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तटबंध टूटने का मतलब धारा बदलना नहीं
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ये कहना कि कोसी नदी ने धारा बदल ली इसलिए बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ कि स्थिति पैदा हुई है, बिल्कुल बेबुनियाद है.
हमे याद रखना चाहिए कि नदी ने ख़ुद धारा नहीं बदली बल्कि प्राकृतिक धारा को रोक कर बनाए गए बराज या तटबंध के टूटने के कारण ये स्थिति पैदा हुई है. ब्रिटिश हुकूमत सौ वर्षों तक इस बात पर विचार करती रही कि बिहार का शोक कही जाने वाली इस नदी की धारा को नियंत्रित करने के लिए बराज बनाया जाए या नहीं. ब्रितानी सरकार ने तटबंध नहीं बनाने का फ़ैसला इस बिना पर किया कि तटबंध टूटने से जो क्षति होगी उसकी भरपाई करना ज़्यादा मुश्किल साबित होगा. लेकिन आज़ादी के बाद भारत सरकार ने नेपाल के साथ समझौता कर 1954 में बराज बनाने का फ़ैसला कर लिया. उस समय पचास के दशक के शुरुआती वर्षों में इस तटबंध के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन तक किए थे. आज भी विशेषज्ञों का एक तबका ये मानता है कि कोसी की धारा के साथ कृत्रिम छेड़छाड़ इस तरह की भयानक स्थिति के लिए ज़िम्मेदार है. तटबंध बनाकर नदी की धारा को नियंत्रित दिशा दी गई. अब जब अतिरिक्त पानी के दबाव में तटबंध का जो हिस्सा टूटेगा उसी से होकर नदी बहेगी जो बिल्कुल स्वाभाविक है. इसलिए ये कहना बिल्कुल ग़लत है कि नदी ने ख़ुद धारा बदली. बांध की क्षमता जब बांध बनाया गया तो पिछले सौ वर्षों के इतिहास को ध्यान में रखा गया और पानी का औसत बहाव मापने की कोशिश की गई.
इस हिसाब से ये कहा गया कि तटबंध साढ़े नौ लाख घन फुट प्रति सेकेंड (क्यूसेक) पानी के बहाव को बर्दाश्त कर सकता है. ये भी बताया गया कि बांध की आयु 25 वर्ष है जो बिल्कुल अवैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है. हम पिछले इतिहास के आधार पर भविष्य की गणना नहीं कर सकते. कौन जानता है कि बांध बनने के अगले ही साल सबसे ज़्यादा पानी का दबाव उसे झेलना पड़े. ख़ैर इस वर्ष तो हद हो गई क्योंकि जब 18 अगस्त को बांध टूटा तो पानी का बहाव महज एक लाख 44 हज़ार क्यूसेक था. पहले भी टूटा है तटबंध कोसी पर बना तटबंध सात बार टूट चुका है और बाढ़ से तबाही पहले भी हुई है. वर्ष 1968 में तटबंध पाँच जगहों से टूटा था और उस समय पानी का बहाव नौ लाख 13 हज़ार क्यूसेक मापा गया था. हालाँकि पहली बार 1963 में ही तटबंध टूट गया था. वर्ष 1968 में कोसी तटबंध बिहार के जमालपुर में टूटा था और सहरसा, खगड़िया और समस्तीपुर में भारी नुकसान हुआ था. नेपाल में यह तटबंध 1963 में डलबा, 1991 में जोगनिया और इस वर्ष कुसहा में टूट चुका है. बांध टूटने का एक बड़ा कारण कोसी नदी की तलहटी में तेज़ी से गाद जमना है. इसके कारण जलस्तर बढ़ता है और तटबंध पर दबाव पड़ता है. (बीबीसी संवाददाता आलोक कुमार से बातचीत पर आधारित) |
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