वैज्ञानिकों को डर है कि सीडीसी की इस घोषणा के पीछे राजनीति है. उन्होंने अमकीरी चुनाव और वैक्सीन के समय को लेकर चिंता जताई है.
ब्रेकिंग न्यूज़वैक्सीन ग्रुप का दावा- 76 देश हुए 'कोवाक्स प्लान' में शामिल
GAVI वैक्सीन एलायंस के एक वरिष्ठ अधिकारी सेथ बर्कले ने कहा है कि समन्वित योजना, जिसे कोवाक्स के नाम से जाना जाता है, उसमें जापान, जर्मनी और नॉर्वे जैसे 70 समृद्ध देशों ने हस्ताक्षर किये हैं और इस योजना में शामिल होने की मंज़ूरी दी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिये एक इंटरव्यू में बर्कले ने कहा, “अभी तक, मध्यम और अधिक आय वाले कुल 76 देशों ने कोवाक्स प्लान में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की है. यह एक अच्छी ख़बर है. इससे स्पष्ट होता है कि कोवाक्स फैसिलिटी व्यापार के लिए खुली है और दुनिया भर के देशों को आकर्षित कर रही है. हमने चीन से भी इस बारे में बात की है और कहा है कि वो भी इसमें शामिल हो जाये और चीन प्रशासन ने भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.”
कोवाक्स प्लान का संचालन GAVI, विश्व स्वास्थ्य संगठन और सीईपीआई नामक संस्था मिलकर कर रहे हैं.
यह समूह कोवाक्स में शामिल सभी देशों को इस विचार पर सहमत करने की कोशिश कर रहा है कि कोविड से सबसे ज़्यादा ख़तरे में समझे जाने वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन पहले दी जाये.
इस समूह का ये भी कहना है कि सभी को वैक्सीन मिलनी चाहिए और उचित दाम पर मिलनी चाहिए.
कोरोना संक्रमण अब तक दुनिया भर में आठ लाख साठ हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान ले चुका है.
समृद्ध देश जो कोवाक्स में शामिल हुए हैं, वो अपने बजट से क़रीब 90 देशों को वैक्सीन ख़रीदने में मदद करेंगे.
बर्कले ने कहा कि इस समूह का सबसे बड़ा मक़सद यही है कि जो वैक्सीन नहीं ख़रीद सकते, उन तक भी कोरोना का टीका पहुँचे.
बताया गया है कि कोवाक्स में शामिल देशों को द्विपक्षीय समझौतों और अन्य सौदों के ज़रिये भी वैक्सीन हासिल करने की आज़ादी होगी.
मंगलवार को अमरीका ने कहा कि वो कोवाक्स प्लान में शामिल नहीं होगा क्योंकि ट्रंप प्रशासन को इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के होने से आपत्ति है. हालांकि अमरीका के इस निर्णय को कुछ देशों ने निराशाजनक बताया है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोवाक्स को सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण इन्श्योरेंस पॉलिसी बताया है जिसके ज़रिये वो एक सुरक्षित और प्रभावी कोविड वैक्सीन हासिल कर सकेंगे.
कोवाक्स में शामिल होने के लिए 18 सितंबर की समयसीमा रखी गई है और बताया गया है कि कोवाक्स का मक़सद 2021 के अंत तक कोरोना वैक्सीन की क़रीब 2 अरब डोज़ मुहैया कराना है.
अगस्त में भी सर्विस सेक्टर में सुधार नहीं, जा रही हैं नौकरियां
कोरोना महामारी के चलते कारोबारी गतिविधियों में रुकावट आने और मांग कम होने के चलते भारत के सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) में लगातार छठे महीने गिरावट देखने को मिली है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक इंडस्ट्री सर्वे के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कारोबारी गतिविधियां प्रभावित होने से अगस्त में भी नौकरियां जाने का सिलसिला जारी है.
सर्वे कहता है कि अर्थव्यवस्था के अप्रैल से लेकर जून दूसरी तिमाही में सिकुड़ने के बाद सर्विस सेक्टर में सुधार में लंबा समय लगेगा.
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "भारत के सर्विस सेक्टर में अगस्त में भी कारोबार संचालन की स्थितियां चुनौतिपूर्ण बनी हुई हैं. घरेलू और विदेशी बाज़ारों में लॉकडाउन के प्रतिबंधों का उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ा है."
अर्थव्यवस्था को और नुक़सान से बचाने के लिए सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भी अंडरग्राउंड ट्रेन नेटवर्क्स खोलने, खेल से जुड़े और धार्मिक आयोजनों की सीमित अनुमति दी है.
हालांकि, मान जा रहा है कि प्रतिबंधों में ढील के बावजूद भी आर्थिक गतिविधियों के फिर से सामान्य होने में काफी समय लगेगा क्योंकि लोग खुद भी घर से बाहर कम निकल रहे हैं और मॉल, सिनेमा हॉल, रेस्तरां और होटल जाने से बच रहे हैं.
घरेलू और विदेशी दोनों स्तर पर मांग कम होने से उत्पादन कम हो रहा है और इसके कारण अब भी लोगों की नौकरियां जा रही हैं.
COVER STORY: कोरोना कैसे बदल देगा पूरी दुनिया
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घरों में रहना, बाहर कम से कम निकलना, लोगों से मिलने से कतराना, यात्राएं टाल देना, हर वक़्त डरे सहमे रहना, हमारा रहने का तरीका.
बर्ताव का तरीका सब बदल गया है. कोविड 19 ने दुनिया बदल कर रख दी है. पर जब महामारी ख़त्म होगी दुनिया कैसी होगी.
क्या ये हमेशा के लिए बदल जाएगी. क्या 2020 से पहले वाली दुनिया अब दोबारा नसीब नहीं होगी. कवर स्टोरी में देखिए ख़ास रिपोर्ट..
ब्रेकिंग न्यूज़भारत: बीते 24 घंटे में कोरोना के रिकॉर्ड नये मामले, 1043 लोगों की संक्रमण से मौत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 83,883 नये मामले दर्ज किये गए हैं जिन्हें मिलाकर भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 38 लाख से अधिक हो गये हैं.
बताया गया है कि एक दिन में कोरोना के नये मामले सामने आने का यह अब तक का सबसे बड़ा आँकड़ा है.
बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में 1,043 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है, जिनके बाद भारत में इस महामारी से मरने वालों की कुल संख्या 67,376 हो गई है.
मंत्रालय के मुताबिक़, कुल 38 लाख मामलों में से क़रीब 8 लाख 15 हज़ार मामले फ़िलहाल एक्टिव हैं.
वहीं लगभग 30 लाख लोग संक्रमण के बाद पूरी तरह ठीक हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है.
महाराष्ट्र में फ़िलहाल सर्वाधिक (दो लाख दो हज़ार) कोरोना एक्टिव मरीज़ हैं.
बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि भारत में कोविड से होने वाली मृत्यु की दर काफ़ी कम है. मंत्रालय के अनुसार, भारत में प्रति दस लाख लोगों में से 48 लोगों की कोविड से मौत हुई है. जबकि वैश्विक स्तर पर औसत प्रति दस लाख लोगों पर 110 लोगों का है.
बेंगलुरु मेट्रो का संचालन 7 सितंबर से होगा शुरू, पर कुछ पाबंदियों के साथ
बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने बताया है कि बेंगलुरु शहर की नम्मा मेट्रो रेल सेवा 7 सितंबर से दोबारा शुरू होने जा रही है. फ़िलहाल मेट्रो सेवा सुबह 8 से 11 और शाम साढ़े 4 से साढ़े 7 बजे के बीच ही उपलब्ध होगी.
बताया गया है कि ट्रेनें हर पाँच मिनट में मिलेंगी. 7 सिंतबर से पर्पल और 9 सितंबर से मेट्रो की ग्रीन लाइन पर सेवा शुरू की जायेगी. सिर्फ़ स्मार्ट कार्ड से ही सफ़र किया जा सकेगा. स्टेशन पर होने वाली टोकन बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा. सभी यात्रियों के लिए चेहरे पर मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है और कहा गया है कि एक ट्रेन में, एक वक़्त में सिर्फ़ 400 यात्री ही सफ़र कर सकेंगे.
मेट्रो कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि 11 सितंबर 2020 से मेट्रो ट्रेनें सुबह 7 से रात 9 बजे तक चलाने का लक्ष्य है.
इससे पहले दिल्ली मेट्रो ने भी यात्रियों के लिए इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किये थे.