दवाइयों की ऑनलाइन ब्रिकी पर बन सकते हैं नियम

इमेज स्रोत, Thinkstock
अगर आप ऑनलाइन दवाई खरीदते हैं तो अब जल्द ही सरकार की नज़र ऐसी वेबसाइटों पर तेज़ होने वाली है. एक सरकारी समिति ने ये सुझाव दिया है कि ऐसी वेबसाइट पर होने वाली बिक्री पर सरकारी एजेंसियों का ध्यान होना चाहिए लेकिन उसके लिए कोई समय सीमा नहीं तय की गई है.
समिति की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी एजेंसी की वेबसाइट को ऐसी सभी दवाई बेचने वाली कंपनियों को वेबसाइट पर दिखाना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन दवाई बेचने वाली कंपनियों को डिजिटल सिग्नेचर इस्तेमाल करने वालों को ही अपनी वेबसाइट से दवा खरीदने की इजाज़त देनी चाहिए.
इमेज स्रोत, Thinkstock
दवा बेचने वाली कई कंपनियां अब ग्राहकों को करीब 20 फीसदी तक की छूट दे रही हैं जिसकी वजह से दुकानदार उनके खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. दुकानदारों कि मांग है कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री बंद कर देना चाहिए.
ऑनलाइन दवाई बेचने के लिए ऐसी वेबसाइट को इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के नियमों का पालन करना ज़रूरी है. मीडियानामा के मुताबिक इस तरह के नियम बनाए जा सकते हैं.
इमेज स्रोत, Thinkstock
सबसे पहले ये जरूरी है कि डॉक्टर या तो इलेक्ट्रॉनिक पर्ची बनाएं या फिर कागज की पर्ची को स्कैन करने के बाद अपने पोर्टल पर अपलोड करें. हर पर्ची के लिए एक खास नंबर होना चाहिए. इसके साथ-साथ मरीज का नाम, फोन नंबर, बीमारी का नाम, दवाई और खुराक सब कुछ दर्ज होना चाहिए. सभी पर्ची को आधार से लिंक किया जा सकता है.
साल 2016 की शुरुआत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री पर अस्थाई रूप से प्रतिबंध लगा दिया था. कुछ खास दवाइयां बेचने के आरोप में स्नैपडील और शॉपक्लूज के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने केस भी दर्ज कराया था.
इमेज स्रोत, Thinkstock
नवंबर 2016 में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने दवाई की ऑनलाइन बिक्री के नियम बनाने की मांग को लेकर देश भर में बंद का ऐलान किया था. जून 2016 में ऑनलाइन दवाई कंपनियों ने मिलकर इंडियन इंटरनेट फॉर्मेसी एसोसिएशन (आईआईपीए) का गठन किया था ताकि इंटरनेट और दुकानों पर दवाइयों की बिक्री को लेकर बीच का रास्ता निकले.
कई जानकारों का मानना है कि ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री पर सरकार द्वारा नजर रखना सराहनीय कदम है. पर क्या सरकार लोगों की निजता की गारंटी लेगी.
ड्रग कमेटी ने सरकार को दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री को लेकर सुझाव देना शुरू किया है, जिस पर जल्द कदम लिया जा सकता है. इसके अलावा ये डर भी है कि आधार से लिंक करने पर ऑनलाइन बिक्री को लेकर ग्राहकों का रुझान कम हो सकता है, क्योंकि हर इंसान अपनी बीमारी को सरकार के साथ साझा करना पसंद नहीं करता.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)