'डरी हुई सरकार है, बाग़ों में बहार है'

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एनडीटीवी एंकर रवीश कुमार ने पठानकोट हमलों की कवरेज को लेकर चैनल पर लगे प्रतिबंध के विरोध में दो मूक अभिनेताओं के साथ प्राइम टाइम किया.
तबसे ही रविश कुमार और शुक्रवार को शो में इस्तेमाल हुई पंक्ति बाग़ों में बहार ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं.
#बागों_में_बहार_है के साथ बीस हज़ार से अधिक ट्वीट किए जा चुके हैं और ये वर्ल्डवाइड ट्रेंड में भी शामिल रहा.
लोग इस पंक्ति का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर निशाना साधने के लिए कर रहे हैं.
कुछ लोगों ने एनडीटीवी पर प्रतिबंध को 'अघोषित आपातकाल' भी कहा है:
रहीस ख़ान ने लिखा, "अडानी अंबानी इनके यार हैं, टाटा बोले तो यह अत्याचार है, माल्या अबतक फ़रार है, केजरीवाल के नाम से ही बुख़ार है. #बागों_में_बहार_है."
राशू (@Rashu4Change) ने ट्वीट किया, "सवाल मत पूछो क्योंकि ?? #बागों_में_बहार_है."
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बाग़ों में बहार के नाम से ही चल रहे एक अकाउंट (@prena_) से लिखा गया, "केवल उनके मन की बात सुनिए उनसे सवाल मत पूछिए! सवाल पूछना राष्ट्रीय अपराध है, #बागों_में_बहार_है पर अपना ध्यान लगाए रखिए."
काकावाणी @AliSohrab007 ने ट्वीट किया, "फर्जी एनकाउंटरों की भरमार है #बागों_में_बहार_है."
आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, "अच्छे दिनों की सटीक व्याख्या है, #बागों_में_बहार_है."
इंदु गुप्ता ने ट्वीट किया, "आजादी दरकिनार, प्रधान बना तड़ीपार है, तानाशाह सरकार है, चहुँ ओर अत्याचार है, आजादी दरकिनार है, डरी हुई सरकार है, बाग़ों में बहार है."
शैलेष पांडे ने ट्वीट किया, "आपातकाल आने को तैयार है फिर भी #बागों_में_बहार_है."
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अजय (@Ajay_Kr_Sin) ने लिखा, चाटुकारों को साहेब देते पुरस्कार हैं, ईमानदार पत्रकारों को सज़ा और फटकार है, क्या ख़ूब ये मोदी सरकार है, बस यही कहना है कि बाग़ों में बहार है."
स्नेह दीप (@imsnehdeep) ने ट्वीट किया, "घर बैठा बेरोजगार है, पढ़ा लिखा भी लाचार है, यहाँ गरीबी है भ्रष्टाचार है, और सुना है कि बाग़ों में बहार है."
विनोद गुप्ता (@VinodGuptaAAP) ने लिखा, #बागों_में_बहार_है चायवाला चौकीदार है, इंसानो से नफ़रत और गाय से प्यार है."
मोती काका @im_moti ने ट्वीट किया, "अंटी में नोटिस ज़ुबान पे जुमला, कांख में लट्ठ ताल पे चाल, चमचों की सरकार खाए और न ले डकार #बागों_में_बहार_है."
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