अपनी ज़मीन, अपना घर और अपनों को छोड़ कर किसी और मुल्क में जाना. नए सिरे से ज़िंदगी शुरू करना आसान नहीं होता.
पर उससे भी मुश्किल होता है अपनी पहचान छोड़ना.ऐसी ही कुछ कहानी है काकरी समुदाय के पश्तून हिंदुओं की जिन्हें 1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान छोड़कर भारत आना पड़ा.
आज 70 साल बाद भी इन पठान हिंदुओं को अपनी पहचान को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. देखिए बीबीसी संवाददाता पायल भूयन की स्पेशल रिपोर्ट.
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