कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा? Duniya Jahan
बीते कुछ महीनों से ये देखने में आ रहा है कि कोरोना संक्रमण के मामले कभी कम होने लगते हैं और कभी बढ़ने लगते हैं. ये बात सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के संदर्भ में कही जा सकती है.
कोरोना के घटते-बढ़ते मामलों के बीच अब पहले से ज़्यादा लोग न केवल घरों से बाहर निकल रहे हैं, बल्कि हवाई-जहाज़, ट्रेन और बसों में सफ़र भी कर रहे हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि कोरोना वायरस का ख़तरा कम हो गया है.
यही वजह है कि सरकारें जहां एक तरफ़ पाबंदियों को लगभग ख़त्म करती जा रही हैं, वहीं लोगों को लगातार आगाह किया जा रहा है कि कोरोना वायरस अभी भी हमारे बीच मौजूद है, जिससे बचने के लिए पूरी ऐहतियात बरतना ज़रूरी है.
इस बीच मास्क और सैनेटाइज़र हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन गए हैं. दूसरी ओर वैक्सीन बनाने की कोशिश दिन-रात जारी है. लेकिन फिर भी कोई दावे से नहीं कह सकता कि सही मायने में असरदार वैक्सीन सारी दुनिया को कब तक नसीब होगी?
तो इस हफ़्ते दुनिया जहान में हम ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्या अब हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीख लेना चाहिए.
प्रजेंटर- मोहन लाल शर्मा
प्रोड्यूसर: संदीप सोनी
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