जीसैट 6ए की नाकामी इसरो के लिए कितना बड़ा सबक?

  • पल्लव बागला
  • विज्ञान मामलों के जानकार
जीसैट-6ए का लॉन्च

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम (इसरो) ने रविवार को कहा है कि तीन दिन पहले छोड़े गए जीसैट-6ए सैटेलाइट से संपर्क टूट गया है.

इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस केंद्र से 29 तारीख को जीसैट-6ए सैटलाइट का प्रक्षेपण किया. इस प्रक्षेपण को उस दिन सफल बताया गया था.

लेकिन एक रविवार को इसरो ने एक बयान जारी कर कहा है कि ये सैटेलाइट खुद को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के अंतिम चरण में था उस वक्त पृथ्वी से इसका संपर्क टूट गया. इसरो को कहना है कि सैटेलाइट से दोबारा संपर्क करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

जीसैट-6 एक तरह का एस बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जिसे सुरक्षाबलों के लिए सैटेलाइट पर आधारित मोबाइल कम्युनिकेशन बढ़ाने के लिहाज़ से बेहद ज़रूरी माना जा रहा था. साथ ही आपदा स्थिति में भी किसी इलाके से संपर्क टूट जाने पर इसकी मदद से संपर्क स्थापित कर राहत और बचाव कार्य में इसकी मदद ली जा सकती थी.

भारत के लिए जीसैट-6ए से इसरो का संपर्क टूट जाना कितनी बड़ी समस्या हो सकती है?

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पढ़िए, पल्लव बागला का नज़रिया-

ये घटना कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है. पहला तो ये कि इस सैटेलाइट की क़ीमत है 270 करोड़ रुपये, ये कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है. अगर ये सैटेलाइट फिर से काम करना शुरू नहीं करता है को ये पूरा पैसे अंतरिक्ष में ही धुआं हो जाएगा.

दूसरा ये कि ये सैटेलाइट तो छोटा भाई है. इसका बड़ा भाई जीसैट-6 पहले से ही अंतरिक्ष में और काम कर रहा है. उसके साथ मिलकर जीसैट-6ए को काम करना था. ये दोनों ट्विन सैटेलाइट हैं.

अगर जीसैट-6ए फिर से चल नहीं पाता है तो ये पूरा सिस्टम अपनी जगह कारगर नहीं हो पाएगा.

ये भी महत्वपूर्ण है कि जीसैट-6ए के नाकाम हो जाने पर अब जीसैट-6 अकेला यानी लंगड़ा सैटेलाइट बन जाएगा जिसे अकेले ही काम करना पड़ेगा.

तीसरा ये कि इसरो को एक के बाद एक सफलता मिल रही थी. उसके लिए ये एक विफलता की तरह है और इससे इसरो को धक्का लेगा.

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इसरो के चेयरमैन के शिवन

सरो को करना होगा क्वालिटी कंट्रोल

हाल में इसरो को एक बड़ी विफलता उस वक्त मिली थी जब 2017 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी पीएसएलवी का प्रक्षेपण असफ़ल रहा था, इसमें एक नाविक सैटेलाइट था.

पीएसएलवी की उड़ान उन्नीस मिनट की थी. उड़ान के तीसरे मिनट में एक गड़बड़ी शुरू हुई जिसमें रॉकेट की हीट शील्ड रॉकेट से अलग नहीं हुई.

लेकिन जीसैट-6ए की विफलता के बाद इसरो ने जो अभी एक के बाद सैटेलाइट लॉन्च करने और बनाने का काम चालू रखा है, उसमें क्वालिटी कंट्रोल की तरफ ध्यान देना होगा.

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क्या सैटेलाइट से संपर्क फिर हो सकता है?

एक अप्रैल का दिन वो दिन है जब ईस्टर रविवार है, ये वो दिन है जब सूली पर चढ़ा दिए जाने के बाद ईसा मसीह फिर से जाग उठे थे. इसरो इस काम में तत्परता से लगा हुआ है और वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं.

लेकिन इसरो के कुछ वैज्ञानिक बताते हैं कि एक बार सैटेलाइट का पावर फेलियर हो जाता है और संपर्क टूट जाता है तो फिर से संपर्क साधना मुश्किल काम है. इसे नामुमकिन तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये काम बेहद मुश्किल ज़रूर है.

अगर संपर्क नहीं हो पाया तो भारत के लिए ये खरा-खरा 270 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

(पल्लव बागला से बातचीत पर आधारित. उनसे बात की बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने)

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