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भारतीय डाक के डेढ़ सौ साल पूरे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
डाकिया डाक लाया..., चिठ्ठी आई है वतन से चिठ्ठी आई है..., ख़त लिख दे सांवरिया के नाम बाबू..., या लिखे जो ख़त तुझे... जैसे गीत आज हमारी यादों का हिस्सा हैं. आज इस मोबाइल, ई-मेल और कूरियर के युग में कम से कम महानगरों के नौजवानों के लिये जगह जगह नज़र आने वाले डाक के इस लाल बक्से का कोई ख़ास महत्व न हो लेकिन सच्ची बात तो यह है कि डाक भारतीयों के लिए विरासत है और यह जीवन का एक अभिन्न अंग है. इस के इर्द-गिर्द हमें दिखता है यादों का कभी न ख़त्म होने वाला सिलसिला. दुनिया भर में इस हवाले से हमें उपन्यास, कथाएँ, फ़िल्में और गीत देखने को मिलते हैं. हर पल तेज़ी से बदलते हुए संचार माध्यमों के बीच भारतीय डाक की 150 वीं वर्षगाँठ जहाँ एक मील का पत्थर है वहीं एक अनूठा एहसास भी है. शुरुआत आज भारतीय डाक के नाम से प्रसिद्ध इस प्रणाली की शुरूआत पहली अक्तूबर, 1854 को एक महानिदेशक के नियंत्रण वाले 701 डाकघरों के नेटवर्क के साथ हुई. 1854 के डाकघर अधिनियम ने डाकघर प्रबंधन का सम्पूर्ण एकाधिकार और पत्रों के संवाहन का विशेषाधिकार सरकार को प्रदत्त करते हुए तत्कालीन डाक प्रणाली को संशोधित किया. इसी साल रेल डाक सेवा की भी स्थापना हुई और भारत से ब्रिटेन और चीन के बीच समुद्री डाक सेवा भी शुरू की गई. इसी वर्ष देश भर में पहला वैध डाक-टिकट भी जारी किया गया. सामाजिक बदलाव को गति प्रदान करने की भूमिका निभाता हुआ वर्तमान भारतीय डाक परम्परा और आधुनिकता का समावेश है. एक लाख 55 हज़ार से भी ज़्यादा डाकघरों वाला यह तंत्र विश्व की सब से बड़ी डाक प्रणाली है. नेटवर्क भारतीय डाक देश में सब से बड़ा रिटेल नेटवर्क भी है. समय का साथ देते हुए इस ने ढेर सारी सुविधाएँ शुरू कीं जिन में मनीआर्डर और बचत बैंक महत्वपूर्ण हैं. यह देश का पहला बचत बैंक था और आज इसके 16 करोड़ से भी ज़्यादा खातेदार हैं और डाकघरों के खाते में दो करोड़ 60 लाख करोड़ से भी अधिक राशि जमा है. डाक विभाग का कहना है कि डाक विभाग का सालाना राजस्व 1570 करोड़ से भी अधिक है. वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए ई-गवर्नेंस, ई-पोस्ट और स्पीड-पोस्ट इत्यादि की शुरूआत की जा चुकी है. आधुनिकीरण और रफ़्तार के इस दौड़ में अपनी भूमिका को निभाते रहने के बाद भी ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं पीछे छूट गया है. शौक डाक कहीं ज़रूरत है तो कहीं शौक़ भी है.
इस से जुड़ा है फ़िलाटेली यानी डाक-टिकट जमा एवं उसका अध्यन करने का शौक़. भारतीय डाक ने अपने विशेष डाक-टिकटों के द्वारा महत्वपूर्ण अवसर, व्यक्ति और घटना को फ़र्स्ट डे कवर यानी प्रथम दिवस आवरण से प्रदर्शित भी किया है. |
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