भारत की 'सेहत' भूटान और बांग्लादेश से ख़राब क्यों?
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि हर साल स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च की वजह से भारत में पांच करोड़ लोग गरीब हो जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भारत की स्थिति बेहद खराब है और हेल्थ इंडेक्स में 195 देशों की सूची में भारत 145वें नंबर पर है, यहाँ तक कि भारत का पड़ोसी भूटान 134वीं पायदान पर है.
भारत में जीडीपी का सिर्फ़ 1.25 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करता है, जबकि ब्राजील लगभग 8.3 प्रतिशत, रूस 7.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका लगभग 8.8 प्रतिशत खर्च करते हैं. दक्षिण एशियाई देशों की भी बात करें तो अफगानिस्तान स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल बजट का 8.2 प्रतिशत, मालदीव 13.7 प्रतिशत और नेपाल 5.8 प्रतिशत खर्च करता है. भारत स्वास्थ्य सेवाओं पर अपने पड़ोसी देशों चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी कम खर्च करता है.
देश में 14 लाख डॉक्टरों की कमी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर जहां प्रति 1,000 आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए, वहां भारत में 7,000 की आबादी पर मात्र 1 डॉक्टर है.
अब तक के इन आंकड़ों से आपको अंदाज़ा हो ही गया होगा कि भारत में हेल्थ सेक्टर की तस्वीर क्या है.
ऐसा नहीं है कि सरकार की तरफ से पब्लिक हेल्थ के लिए कुछ नहीं हो रहा. हो रहा है....ज़मीन पर हो न हो कम से कम फ़ाइलों में तो ऐसा होता दिखाया ही जाता है. अलग-अलग राज्य सरकारों ने अलग-अलग नेताओं के नाम पर स्वास्थ्य योजनाओं की घोषणाएं की हैं.
इस बीच, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी एक और योजना लेकर आई है- नाम है आयुष्मान भारत.
इसके तहत देश के 85 प्रतिशत ग्रामीण और 60 प्रतिशत शहरी परिवारों को शामिल किया जाएगा. इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों को सालाना 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा. सरकार का दावा है कि गरीब और कमजोर वर्ग के परिवारों को इसका लाभ पहुंचाया जाएगा. परिवार चाहे कितना भी बड़ा क्यों ने हो उसको इस योजना का लाभ दिया जाएगा. राज्यों को अधिकार दिया गया है कि वह इस योजना का चाहें तो इंश्योरेंस मॉडल, ट्रस्ट मॉडल या फिर दोनों का मिक्स मॉडल लागू कर सकते हैं.
इस योजना को लागू करने के लिए देश के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र के साथ समझौता किया है, आयुष्मान भारत की वेबसाइट और मोबाइल एप 5 सितंबर से लॉन्च करने की योजना है.
योजना के तहत 1300 अलग-अलग पैकेज और 20 से ज्यादा स्पेशियालिटीज उपलब्ध कराई जाएंगी.
आयुष्मान की क्या है अहमियत
80 प्रतिशत से अधिक आबादी के पास किसी तरह का अहम मेडिकल कवर नहीं
भारतीय उद्योग परिसंघ की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश लोग विभिन्न राज्य सरकारों की स्वास्थ्य बीमा योजनाएं के तहत कवर हैं.
सीआईआई की रिपोर्ट के मुताबिक 67 फ़ीसदी लोग अपनी जेब से मेडिकल बिल भरते हैं
22 फ़ीसदी लोगों के पास सरकार प्रायोजित स्वास्थ्य बीमा है
7 फ़ीसदी के पास स्थानीय निकायों की या अन्य स्कीमें हैं
और सिर्फ़ 4 फ़ीसदी लोगों के पास निजी स्वास्थ्य बीमा योजना है
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीए के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 1करोड़ 30 लाख स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां जारी की गई हैं.
आयष्मान की क्या हैं अड़चनें
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत लचर
बुनियादी ढाँचे की है कमी
गंभीर बीमारियों के लिए शहरों का रुख़ करने की मजबूरी
डॉक्टरों की कमी, सपोर्ट स्टाफ और मेडिकल उपकरणों की भी भारी कमी
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