धंधा पानी: महिलाओं की सेविंग्स पुरुषों के मुक़ाबले अधिक क्यों होनी चाहिए

धंधा पानी: महिलाओं की सेविंग्स पुरुषों के मुक़ाबले अधिक क्यों होनी चाहिए

अगर आप 25 साल की हैं और कामकाजी हैं तो शायद रिटायरमेंट प्लानिंग आपके दिमाग में भी न हो, लेकिन ये आपके एजेंडे में टॉप पर होना चाहिए. इसलिए नहीं कि ये फाइनेंशियल प्लानिंग का अहम हिस्सा है, बल्कि इसलिए कि आप महिला हैं. जी हां....आपने बिल्कुल सही सुना.

अधिकतर फाइनेंशियल प्लानर बताते हैं कि रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले तकरीबन दोगुनी बचत करनी होती है. इसकी वजह है महिलाओं और पुरुषों के सैलरी में अंतर. भारत में जैंडर पे गैप बहुत अधिक है. मॉन्सटर सैलरी इंडेक्स के मुताबिक भारत में महिलाओं की आय पुरुषों के मुकाबले औसतन 20 फ़ीसदी कम है. यही नहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की पिछले साल की जैंडर वर्कप्लेस जैंडर गैप रिपोर्ट में भारत 144 देशों की लिस्ट में 136वें नंबर पर था.

सेविंग्स उन महिलाओं के लिए और अहम हो जाती है जो सिंगल हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में तकरीबन साढ़े सात करोड़ सिंगल वूमेन थीं, जो अविवाहित, तलाकशुदा, विधवा या फिर किन्हीं वजहों से अपने पति से अलग रह रहीं थी. साल 2001 और 2011 के दौरान सिंगल वूमेन की तादाद तकरीबन 39 फ़ीसदी बढ़ी है.

महिलाओं की लिए बचत और फाइनेंशिल प्लानिंग इसलिए भी ज़रूरी है कि पुरुषों के लिए मुक़ाबले उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी अधिक है. भारत में पुरुषों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 66.9 साल है, जबकि महिलाओं की तीन साल अधिक यानी 69.9 साल.

तो एक नज़र ऐसे फाइनेंशियल बैनेफिट्स पर जिनका लाभ महिलाएं उठा सकती हैं और अपनी बचत बढ़ा सकती हैं.

1- सेविंग्स बैंक अकाउंट- अधिकांश बैंक महिलाओं के लिए कस्टमाइज़्ड अकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं, बैंक रिवॉर्ड्स और कैश बैक ऑफर देते हैं. सेविंग्स अकाउंट पर ज़्यादा ब्याज भी ऑफर करते हैं. अगर आपका खाता रिकरिंग डिपॉज़िट यानी आरडी से लिंक है तो मिनिमम बैंलेंस की शर्त से भी छूट देते हैं.

2- टर्म इंश्योरेंस- कई बीमा कंपनियां जीवन बीमा पॉलिसियों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को प्रीमियम में छूट देती हैं. इसकी वजह है कि महिलाओं की लाइफ एक्सपेक्टेंसी अधिक है. हालाँकि हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में ऐसा नहीं है, इसमें प्रीमियम उम्र और दूसरे अन्य फैक्टर्स पर तय होता है.

3- सस्ता होम लोन- अधिकांश बैंक महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले सस्ता होमलोन देते हैं. ब्याज में ये छूट 0.05 फ़ीसदी से 0.10 फ़ीसदी तक होती है. दिखने में ये अंतर ख़ास नज़र नहीं आता, लेकिन 20-25 साल के होम लोन में इस अंतर पर भी आप भारी बचत करते हैं.

4- स्टैंप ड्यूटी में छूट- अधिकांश राज्य सरकारें मकानों की रजिस्ट्री, गिफ्ट डीड आदि की रजिस्ट्री में छूट देती हैं.

5- प्रॉपर्टी टैक्स में छूट- देशभर में कई नगर निगम महिलाओं को प्रॉपर्टी टैक्स पर छूट देते हैं. मसलन दिल्ली के नगर निगम उन प्रॉपर्टीज़ के टैक्स पर 30 फ़ीसदी छूट देते हैं, जो महिलाओं के नाम पर हैं.

6- कारोबार के लिए लोन- स्टैंडअप इंडिया स्कीम के तहत पहली बार 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक का लोन.

7- ईपीएफ में कम योगदान- बजट 2018 में महिलाओं के लिए अनिवार्य ईपीएफ कंट्रिब्यूशन घटाकर 8 फ़ीसदी किया गया, कंपनी या एंप्लायर को 12 फ़ीसदी कंट्रीब्यूशन ही देना होगा. ये सुविधा नौकरी के पहले तीन साल के लिए है.

इसके अलावा फ़ाइनेंशियल प्लानर कहते हैं

अधिक बचाएं, निवेश के बेहतर विकल्प चुनें, हेल्थ इश्योरेंस लें, वर्कप्लेस पर बेहतर बार्गेन करें और जितने अधिक समय तक हो सके नौकरी करें.

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