शांति के लिए उठाई गईं कूचियां
करीब तीन सालों तक चले अंदरूनी संघर्ष के बाद दक्षिणी सूडान के कलाकार देश में शांति के लिए एकजुट हुए हैं. इसके लिए राजधानी जुबा में एक सार्वजनिक रूप से आर्ट प्रोजेक्ट लगाया है.

इमेज स्रोत, Ana Taban
पूरे शहर में दीवारों और माल ढोने वाले कंटेनरों को पेंट किया गया है.
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इस आर्ट प्रोजेक्ट का नाम ऐना तबान कलेक्टिव रखा गया है जिसका अरबी में मतलब होता है, ''मैं थक चुका/चुकी हूं.'' इस नाम को सीरिया में शांति के लिए चल रहे ऐसे ही आंदोलन से लिया गया है.
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इन आर्टवर्क में संघर्ष के दौरान होने वाले बच्चों की दुर्दशा को चित्रित किया गया है.
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स्कूल, बेकरी और सांस्कृतिक केंद्रों की दीवारों को कलाकारों के दल ने केनवास की मदद से एक और मायने दे दिए हैं.
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इस गृह युद्ध में अब तक करीब दस लाख बच्चे विस्थापित हो चुके हैं. इसने पांच साल पहले बने एक देश को तबाह कर डाला है.
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2013 में अबुल ओयाय डेंग गृह युद्ध के कारण देश छोड़कर कीनिया की राजधानी नैरोबी जा चुकी थी लेकिन अब वो इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए वापस आई हैं.
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इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले कलाकार स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दे रहे हैं.
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इस पेंटिंग में बच्चे का इलाज कर रहे जिस शख़्स को दिखाया गया है वो डॉक्टर डिंग कोल डाउ हैं. वो 2014 में वापस दक्षिणी सुडान डॉक्टरी करने आ गए थे लेकिन उनके घर में ही उनकी हत्या कर दी गई.
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यह तस्वीर बयां करती है कि अंदरूनी संघर्ष अपनी ही जड़ों को काटती है.
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दक्षिणी सूडान के मशहूर कवि अकोल माइन के ऑनलाइन अभियान 'सेव द लास्ट ट्रेन' से यह आर्टवर्क प्रेरित है. कलाकारों के दल का कहना है,"एक देश के रूप में इस मुल्क को बचाने की हमारी संभावनाएं इस आख़िरी ट्रेन के रूप में छूटती जा रही हैं."
राजधानी जुबा के दीवारों पर संदेश देने के बाद कलाकारों के इस टीम की योजना दूसरे शहरों में जाकर भी वहां के दीवारों पर संदेश देने की है.
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