नकारात्मक होकर जीने से बेहतर है पैरों से लिखना!

नकारात्मक होकर जीने से बेहतर है पैरों से लिखना!

साल 2010 में पुणे के रहने वाले साहिल अपने घर की छत से गुज़रती एक बिजली की तार की चपेट में आए और अपने दोनों हाथ गँवा बैठे. 70% तक जल चुके साहिल दो दिन कोमा में रहे और घर वालों ने उन्हें मृत मान लिया था लेकिन नियति की चोट 20 वर्षीय साहिल शेख़ को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाई.