डीपफे़क टूल, तकनीक जिससे मर चुके रिश्तेदारों को किया जा सकेगा सजीव

  • जेन वेकफ़ील्ड
  • टेक्नोलॉजी रिपोर्टर
डीपफेक टूल की तस्वीर

इमेज स्रोत, MYHERITAGE

जीनियॉलजी या वंशावली साइट माईहेरिटेज ने एक ऐसा टूल उतारा है जो कि मर चुके रिश्तेदारों की तस्वीरों में चेहरों को एनीमेट करने के लिए एक विशेष तरह की डीपफ़ेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है.

इस टूल को है जिसे डीप नॉस्टेल्जिया नाम दिया गया है. कंपनी मानती है कि कुछ लोग इस फीचर को "सनसनी पैदा करने वाला" मान सकते हैं, जबकि अन्य लोगों के लिए यह "जादुई" हो सकता है.

कंपनी ने कहा है कि उसने इसमें आवाज़ को शामिल नहीं किया है ताकि "डीपफे़क लोग" न तैयार हो सकें.

यह टूल ऐसे वक्त में आया है जबकि ब्रिटेन की सरकार डीपफे़क टेक्नोलॉजी पर क़ानून बनाने की सोच रही है.

विधि आयोग एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसमें बिना सहमति के डीपफे़क वीडियो बनाने को अवैध करार दिए जाने की बात की गई है.

माईहेरिटेज का कहना है कि उसने जानबूझ कर इसमें स्पीच को शामिल नहीं किया है ताकि इसका ग़लत इस्तेमाल न किया जा सके. मिसाल के तौर पर, जिंदा लोगों के डीपफे़क वीडियोज़ न बनाए जा सकें.

इस नई टेक्नोलॉजी के बारे में सामान्य रूप से पूछे जाने वाले सवालों के जवाब के सेक्शन में कंपनी ने लिखा है, "यह पुराने वक्त की यादों के लिए इस्तेमाल करने के मक़सद से बनाया गया है."

लेकिन, कंपनी ने यह भी माना है कि कुछ लोग डीप नॉस्टेल्जिया फीचर को पसंद करते हैं और इसे जादुई मानते हैं, जबकि कुछ लोगों के लिए महज एक सनसनी पैदा करने वाला टूल हो सकता है और वे इसे नापसंद करते हैं.

कंपनी ने कहा है, "इसके नतीजों पर विवाद हो सकता है और इस टेक्नोलॉजी की उपेक्षा कर पाना मुश्किल है."

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फे़क लिंकन

डीपफे़क कंप्यूटर के बनाए गए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित वीडियो होते हैं जिन्हें मौजूदा तस्वीरों के ज़रिए तैयार किया जा सकता है.

डीप नॉस्टेल्जिया की टेक्नोलॉजी को इसराइली कंपनी डी-आईडी ने विकसित किया था. कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर और अपने एल्गोरिद्म्स को जिंदा लोगों के पहले से रिकॉर्ड वीडियो के हिसाब से प्रशिक्षित किया था ताकि जो तस्वीर पेश हो उनसें लोगों के चेहरे और भाव बदल रहे हों.

माईहेरिटेज साइट पर क्वीन विक्टोरिया और फ्लोरेंस नाइटिंगेल जैसी ऐतिहासिक शख्सियतों को एनीमेट किया गया है. इसी महीने की शुरुआत में एक कंपनी ने इसी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अब्राहम लिंकन के एक वीडियो को यूट्यूब पर डाला था. यह वीडियो लिंकन के जन्मदिन के मौके़ पर डाला गया था.

यह वीडियो रंगीन है और इसमें पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन बोलते हुए दिख रहे हैं.

लोगों ने अपने पूर्वजों के एनीमेटेड वीडियो ट्विटर पर डालना शुरू कर दिया है. कुछ लोगों ने इन्हें शानदार और भावनात्मक बताया है, जबकि अन्य लोग इस पर चिंता जता रहे हैं.

दिसंबर में चैनल 4 ने एक डीपफे़क क्वीन तैयार की जिन्होंने एक वैकल्पिक क्रिसमस संदेश दिया. इसके जरिए यह चेतावनी दी गई कि किस तरह से इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल फर्जी ख़बरों को फैलाने में किया जा सकता है.

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