पोस्टर वुमन: प्रधानमंत्री से गैस मिली, पर धुंए से आज़ादी मिली क्या?

पोस्टर वुमन: प्रधानमंत्री से गैस मिली, पर धुंए से आज़ादी मिली क्या?

भारत सरकार ने 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की. उज्ज्वला योजना का मकसद था घर-घर रसोई गैस पहुंचाना. लेकिन योजना के तीन साल बीत जाने के बाद हक़ीक़त ये है कि जिन घरों में सिलेंडर और गैस चूल्हा पहुंचा, उनमें से कई घरों में अब भी मिट्टी के चूल्हे जल रहे हैं. बीबीसी की टीम पहुंची बलिया, उन महिलाओं के घर, जिन्हें प्रधानमंत्री ने सबसे पहले दिया था उज्ज्वला स्कीम के तहत गैस कनेक्शन.

बीबीसी ने उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में पहुंच कर उन्हीं गुड्डी देवी से मुलाकात की, जिन्हें प्रधानमंत्री ने एक मई 2016 को अपने हाथ से गैस कनेक्शन सौंपा था. बीबीसी की टीम जब उनके घर पहुंची तो गुड्डी देवी गोबर के उपले पर खाना बनाने की तैयारी कर रही थीं. वैसे उनके घर में सिलेंडर और मिट्टी का चूल्हा दोनों है लेकिन गुड्डी देवी रसोई का सारा काम, गैस पर नहीं करतीं. उनके कई काम मिट्टी के चूल्हे पर होते हैं.

उज्जवला योजना का उद्देश्य केरोसिन, लकड़ी और दूसरे जैविक ईंधन जैसे गोबर के उपले से होने वाले प्रदूषण को समाप्त करके ग़रीब घरों की महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाना था. लेकिन गैस कनेक्शन मिलने के बाद भी गुड्डी देवी की रसोई में मिट्टी का चूल्हा है. यही है योजना की सच्चाई.

उज्ज्वला योजना में एक परिवार को साल में 12 सिलेंडर मिलते हैं. पहले तो बाज़ार कीमत पर बीपीएल परिवारों को ये सिलेंडर ख़रीदना पड़ता है, बाद में सब्सिडी के पैसे खाते में आते हैं. लेकिन तीन साल में गुड्डी देवी ने सिर्फ 11 सिलेंडर ही भरवाए हैं क्योंकि उनके पास हमेशा इतने पैसे नहीं होते कि सिलेंडर भरवाया जा सके. इस योजना की सच्चाई भी यही है. गांव में खाना पकाने वाले परंपरागत ईंधन आसानी से मिल जाते हैं जिसके चलते लोग एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करने से बचते हैं. गैस वितरण एजेंसी वाले भी यही बात मानते हैं.

इस स्कीम की दूसरी पोस्टर वुमेन हैं मऊ की रहने वाली ज़रीना. प्रधानमंत्री ने बलिया में ज़रीना को भी गैस कनेक्शन दिया था. ज़रीना के घर में सिलेंडर है लेकिन जब हम उनके घर पहुंचे तो वो मिट्टी का चूल्हा बना रही थीं. ज़रीना की मजबूरी गुड्डी जैसी ही है.

ज़रीना ने 3 साल में केवल 14 सिलेंडर भरवाए हैं. बीबीसी की पड़ताल में हमने पाया कि उज्ज्वला योजना से महिलाएं खुश तो हैं लेकिन सिलेंडर की बढ़ी हुई क़ीमतों की वजह से इस योजना का ज्यादा फ़ायदा उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. इसलिए उज्ज्वला योजना शुरू होने के 3 साल बाद भी लाखों महिलाएं गैस से ज़्यादा मिट्टी का चूल्हा इस्तेमाल कर रही हैं.

रिपोर्टर- सरोज सिंह

कैमरा- पीयूष नागपाल

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)