शांति दिवस के दिन उड़ी हमले पर चर्चा

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बुधवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस यानि इंटरनेशनल पीस डे है. इस पर आज सोशल मीडिया पर सुबह से हैशटैग इंटरनेशनल पीस डे ट्रेंड कर रहा है.
कई लोग विश्व में शांति के लिए शिक्षा, ग़रीबी को ख़त्म करने और शांति सद्भावना की बातें कर रहे हैं. लेकिन कई हैं जो बीते सप्ताह उड़ी में हुए चरमपंथी हमले के साथ जोड़कर इस दिन को देख रहे हैं.
चंद्रिका बनर्जी ने लिखा, "ख़ुद जियो औरों को भी जीने दो."
साद जागिरानी ने लिखा, "अगर आप शांति चाहते हैं तो आप दोस्तों से नहीं दुश्मनों से बात करें."
करण सिक्का ने लिखा, "यह शांति दिवस मनाने का दिन नहीं, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए."
साधु महाराज ने लिखा, "अगर पाकिस्तान शांति दिवस मना रहा है, यह विडंबना होगी जिसकी तुलना केवल इस्लामिक स्टेट से की जा सकती है."
पघदल ने लिखा है, "उड़ी और पठानकोट में शहीद होने वाले को याद करता हूं. उम्मीद है कि पाकिस्तान शांति दिवस की अहमियत समझेगा."
शुभम अग्निहोत्री ने लिखा, "पाकिस्तान का शांति से कोई लेना-देना नहीं है. वो एक परेशान देश है और केवल चरमपंथ पर ही ध्यान दे सकता है."
अब्दुल एम चौधरी ने लिखा, "जब तक हम पूंजीवाद से आगे नहीं बढ़ेंगे और साम्यवाद के लिए काम नहीं करेंगे, शांति एक छलावा मात्र बनी रहेगी."
अज़दा ने बीते साल समुद्र तट पर मिले मृत शरणार्थी बच्चे अयलान कुर्दी और सीरिया में घायल पांच साल के एक बच्चे की तस्वीर ट्वीट की. उन्होंने लिखा, "जब तक बम गिरते रहेंगे और जान गंवाते रहेंगे, विश्व में शांति नहीं हो सकती."
भारतीय मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह ने लिखा, "न हिंदू बुरा है न मुसलमान. जो बुराई पर उतर आए वो इंसान बुरा है."
रवि अत्री ने लिखा, "हिंसा के ज़रिए आपको शांति नहीं मिल सकती, यह तो समझदारी से हासिल की जा सकती है."
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