पाकिस्तान में ईश-निंदा क़ानून में संशोधन होगा

आसिया बीबी को रसूल के लिए अपशब्द कहने पर मौत की सज़ा सुनाई गई है.
पाकिस्तान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज़ भट्टी ने कहा है कि सरकार ईश-निंदा क़ानून में संशोधन करने जा रही है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का कहना है कि इस सिलसिले में वो धार्मिक संस्थाओं और विपक्षी दलों से राय-मशविरा कर रहे हैं.
ईश-निंदा कानून के तहत क़ुरान,पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद और इस्लाम से संबंधित कुछ पवित्र शख़्सियतों के बारे में निंदनीय बात कहने से मौत की सज़ा हो सकती है.
पाकिस्तान में एक वर्ग का मानना है कि कई मामलों में इस क़ानून का ग़लत इस्तेमाल भी किया जाता है.
सरकार अब इस तरह के मामलों पर रोक लगाना चाहती है.
'क़ानून में ख़ामियां'
शहबाज़ भट्टी ने बीबीसी को बताया कि नए संशोधन मे इस तरह की व्यवस्था की जाएगी कि किसी भी शिकायत की जाँच पहले ज़िला और सत्र न्यायधीश के ज़रिए की जाए और अगर जाँच में साबित हो जाए की ईश-निंदा हुई है तभी केस दर्ज हो.
फ़िलहाल कोई भी व्यक्ति इस क़ानून के भीतर केस दर्ज करवा सकता है.
नया संशोधन अगले साल पेश किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का कहना था कि इस क़ानून के ग़लत इस्तेमाल का सबूत ये है कि ऐसे मामलों में दी गई सज़ाओं को ऊँची अदालतों ने मानने से इंकार कर दिया है.
उनके अनुसार इस क़ानून के अंतर्गत पाकिस्तान में अबतक किसी को भी सज़ा नहीं भुगतनी पड़ी है.
पोप की अपील
शहबाज़ भट्टी ने बताया कि उन्होंनें जेल प्रशासन को आसिया बीबी की पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने की हिदायत दी है.
उनका कहना था कि कि आसिया बीबी ने अपनी सज़ा के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील कर रखी है और उन्हें उम्मीद है कि वो रिहा हो जाएंगी.
ईसाई समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाली आसिया बीबी को एक अदालत के ज़रिए ईश-निंदा क़ानून के तहत मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
इसीबीच पोप बेनेडिक्ट ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वो आसिया बीबी को रिहा कर दे.
पोप ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में ईसाई समुदाय के साथ भेद-भाव किया जाता है.
आसिया बीबी की सज़ा ने पूर्व मिलिट्री शासक ज़िया-उल-हक़ के समय बनाए गए इस क़ानून पर मुल्क में फिर से बहस छेड़ दी है.