'कौन आज़ाद हुआ, किस के माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी...'
'कौन आज़ाद हुआ, किस के माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी...'
''कौन आज़ाद हुआ?
किस के माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी,
मेरे सीने में अभी दर्द है महकूमी का
मादर-ए-हिन्द के चेहरे पे उदासी है वही''
ये नज़्म मशहूर शायर अली सरदार जाफ़री ने लिखी है.
(पेशकश: वेदी आह्वान/ वीडियो: देबलिन रॉय)
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