दक्षिण अमरीकी कला का भूगोल गणित
दक्षिण अमरीकी कला की दुनिया पर भूगोल और गणित का असर भी हो सकता है, ये बात सुनने में अजीब हो लेकिन देखने लायक़ तो है ही.
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लंदन के रॉयल अकादमी में इन दिनों दक्षिण अमरीका के अलग-अलग हिस्सों को प्रदर्शित करने वाली कलाकृतियों की प्रदर्शनी चल रही है. इसमें क़रीब आधी शताब्दी के बीच बनी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है. ये तस्वीर 1946 में जुआन मेले की बनाई हुई है.
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इस प्रदर्शनी में आधुनिक कलाकृतियों को जगह दी गई है. ये कलाकृतियां उरुग्वे, ब्राज़ील, अर्जेंटीना और वेनेज़ुएला के कलाकारों ने 1930 से 1970 के दौर में बनाया. यह तस्वीर कार्लोस क्रूज़ डायज़ ने 1970 में बनाया था.
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इस प्रदर्शनी को देखने से एहसास होता है कि दक्षिण अमरीकी कला जगत में रंग और रोशनी का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है. सिटी यूनिवर्सिटी में पॉपुलर कल्चर के प्रोफ़ेसर और कला इतिहासकार अमांडा हॉपकिन्सन के मुताबिक़ ये कलाएं वास्तविकता के नज़दीक नहीं, बल्कि उससे दूर जाती प्रतीत होती हैं.
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हॉपकिन्सन के मुताबिक़ इन कलाकृतियों में परंपरागत तौर पर कोलंबिया परंपरा की झलक मिलती है, लेकिन इन कलाकारों को तबके यूरोप और अमरीकी कलाकारों के बारे में पता होता था.
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इस प्रदर्शनी से आर्टस्टिक ज्योमेट्री कला की झलक मिलती है. इससे पता चलता है कि कला की जड़ में भूगोल का अहम योगदान होता है. युद्ध के बाद पलायन से उपजी राजनीति का असर भी कला पर पड़ता है.
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कलाकृति के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति और संप्रेषण 20वीं शताब्दी में यूरोपीय कला के तत्व थे, लेकिन यह दक्षिण अमरीकी कलाओं में बख़ूबी नज़र आते हैं.
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रैडिकल ज्योमेट्री: मार्डन आर्ट ऑफ़ साउथ अमरीका पर आधारित ये प्रदर्शनी 17 अगस्त तक चलेगी.
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